Rajasthan
250 साल पुरानी पद्धति से मिली जानकारी, इस बार राजस्थान में होगी ऐसी बारिश

वायु परीक्षण के लिए सबसे पहले ज्योतिषाचार्यों ने इंद्र ध्वज पूजन किया. इसके बाद ध्वज को सम्राट यंत्र के शीर्ष पर ले जाया गया. जमीन से करीब 90 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस यंत्र पर ध्वज को रखा और हवा के रुख को देखकर वायु परीक्षण किया गया.