Rajasthan Chunav Result: चूरू में बगावत ने किया बेड़ा पार, कोटा में डूबी नैया, न इधर के रहे न उधर के…

जयपुर. लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद जहां जीतने वाले जश्न मना रहे हैं वहीं हारने वाले हार के कारणों को ढूंढने में जुटे हैं. राजस्थान में इस बार बीजेपी के दो बड़े नेताओं ने बगावत का झंडा बुलंद किया था. इनमें चूरू के सांसद राहुल कस्वां और कोटा उत्तर के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल शामिल हैं. दोनों ही बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस ने दोनों को ही चुनाव मैदान में उतारा था. इनमें राहुल चुनाव जीतने में सफल हो गए लेकिन गुंजल हार गए.
अपने तीखे तेवरों के कारण अक्सर चर्चा में रहने वाले प्रहलाद गुंजल ने इस बार कोटा से टिकट नहीं मिलने पर बगावती तेवर अपना लिए थे. बाद में कांग्रेस के पाले में चले गए. कांग्रेस ने गुंजल को कोटा-बूंदी लोकसभा सीट से चुनाव का टिकट थमा दिया. उसके बाद गुंजल पूरी तैयारी के साथ बीजेपी प्रत्याशी लोकसभा स्पीकर ओम बिरला का मुकाबला करने के लिए चुनाव मैदान में उतर गए. गुंजल के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि उन्हें टिकट तो दे दिया गया लेकिन स्थानीय कार्यकर्ताओं ने उनको दिल से नहीं स्वीकारा.
सम्मान के लिए समझौता नहीं संघर्ष किया जाता हैगुंजल कोटा उत्तर विधानसभा सीट और रामगंजमंडी से विधायक रह चुके हैं. उन्होंने साल 2013 के चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता और गहलोत सरकार में कई बार मंत्री रहे शांति धारीवाल को हराया था. उसके बाद 2018 में शांति धारीवाल ने गुंजल को हराकर अपनी हार का बदला ले लिया था. 2023 में दोनों फिर आमने सामने हुए. इस बार भी धारीवाल ने गुंजल को हरा दिया. दोनों के बीच पूर्व में कई मसलों को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल चुका है. दोनों की राजनीतिक प्रतिद्वंदता किसी से छिपी नहीं है. गुंजल का ध्येय वाक्य है सम्मान के लिए समझौता नहीं संघर्ष किया जाता है.
कांग्रेस में पूरी तरह से स्वीकार्य नहीं हो पा रहे हैंगुंजल के पाला बदलने के बाद भी कांग्रेस नेताओं से प्रतिद्वंदता गाहे बगाहे सामने आती रही. यहां तक कि लोकसभा चुनाव के दौरान गुंजल और धारीवाल ने जब मंच साझा किया तब भी तल्खियां सामने आई. लेकिन दोनों फिर साथ हो गए. सूत्रों के अनुसार गुंजल की कांग्रेस नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं से उनकी पुरानी तल्खियां चुनाव में उन पर भारी पड़ गई और वे भितरघात का शिकार हो गए. बहरहाल गुंजल बीजेपी अब छोड़ चुके हैं लेकिन स्थानीय कांग्रेस में पूरी तरह से स्वीकार्य नहीं हो पा रहे हैं.
राहुल को मिला राजनीतिक विरासत और माहौल का फायदादूसरी तरफ चूरू में टिकट कटने नाराज होकर बीजेपी सांसद राहुल कस्वां ने भी बगावत का झंडा बुलंद कर दिया था. उन्होंने टिकट कटने के लिए अपने प्रतिदंदी पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ को जिम्मेदार ठहराया. इससे माहौल में तल्खी आ गई. बाद में राहुल ने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया. कांग्रेस ने उनको भी तत्काल चुनाव मैदान में उतार दिया. राहुल खुद दो बार सांसद रह चुके थे. उनके पिता राम सिंह कस्वां तीन बार सांसद और दो बार विधायक रह चुके हैं. राहुल की मां जिला प्रमुख रह चुकी हैं. इस पूरी विरासत के साथ ही बगावत के पैदा हुए हालात का राहुल को फायदा मिला और वे तीसरी बार सांसद बन गए.
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FIRST PUBLISHED : June 5, 2024, 14:13 IST