राजस्थान बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा को 20 साल पुराने केस में जेल.

Last Updated:May 21, 2025, 15:47 IST
राजस्थान बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा को 20 साल पुराने केस में तीन साल की सजा मिली है. सुप्रीम कोर्ट से झटका लगने पर उन्होंने सरेंडर किया और जेल भेजे गए. कांग्रेस सदस्यता रद्द करने की मांग कर रही है.
बीजेपी विधायक कंवरलाल मीणा 20 साल पुराने मामले में जेल भेजे गए.
हाइलाइट्स
कंवरलाल मीणा को 20 साल पुराने केस में 3 साल की सजा मिली.मीणा ने SDM पर पिस्टल तानने के जुर्म में सजा पाई.कांग्रेस मीणा की सदस्यता रद्द करने की मांग कर रही है.
जयपुर. राजस्थान बीजेपी के विधायक कंवरलाल मीणा जेल पहुंच गए हैं. बारां जिले की अंता विधानसभा सीट से विधायक कंवरलाल मीणा से जुड़े क्रिमिनल केस में सुप्रीम कोर्ट से झटका लगने के बाद कोर्ट में सरेंडर करना पड़ा. इसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया है. मीणा को तीन साल की सजा सुनाई गई है और यह 20 साल पुराने केस में लगा है. मीणा को सजा 20 साल पहले उपसरपंच चुनाव में चुनाव अधिकारी (SDM) पर पिस्टल तानने के जुर्म में मिली है.
20 साल पुराना मामला क्या हैकंवरलाल मीणा ने इस चुनाव में पुर्नमतदान कराने की मांग को लेकर एसडीएम के सिर पर पिस्टल तान दी थी. लेकिन उनको यह दबंगई महंगी पड़ गई है. कंवरलाल मीणा की छवि शुरू से ही दंबग नेता की रही है. हिन्दू संगठनों से जुड़े कंवरलाल मीणा मूलतया बारां से सटे कोटा संभाग के झालावाड़ जिले के मनोहरथाना इलाके के अकलेरा के रहने वाले हैं. मीणा पहली बार 2008 में बीजेपी के टिकट पर मनोहरथाना से विधायक चुने गए थे.
विधायक चुने जाने से करीब तीन साल पहले साल 2005 में उन्होंने इलाके के खाताखेड़ी ग्राम पंचायत के उपसरपंच चुनाव के समय दबंगई दिखाई थी. चुनाव में विवाद की स्थिति होने पर कंवरलाल मीणा ने तत्कालीन एसडीएम रामनिवास से पुर्नमतदान की मांग करते हुए पिस्टल तान दी थी.
एडीजे कोर्ट ने सुनाई थी सजाविवाद बढ़ने के बाद मीणा ने सरकारी वीडियोग्राफी की कैसेट भी तोड़ डाली थी. उसके बाद मीणा के खिलाफ स्थानीय थाने में केस दर्ज हुआ था. बाद में यह मामला कोर्ट में गया. इस संबंध में अकलेरा की एडीजे कोर्ट ने दिसंबर 2020 में कंवरलाल मीणा को मामले में दोषी करार देते हुए उनको तीन तीन साल की सजा सुनाई थी. उसके बाद मीणा ने एडीजे कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट का रुख किया. राजस्थान हाईकोर्ट में भी यह मामला पांच साल तक चला. फिर हाल ही में हाईकोर्ट ने निचली अदालत की तरफ से दिए गए सजा के फैसले को बरकरार रखा. .
कंवरलाल मीणा की विधायकी कैसे खतरे मेंजेल जाने के बाद अब मीणा की विधायकी पर खतरा मंडरा गया है. इसके पीछे वजह है जनप्रतिनिधत्व अधिनियम नियम 1951. इसके तहत 2 वर्ष से अधिक कारावास की सजायफ्ता कोई नेता विधानसभा या संसद सदस्यता के योग्य नहीं रहता है. कांग्रेस इस मामले को लेकर पहले बीजेपी पर हमलावर हो चुकी है. सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने पर वह चुप हो गई थी. लेकिन अब फिर से यह मामला तूल पकड़ने के आसार बन गए हैं. कांग्रेस उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग कर रही है. इसके लिए वह राहुल गांधी के केस का हवाला दे रही है.
निखिल वर्मा
एक दशक से डिजिटल जर्नलिज्म में सक्रिय. दिसंबर 2020 से Hindi के साथ सफर शुरू. न्यूज18 हिन्दी से पहले लोकमत, हिन्दुस्तान, राजस्थान पत्रिका, इंडिया न्यूज की वेबसाइट में रिपोर्टिंग, इलेक्शन, खेल और विभिन्न डे…और पढ़ें
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