Rajasthan

बरसात से बर्बादी, फिर वरदान बनी बारिश… नागौर के किसानों की किस्मत ने खाई नई करवट!

नागौर. राजस्थान के नागौर जिले में अतिवृष्टि और बेमौसम बारिश से खरीफ सीजन में किसानों की मेहनत चौपट हो गई थी. लेकिन अब वही बरसात किसानों के लिए वरदान बन गई है. लगातार हुई भारी बारिश से खेतों में भरपूर नमी जमा हो गई है, जिससे रबी सीजन की शुरुआत जोश और उम्मीद के साथ हुई है. खेतों में इस बार नमी इतनी है कि किसानों को सिंचाई के लिए अतिरिक्त खर्च नहीं करना पड़ेगा, जिससे उनकी लागत में कमी आएगी और उत्पादन बढ़ने की संभावना है.

कृषि विभाग के अनुसार, मेड़ता तहसील के अंतर्गत आने वाले मेड़ता सिटी, रियांबड़ी, मुंडवा और खींवसर जोन में पिछले वर्ष 1,86,050 हैक्टेयर में बुवाई की गई थी, जबकि इस बार खेतों में नमी अधिक होने के कारण यह आंकड़ा बढ़कर 2,11,350 हैक्टेयर तक पहुंच गया है. इस तरह बुवाई लक्ष्य में करीब 25 हजार हैक्टेयर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. किसान अब गेहूं, चना, सरसों, जीरा और अन्य रबी फसलों की बुवाई में जुट गए हैं. खरीफ सीजन में नुकसान झेल चुके किसानों का कहना है कि इस बार की नमी से बोवनी के लिए सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.

कृषि विभाग की सलाहकृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे खेतों में मौजूद नमी का भरपूर लाभ उठाएं और समय पर बीज उपचार, रोग नियंत्रण तथा संतुलित उर्वरक प्रयोग से उत्पादन बढ़ाएं. विभाग का कहना है कि यह मौसम कृषि क्षेत्र के लिए चुनौती और अवसर दोनों लेकर आया है. अतिवृष्टि ने खरीफ फसलों को नुकसान जरूर पहुंचाया, लेकिन अब वही पानी रबी सीजन के लिए वरदान साबित हो रहा है.

खेतों में बढ़ी बुवाई की संभावनाएंसहायक निदेशक कृषि विस्तार मेड़ता, रामप्रकाश बेड़ा ने बताया कि इस बार बारिश ने खरीफ को नुकसान पहुंचाया, लेकिन खेतों की नमी ने रबी फसलों की संभावनाएं दोगुनी कर दी हैं. पिछले साल की तुलना में इस बार 25,300 हैक्टेयर अधिक बुवाई दर्ज की गई है. उन्होंने बताया कि कृषि विभाग ने सभी कृषि पर्यवेक्षकों को किसानों के खेतों पर जाकर तकनीकी मार्गदर्शन देने के निर्देश जारी किए हैं. विभाग किसानों को समय पर बीज उपचार, कीट नियंत्रण और उर्वरक संतुलन की सलाह दे रहा है ताकि इस अवसर का अधिकतम लाभ लिया जा सके.

किसानों में उम्मीद की नई लहरकृषि विशेषज्ञों का मानना है कि भौगोलिक स्थिति इस बार रबी फसलों के लिए अत्यंत अनुकूल है. लूणी और आसपास के खेतों में गहराई तक नमी होने से बोवनी का समय आगे बढ़ा है, जिससे गेहूं और सरसों दोनों फसलों के विकास के लिए परिस्थितियां बेहतर बनी हैं. विशेषज्ञ बजरंग सिंह ने बताया कि जहां पिछले साल किसान सिंचाई के लिए परेशान थे, वहीं इस बार उन्हें नमी की कोई दिक्कत नहीं आएगी. यही कारण है कि किसानों ने जीरा और चने की बुवाई बढ़ा दी है.

खरीफ के नुकसान के बाद रबी से उम्मीद
रियांबड़ी क्षेत्र के किसान गजेन्द्र चौधरी का कहना है कि इस बार मूंग और बाजरा की फसल पूरी तरह खराब हो गई थी. खेतों में पानी जमा रहा, लेकिन अब वही पानी गेहूं, जीरा और चना की बोवनी के लिए वरदान बन गया है. पहले कुएं और ट्यूबवेल पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन इस बार खेतों में इतनी नमी है कि बीज डालते ही अंकुरण शुरू हो गया. नागौर के किसान कमलेश ने कहा कि खरीफ के नुकसान से मन टूट गया था, पर अब हालात बदल रहे हैं. अगर मौसम सामान्य रहा तो रबी की फसल से पूरा घाटा पूरा हो सकता है. किसानों ने कहा कि इस बार सिंचाई की कम जरूरत पड़ेगी, जिससे बिजली और डीजल दोनों की बचत होगी.

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj