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पाली अस्पताल में एक मरीज का आया ऐसा केस, डॉक्टर भी बोल पड़े- ’20 साल के करियर में पहली बार मामला’

Agency: Rajasthan

Last Updated:February 11, 2025, 17:09 IST

पाली के बांगड अस्पताल में 13 साल के बच्चे को 3 फरवरी की दोपहर परिजन बांगड़ हॉस्पिटल लेकर पहुंचे थे, तब उसकी हालत नाजुक थी. हार्ट पंपिंग काफी कम कर रहा था, फेफड़ों के आसपास पूरी बॉडी में पानी भरा हुआ था, सांस लेने…और पढ़ेंX
अस्पताल
अस्पताल में चेकअप करते डॉक्टर

हाइलाइट्स

पाली अस्पताल में 13 साल के बच्चे का सफल इलाज हुआ.बच्चे के दिल और लिवर के आसपास 10 लीटर पानी भरा था.डॉक्टरों ने 7 दिन में बच्चे की जान बचाई.

पाली:- मेडिकल साइंस के लिहाज से बात करें, तो आजकल लगभग हर बीमारी का इलाज है. ऐसे में इस दौरान कई बीमारियां तो ऐसी भी सामने आती हैं, जिससे डॉक्टर खुद भी हैरान रह जाते हैं. पाली जिले बांगड अस्पताल के डॉक्टर्स की टीम के सामने एक बच्चे के अंदर इस तरह की बीमारी सामने आई, जो काफी डिफरेंट थी. इस बीमारी में 13 साल के बच्चे के दिल की धड़कन कमजोर हो गई थी, सांस लेने में दिक्कत थी, वजन 8 किलो घटकर 22 किलो रह गया था. हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने चेक किया, तो पाया कि दिल और लिवर के आसपास 10 लीटर पानी भरा है. बच्चे को भर्ती कर 7 दिन में इलाज कर उसकी जान बचा ली गई. चिकित्सकों की मानें, तो उनका कहना है कि 20 साल के करियर में पहला ऐसा मामला उन्होंने देखा है.

जब बच्चा आया था अस्पताल, तब हालत थी नाजुक पाली जिले में ही आने वाले बाली उपखंड के कोयलाव क्षेत्र में रहने वाले 13 साल के बच्चे को 3 फरवरी की दोपहर परिजन बांगड़ हॉस्पिटल लेकर पहुंचे थे, तब उसकी हालत नाजुक थी. हार्ट पंपिंग काफी कम कर रहा था, फेफड़ों के आसपास पूरी बॉडी में पानी भरा हुआ था, सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. मगर चिकित्सकों की टीम द्वारा दिए गए बेहतर ट्रिटमेंट के चलते बच्चे का इलाज हो पाया.

5 दिन तक बच्चे को रखा वेंटिलेटर पर बांगड अस्पताल के चाइल्ड विभाग के यूनिट हेड डॉक्टर आरके विश्नोई के नेतृत्व में टीम ने बच्चे की गंभीर हालत देख उसे तुरंत वेंटिलेटर पर रखने का फैसला लिया. 5 दिन वेंटिलेटर पर रखा. उसकी बॉडी और फेफड़ों में भरे पानी को बाहर निकाला और मरीज के हार्ट की मांसपेशियों को मजबूत करने का इलाज शुरू किया. 5 दिन बाद उसकी हालत में सुधार हुआ, जिसके बाद डॉक्टर्स ने ट्रिटमेंट को आगे बढाया. फिर उसे 2 दिन हाई फ्लो नोजल केनुला मशीन पर रखा गया, जिसमें मरीज की बॉडी को ऑक्सीजन हाई फ्लो से मिलती रहे. 7 दिन की मेहनत के बाद उसे नार्मल ऑक्सीजन पर लिया गया. अब बच्चे की हालत पूरी तरह खतरे से बाहर बताई जा रही है.

इलाज में हॉस्पिटल की यह टीम रही शामिलपाली के बांगड़ हॉस्पिटल के पीआईसीयू वार्ड में मासूम का इलाज चल रहा है. इसमें बात की जाए, तो चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. आरके विश्नोई के नेतृत्व में बच्चों की कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर निधि कौशल, डॉ. प्रियाबा चुडासमा, डॉ. समीर, डॉ. राजीव, डॉ. कैलाश सीरवी, डॉ. चंद्रवीर, डॉ. अंकुर खंडेलवाल, नर्सिंग अधिकारी कुलदीप मेवाड़ा, कुलदीप गोयल, नरेंद्र कुमार जुटे रहे. सभी टीम ने मिलकर बेहतर ट्रिटमेंट दिया, जिसके चलते ही मासूम की जिंदगी को खतरे से बाहर निकालकर एक नया जीवनदान देने का काम किया है.

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20 साल के करियर में पहली बार आया ऐसा केसअस्पताल की डॉक्टर आरके विश्नोई की मानें, तो इस तरह का जो केस सामने आया है, वह 20 साल के करियर में पहला मौका है, जब इस हालत में मासूम मरीज सामने आया. उसके अधिकांश ऑर्गन फेल्योर कंडीशन में थे. कारण फिलहाल स्पष्ट नहीं हो पाया है, इसके लिए जांच की जाएगी. बच्चे की यूरिनल पार्ट में भी समस्या है. जिस रास्ते से यूरीन पास होना चाहिए, वहां से नहीं आकर दूसरे रास्ते से आ रहा है. इसे लेकर भी फिलहाल जांच की जा रही है और इलाज किया जाएगा. अब बच्चे की हालत में काफी सुधार है.


First Published :

February 11, 2025, 17:09 IST

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पाली के बांगड अस्पताल में एक मरीज का आया ऐसा केस, डॉक्टर भी रह गए हैरान

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