वाराणसी फिल्म के प्रमोशन पर राजामौली की ग्रैंड मार्केटिंग स्ट्रैटेजी | Rajamouli movie promotion of Varanasi priyanka chopra mahesh babu already started will it change trends qdps


हैदराबाद में फिल्म का ग्रैंड टीजर लॉन्च हुआ, जिसमें प्रियंका चोपड़ा और महेश बाबू इस अंदाज में नजर आए. (फोटो साभारः इंस्टाग्राम (@jerryxmimi)
साउथ का मंत्र: सारा हाइप का खेल है बाबु भैया
साउथ इंडस्ट्री, खासकर तेलुगु सिनेमा, प्रमोशन को लॉन्ग-गेम की तरह खेलता है. फिल्म अनाउंसमेंट के साथ ही पहला प्रमोशन हो जाता है, पोस्टर्स, ग्लिम्प्स, कॉन्सेप्ट आर्ट, सबसे पहले तो दर्शकों को दुनिया दिखा दी जाती है. ग्रैंड ट्रेलर लॉन्च, टीजर के साथ इतना तामझाम की अब सालभर लोग बस बेसब्री से फिल्म का इंतजार ही करते रहेंगे. सिर्फ झलक ही नहीं, ‘वाराणसी’ के लीड एक्टर्स महेश बाबू और प्रियंका चोपड़ा पहले से ही ग्लोबल ऑडियंस तक पहुंचने के लिए इंटरनेशनल मीडिया में इंटरव्यू देते नजर आ रहे हैं. वहीं ‘RRR’ और ‘बाहुबली’ के बाद वे सिर्फ निर्देशक नहीं, बल्कि एक ब्रांड हैं. उनकी नई फिल्म की हल्की-सी झलक भी पब्लिक डिस्कोर्स बना देती है.
साउथ के इस ग्रैंड प्रमोशन का अंदाज हमें अयान मुखर्जी की ‘ब्रह्मास्त्र’ के साथ भी देखने को मिला था. महीनों पहले प्रमोशन और बज़ तो फिल्म ‘आदीपुरुष’ ने भी सेट किया था. प्रभास के स्टारडम को खूब भुनाया गया था, लेकिन तब प्रमोशन का ये ग्रैंड अंदाज में फिल्म को आलोचनाओं से बचा नहीं पाया था.

हॉलीवुड का मॉडल: धीरे-धीरे प्रमोशन बढ़ाना है, हद से गुजर जाना है
भारतीय सिनेमा यूं तो बेहद अलग और नया सिनेमा गढ़ता रहा है लेकिन फिर भी हॉलीवुड से ‘इंस्पायर’ होने की आदत उसकी कभी नहीं गई. प्री-बज़ से लेकर ग्लोबर टूर तक, यहां काफी कुछ कॉपी हुआ है. हॉलीवुड की प्रमोशन स्टाइल अक्सर तीन स्टेज में बंटी होती है. पहला प्री-बज़ – बहुत पहले नहीं, सिर्फ टाइटल अनाउंसमेंट, कास्ट कन्फर्मेशन, या BTS फोटो. दूसरा ट्रेलर फेज़ – ट्रेलर रिलीज़ होते ही इंटरव्यूज़, प्रीमियर डेट्स और मीडिया कैंपेन शुरू. तीसरा ग्लोबल टूर – रिलीज़ से 2–3 हफ्ते पहले पूरे वर्ल्ड में प्रमोशनल ट्रैवल.
एक्सर्ट्स की मानें तो किसी भी फिल्म की मार्केटिंग उसकी जान होती है. कई बार अच्छी-अच्छी फिल्में खराब मार्केटिंग या कम प्रमोशन की वजह से पिट जाती हैं. पर आजकल तो मार्केटिंग का बजट फिल्मों के बजट से भी ज्यादा हो जाता है. फिल्म की रिलीज़ से पहले के 8–12 हफ्ते ही सबसे हाई-इम्पैक्ट माने जाते हैं. लेकिन जितना प्रचार जरूरी है, वहीं कई बार ओवर-एक्सपोजर से बचना भी उतना ही जरूरी माना जाता है.

बिना प्रमोशन भी फिल्में हिट
बॉलीवुड ने कई बार दिखाया है कि बिना इंटरव्यू, बिना सिटी टूर भी फिल्में सुपरहिट हो सकती हैं. अजय देवगन की ‘दृश्यम’ के लिए इंटरव्यू कैंपेन लगभग न के बराबर, फिर भी वर्ड ऑफ माउथ से ब्लॉकबस्टर साबित हुई. इसी साल सफलता के सारे रिकॉर्ड तोड़ने वाली ‘सैयारा’ के डेब्यूटेंट एक्टर्स ने फिल्म रिलीज से पहले एक भी इंटरव्यू नहीं दिया. लेकिन सिनेमाघरो से रोते हुए दर्शकों की तस्वीरों और वीडियो ने गजब का कमाल कर दिया. हालांकि कई लोगों ने इस तरह के वीडियोज को ‘प्रमोशन का हिस्सा’ करार दिया. लेकिन ये स्ट्रैटेजी खूब काम कर गई.
वहीं जहां सलमान- आमिर अपनी फिल्मों से पहले बेहतरीन प्रमोशन करते हैं, शाहरुख खान ने जब 5 साल बाद फिल्मों में ‘पठान’ से वापसी की तो ‘नो इंटरव्यू’ पॉलिसी अपनाई. इस फिल्म का जो भी प्रमोश्नल कंटेंट सामने आया, वो यश राज फिल्म्स ने अपने ही सोशल मीडिया पर शेयर किया. पर शाहरुख की फिल्मों के लिए तो बस यही कहा जा सकता है, ‘शाहरुख खान… नाम तो सुना ही होगा.’ ये इस बात का सबूत है कि हिंदी फिल्मों में कंटेंट-कन्विक्शन मॉडल भी उतना ही काम करता है.

मोहित सूरी की फिल्म ने धमाल मचा दिया था
बॉलीवुड में कई ऐसे केस हैं जहां भारी प्रमोशन के बावजूद फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नहीं चली. शाहरुख की ‘रईस’ और ऋतिक रोशन और यामी गौतम स्टारर ‘काबिल’ का जमकर प्रमोशन क्लैश हुआ. एक दिन रिलीज हुई, बड़ा प्रमोशन हुआ लेकिन दोनों ही फिल्में मिली-जुली परफॉर्मेंस दे पाईं. रणबीर कपूर और कैटरीना कैफ ने ‘ब्रेकअप’ के बाद भी ‘जग्गा जासूस’ का जमकर सालभर तक प्रमोशन किया, लेकिन फिल्म नहीं चली. ‘बंटी और बबली 2’ के लिए भी सोशल मीडिया पर बड़े कैंपेन हुए पर नतीजा फीका ही रहा. ऐसी कई फिल्में बताती हैं कि प्रमोशन कभी भी फिल्म की सफलता की गारंटी नहीं होता.

‘वाराणसी’ का इतना जल्दी प्रमोशन क्यों?
बात अगर ‘वाराणसी’ की करें तो यहां कई फेक्टर काम कर रहे हैं. राजामौली की ये फिल्म एक सामान्य प्रोजेक्ट नहीं है. यह एक हाई-वैल्यू माइथोलॉजिकल–एक्शन–एडवेंचर यूनिवर्स बनाई जा रही है, जिसमें विशाल बजट, रेडी-टू-गो ग्लोबल रिलीज, इंटरनेशनल टैलेंट और VFX, स्टार-कास्ट + डायरेक्टर ब्रांड, ऐसे प्रोजेक्ट्स की मार्केटिंग सिर्फ प्री-रिलीज नहीं, बल्कि ब्रांड बिल्डिंग होती है. साउथ इंडस्ट्री पहले भी यही रणनीति अपनाकर दुनिया का सबसे बड़ा फैन-बेस बना चुकी है. ‘RRR’ इसका सबसे बड़ा उदाहरण है—फिल्म रिलीज़ से पहले ही हॉलीवुड में चर्चा शुरू हो गई थी. अब देखना ये है कि ‘वाराणसी’ के जरिए राजामौली सफलता और ग्रैंड रिलीज की हैट्रिक लगाते हैं या नहीं.



