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Last Updated:November 02, 2025, 20:16 IST

Rainy Season Farming Benefits: बारिश के इस मौसम में किसान सही फसल और किस्मों की बुवाई करके दोगुना उत्पादन पा सकते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार अभी कुछ फसलों की बुवाई का यह सबसे उपयुक्त समय है. सही तकनीक और मिट्टी की तैयारी से किसान लाखों की अतिरिक्त कमाई कर सकते हैं.खेती

सीकर. हाल ही में हुई बारिश रबी फसलों के लिए वरदान साबित होगी. यह बारिश अगेती सरसों की सिंचाई का काम करेगी और गेहूं व जौ की बुवाई के लिए पर्याप्त नमी देगी. चने की फसल में भी यह नमी अंकुरण को बढ़ाने में सहायक बनेगी और उत्पादन में सुधार करेगी. इससे किसानों को फायदा होगा. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट दिनेश जाखड़ ने बताया कि किसानों को खेत की जुताई के तुरंत बाद पाटा लगाना चाहिए ताकि मिट्टी की नमी बरकरार रहे.

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उन्होंने बताया कि तापमान को ध्यान में रखते हुए किसान इस सप्ताह के भीतर चने की बुवाई कर सकते हैं. बुवाई से पहले यह ध्यान करना जरूरी है कि मिट्टी में पर्याप्त नमी बनी रहे ताकि बीजों का अंकुरण बेहतर हो सके. कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी गई है कि वे बुवाई के लिए केवल उन्नत और प्रमाणित बीजों का ही उपयोग करें. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट के अनुसार इस मौसम का सही फायदा उठाने के लिए किस काबुली चने की खेती कर सकते हैं.

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चने की अच्छी पैदावार के लिए आरएसजी 888, सीएसजेडी 884, आरएसजी 895, आरएसजी 945, और आरएसजी 807 जैसी किस्में सबसे अच्छी आरती है. इसके अलावा काबुली चने के लिए जीएनजी 1969 (त्रिवेणी), जीएनजी 1499 (गौरी), और जीएनजी 1292 जैसी किस्में लाभदायक हैं. असिंचित क्षेत्रों के लिए आरएसजी 888 और देरी से बुवाई के लिए जीएनजी 2144 (तीज) और जीएनजी 1488 (संगम) सबसे सही है.

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एग्रीकल्चर एक्सपर्ट दिनेश जाखड़ ने बताया कि मृदा जनित रोगों जैसे उकठा और जड़ सड़न से बचाव के लिए बीज उपचार जरूरी है. इसके लिए किसानों को प्रति किलो बीज पर कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम या ट्राइकोडर्मा 4 ग्राम का प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 4 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से मिलाना भी लाभदायक है. वहीं, प्रति हैक्टेयर 60-70 किलो बीज की मात्रा पर्याप्त रहती है, जबकि काबुली चने के लिए 100 किलो प्रति हैक्टेयर बीज सही रहते हैं.

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अच्छे उत्पादन के लिए किसानों को खेती में कतार से कतार की दूरी का विशेष ध्यान रखना चाहिए. चने की कतारों के बीच 30 सेंटीमीटर की दूरी उपयुक्त मानी जाती है. सिंचित क्षेत्रों में बीज की गहराई 7 सेंटीमीटर तक रखनी चाहिए ताकि अंकुरण अच्छा हो. इसके अलावा जहां उकठा रोग का प्रकोप अधिक है, वहां बुवाई थोड़ी गहरी और देरी से करनी चाहिए. यह तरीका फसल को रोगों से बचाने में सहायक साबित होता है.

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अभी बरसीम की बुवाई का यह समय सबसे सही समय है. किसानों को उन्नत किस्मों का चयन करते हुए बीज दर 25-30 किलो प्रति हैक्टेयर रखनी चाहिए. बीजों को बुवाई से पहले राइजोबियम कल्चर से उपचारित करना चाहिए ताकि फसल में नाइट्रोजन स्थिरीकरण हो सके और अच्छी हरी चारा पैदावार मिले. बरसीम की उचित बुवाई से पशुओं के लिए पोषक चारा भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो सकता है. इससे उन किसानों को अधिक फायदा है जो खेती के साथ-साथ पशुपालन का काम भी करते हैं.

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चना और बरसीम के अलावा अभी मटर की बुवाई भी इस समय लाभदायक है. किसान बुवाई से पहले यह सुनिश्चित करें कि मिट्टी में पर्याप्त नमी हो. पूसा प्रगति जैसी उन्नत किस्मों का चयन करें और बीजों को कवकनाशी केप्टान 2 ग्राम प्रति किलो की दर से उपचारित करें. इसके बाद फसल विशेष राईजोबियम का टीका लगाएं. राईजोबियम को गुड़ के पानी में मिलाकर बीजों पर लगाने से बेहतर अंकुरण और अधिक उत्पादन प्राप्त होता है.

First Published :

November 02, 2025, 20:16 IST

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