Rajasthan : कांग्रेस में अब हनुमान बेनिवाल पर घमासान, हरीश चौधरी ने लगाया सौदेबाजी का आरोप
जयपुर. राजस्थान कांग्रेस में अब हनुमान बेनिवाल को लेकर घमासान मचा हुआ है. पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी ने नाम लिए बिना मुख्यमंत्री पर बेनिवाल के साथ सौदेबाजी कर कांग्रेस को कमजोर करने का आरोप जड़ा और चेतावनी दी कि बेनिवाल से गठबंधन नहीं हो सकता.
राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस कलह से जूझ रही है. पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा के कांग्रेस छोड़ने के बाद अब चुनाव को लेकर कांग्रेस की चुनाव रणनीति समिति के अध्यक्ष हरीश चौधरी ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनिवाल के साथ सौदेबादी कर ज्योति मिर्धा को कांग्रेस छोड़ने पर मजबूर किया गया. चौधरी ने चेतावनी दी कि हनुमान बेनिवाल के साथ गठबंधन मंजूर नहीं. दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी मंत्री महेश जोशी ने इन आरोपों को गलत ठहराया.
बेनिवाल से सौदेबाजी का आरोप
नागौर से कांग्रेस की सांसद रही ज्योति मिर्धा के कांग्रेस छोड़ने के बाद अब कांग्रेस में कलह तेज हो गई है. पंजाब कांग्रेस के प्रभारी और राजस्थान में कांग्रेस की चुनाव को लेकर बनी स्ट्रेटजी समिति के अध्यक्ष हरीश चौधरी ने बिना नाम लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को निशाने पर लिया. चौधरी ने आरोप लगाया कि खीवंसर विधानसभा सीट पर हनुमान बेनिवाल के भाई नारायण बेनिवाल को जिताने के लिए कांग्रेस पार्टी के दिग्गज ने हनुमान बेनिवाल के साथ सौदेबाजी की. इसलिए कांग्रेस प्रत्याशी हारा. चौधरी ने कहा इसी सौदेबाजी के कारण ज्योति मिर्धा को कांग्रेस छोड़नी पड़ी. सोदेबादी की फितरत से मारवाड़ में कांग्रेस कमजोर हुई. राजस्थान में कांग्रेस राहुल गांधी के सिद्धांतों के बजाय सौदेबाजी और सुपारी की राजनीति कर रही है. चौधरी ने चेतावनी दी कि हनुमान बेनिवाल के साथ कांग्रेस का गठबंधन मंजूर नहीं.
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गहलोत समर्थक ने दी सफाई
हरीश चौधरी के हमले के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक मंत्री महेश जोशी ने सफाई दी कि ये आरोप गलत है. गहलोत इस तरह की सियासत नहीं करते हैं. कांग्रेस गहलोत शासन में मजबूत हुई.
बेनिवाल के कारण ज्योति मिर्घा ने छोड़ी कांग्रेस
हरीश चौधरी राजस्थान में गहलोत और पायलट के बाद तीसरे कद्दावर नेता माने जाते हैं. जाट बाहुल्य पश्चिमी राजस्थान में कांग्रेस का जाट चेहरा हैं. 2020 में जब गहलोत सरकार संकट में फंसी तब गहलोत ने हनुमान बेनिवाल से नजदीकी बनाई. बेनिवाल की पार्टी के राजस्थान में तीन विधायक हैं. 2019 में बेनिवाल ने एनडीए के प्रत्याशी के तौर पर नागौर से लोकसभा चुनाव जीता और कांग्रेस की ज्योति मिर्धा को चुनाव हराया था. लेकिन किसान आंदोलन के वक्त बेनिवाल एनडीए छोड़कर बाहर आ गए थे. अभी तक कांग्रेस या बीजेपी से बेनिवाल का कोई घोषित गठबंधन नहीं. लेकिन ज्योति मिर्धा के कांग्रेस छोड़ने की यही वजह सामने आयी कि नागौर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उनकी उपेक्षा कर हनुमान बेनिवाल पर मेहरबान हैं. ज्योति मिर्धा कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे नाथूराम मिर्धा की पौत्री हैं. नागौर समेत जाटपट्टी में बेनिवाल और ज्योति मिर्धा के बीच वर्चस्व की जंग चल रही थी.
क्या गहलोत बेनिवाल से करेंगे गठबंधन
पिछले कुछ वक्त से चर्चा चल रही है कि गहलोत राजस्थान में विधानसभा चुनाव में बेनिवाल से गठबंधन कर सकते हैं. लेकिन राजस्थान कांग्रेस के जाट नेता इसके विरोध में हैं. ऐसे में आने वाल वक्त में कांग्रेस में बेनिवाल को लेकर बवाल बढ़ सकता है. बेनिवाल का प्रभाव भी जाट सीटों पर है. इससे कांग्रेस के जाट नेता परेशान हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में बेनिवाल की पार्टी तीन सीट जीतने के साथ 35 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी.
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FIRST PUBLISHED : September 15, 2023, 14:13 IST