Raidha Mustard Sowing Method & Profit in Nagaur | Rabi Crop

Last Updated:October 16, 2025, 09:17 IST
Rabi Crop Nagaur: नागौर के किसान अक्टूबर-नवंबर में रायडा सरसों की बुवाई कर संतुलित खाद (डीएपी, पोटाश, यूरिया) और समय पर सिंचाई से लाखों रुपए की आमदनी कमा सकते हैं. एक बीघे में 4-5 क्विंटल पैदावार संभव है, जिससे किसान ₹25,000-₹30,000 तक का मुनाफा कमा सकते हैं. यह फसल कम लागत में ज्यादा मुनाफा देती है.
नागौर: अक्टूबर का महीना न केवल त्योहारों की शुरुआत का माह है, बल्कि यह रबी फसलों की बुवाई का प्रमुख समय भी है. इस समय किसानों द्वारा खाद्यान्न और तिलहन फसलें (Oilseed Crops) बड़े पैमाने पर बोई जाती हैं. इसी में से एक प्रमुख और कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है रायडा सरसों, जिसे कृषि जगत में ‘ठंडे मौसम की रानी’ भी कहा जाता है.
रायडा सरसों की बंपर पैदावार के लिए सही खेत की तैयारी सबसे महत्वपूर्ण है:
उपयुक्त मिट्टी: दोमट या हल्की काली मिट्टी रायडा सरसों की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है.
गोबर खाद का महत्व: खेत की मिट्टी को पहले अच्छी तरह तैयार करना जरूरी है. सबसे पहले खेत में गोबर की खाद (Farmyard Manure) डालकर मिट्टी की नमी और ताकत बढ़ाई जाती है.
जुताई: इसके बाद खेत की एक-दो बार जुताई करके हल्की जुताई और पाटा/पटास (Planking) लगाया जाता है ताकि मिट्टी मुलायम और समतल हो जाए, जो बीजों के उचित अंकुरण के लिए आवश्यक है.
बीज की मात्रा और संतुलित खाद का उपयोग
सरसों की अच्छी पैदावार के लिए बीज की सही मात्रा और संतुलित खाद का उपयोग महत्वपूर्ण है:
बीज की मात्रा: औसतन डेढ़ किलो प्रति बीघा बीज पर्याप्त होता है. हालांकि, यह मात्रा पानी की गुणवत्ता और मिट्टी की उर्वरता पर निर्भर करती है.
खाद का उपयोग: किसान प्रति हेक्टेयर की दर से खाद का उपयोग करते हैं:
डीएपी (DAP): 50 किलो/हेक्टेयर
पोटाश: 25 किलो/हेक्टेयर
यूरिया: 40-50 किलो/हेक्टेयर
खास बात यह है कि यूरिया को दो बार डालना चाहिए — पहली बार बुवाई के तुरंत बाद, और दूसरी बार जब फसल में फूल आने लगें. यदि पानी की गुणवत्ता अच्छी हो तो डीएपी की आवश्यकता कम हो जाती है.
बुवाई की विधि और सिंचाई का गणित
रायडा सरसों की बुवाई सूखी जमीन या गीली जमीन दोनों तरह से की जा सकती है:
सूखी बुवाई: खेत की मिट्टी जोतकर तैयार की जाती है, बीज बोकर तुरंत हल से सिंचाई (पाला) की जाती है.
गीली बुवाई: खेत में पहले पानी डालकर मिट्टी गीली करने के बाद हल से बीज बोए जाते हैं.
बीज की गहराई 3-4 सेंटीमीटर होनी चाहिए. कतारों की दूरी 30 सेंटीमीटर रखी जाती है, जिससे खरपतवार नियंत्रण और सिंचाई का कार्य आसान होता है.
सिंचाई और देखभाल
सरसों को ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन समय पर सिंचाई जरूरी है.
पहली सिंचाई: बुवाई के 25-30 दिन बाद करें.
अगली सिंचाई: इसके बाद 15-20 दिन के अंतराल में दूसरी और तीसरी सिंचाई करें.
जरूरी चरण: फूल और फली बनने के समय सिंचाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए, यह पैदावार के लिए महत्वपूर्ण है.
लाखों का आर्थिक लाभ: किसानों के लिए सुनहरा मौकारायडा सरसों किसानों के लिए वाकई में कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है.
पैरामीटर प्रति बीघा अनुमानित प्रति हेक्टेयर अनुमानित (5 बीघा)औसत पैदावार 4-5 क्विंटल 20-25 क्विंटलबाजार भाव (अनुमानित) ₹5000-₹6000 प्रति क्विंटल ₹5000-₹6000 प्रति क्विंटलकुल आमदनी (सकल) ₹20,000 – ₹30,000 ₹90,000 – ₹1,25,000
Location :
Nagaur,Nagaur,Rajasthan
First Published :
October 16, 2025, 09:17 IST
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बस सही समय, खाद और सिंचाई… नागौर के किसान कर रहे हैं लाखों की कमाई