यहां सड़क के किनारे से खरीदें बाजरा पीसने व दाल दलने की छोटी चाकियां, मिर्ची बांटने के पत्थर भी मिलेंगे यहां

रविंद्र कुमार/झुंझुनूं. झुंझुनूं की हवाईपट्टी चौराहे के पास सड़क के किनारे पर कुछ ठेले लगे हुए हैं जिन पर आपको पत्थर से बने हुए कुछ सामान दिखाई देंगे. जिसमें सबसे आकर्षित करने वाले सामानों की बात करें तो उनमें से अनाज पीसने की चक्की, मिर्च बांटने के पत्थर औरपुराने समय में आने वाले पत्थर की ओखली आपको दिखाई देगी.
आज जहां घर पर लाइट से चलने वाली दाल दलने औरआटा पीसने की चाक्कियांमिल जाएगी. वहीं यह पत्थर से बनी हुई चाकियां वह ओखली राहगीरों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं.छोटी साइज की चाकियां देख उनके बारे में जानने की जिज्ञासा हुई तो पता चला कि यह अलग-अलग प्रकार की हैं. जिसमें कुछ सफेद पत्थर की हैं, तो कुछ लाल पत्थर की हैं.
अब गायब हो गई है चकिया की आवाज
गांव में जहां पुराने समय में सुबह की वक्त हर घर से अनाज पीसने वाली चाकियां चलने की आवाज आती थी.अब वह शायद ही किसी घर में हमें सुनने को मिले. यह आवाज न सुनने के पीछे सबसे बड़ी प्रमुख वजह वह यह है कि आज हर घर या गांव में एक विद्युत से चलने वाली चक्की मिल जाएगी जो कुछ ही समय में पूरे घर का आटा पीस देती है. लेकिन पुराने समय में यह एक रूटीन का काम होता था.घर की महिलाएं सुबह उठकर सबसे पहले पूरे घर के लिए आटा पिसती थी,दाल दलती थी. लेकिन अब वह हमें नहीं देखने को मिलता.
सड़क के किनारे बिक रही इन छोटे आकार की चाकियां देख पुराने समय की यादें ताजा हो गई.सड़क के किनारे दुकान चला रहे महेश कुमावत ने बताया कि अभी उनके द्वारा बेचे जाने वाले छोटे आकार की चाकियां घर में दाल दलने व बाजरा पीसने के उपयोग में ली जा सकती है.
ठेलों पर लगाकर बेचते हैं चकिया
उन्होंने बताया कि यह पत्थर का सामान वह अलग-अलग जगह से लेकर आ रहे है. जिसमें गुजरात, जोधपुर इत्यादि जगह शामिल है. वह एक साथ में इकट्ठा सामान वहां से मंगवाते हैं उसके बाद कुछ सामान उन्होंने यहां पर अपने ठेलों पर लाकर रखा हुआ है जहां से वह लोगों को बेचते हैं.अभी उनके पास मिर्च बांटने के पत्थर से लेकर दाल दलने के लिए पत्थर की चाकियां और पत्थर से बनी ओखली, मिट्टी के कैंपर इत्यादि समान उपस्थित है.
300 से लेकर 1000 रुपए तक है कीमत
उन्होंने बताया कि उनके पास उपस्थित जो चाकिया है उस से घर में मूंग, मोठ व चने की दाल दली जा सकती है. साथ में ही बाजरा भी उसमें पिसा जा सकता है.उनके पास दो वैरियटयों की चक्की है. जिसमें एक लाल पत्थर जो की जोधपुर से बनी हुई है औरदूसरी सफेद पत्थर की है यह महंगी चक्की है.अभी इनके पास 350 से लेकर 1000 रूपए तक की चाकियां हैं. लोगों को यह छोटी चाकिया वह पत्थर की सिल्ली जिन पर मिर्ची की चटनी बनाई जा सकती है लोगों को काफी पसंद आ रहीहैं. यह दिन के चार पांच चाकियां और चटनी पिसने वालीपत्थर कि सिल्ली बेच देते है. वह महीने का 50,000 के लगभग का सामान सड़क के किनारे बेच देते है.
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FIRST PUBLISHED : August 16, 2023, 22:20 IST