थाने से चलकर बार-बार एक्सीडेंट वाली जगह पहुंच जाती थी ओम बन्ना की बुलेट, ये थी पूरी घटना

देश के अधिकतर धार्मिक स्थलों में किसी न किसी मूर्ति, पेड़-वृक्ष या पशु-पक्षी की पूजा होती है लेकिन, एक ऐसा मंदिर है जहां बुलेट (बाइक) की पूजा होती है. इसके पीछे की कहानी भी बहुत रोचक है. हम जिस मंदिर की बात कर रहे हैं वह राजस्थान के पाली जिले के चोटिला गांव में स्थित ओम बन्ना देवल (धाम) है. यहां एक दुर्घटना में बुलेट चालक की मौत हो गई और बुलेट को थाने ले जाया गया. बुलेट धाने से वापस उसी एक्सीडेंट वाली जगह पर आ जाती थी. इसके बाद इस धाम में बुलेट चालक ओम बन्ना और उनके बाइक की पूजा होने लगी. इसलिए इस धाम को “ओम बन्ना धाम” या “बुलेट बाबा मंदिर” कहा जाता है. चलिए जानते हैं इस बुलेट मंदिर के पीछे की पूरी कहानी.
एक्सीडेंट में हो गई थी ओम बन्ना की मौतबात साल 1988 की है. ताकतवर राजपूत परिवार के ओम सिंह राठौर उर्फ ओम बन्ना अपनी बाइक रॉयल एनफील्ड 350 (बुलेट) से पाली से अपने गांव चोटिला लौट रहे थे. रास्ते में उनकी बाइक पेड़ से टकरा गई और बन्ना की मौत हो गई. पुलिस ने मामला दर्ज कर बन्ना का शव परिजनों को सौंप दिया और बाइक को थाने ले गई. इसके बाद ही चमत्कार हुआ. दूसरे दिन पुलिस वालों ने देखा कि बाइक थाने में नहीं है. तलाश करने के बाद बाइक दुर्घटना वाली जगह पर मिली. वहां से बाइक को फिर से थाने लाया गया. रात में बाइक फिर से थाने से गायब हो गई और उसी जगह पहुंच गई. पुलिस वालों ने अब बाइक का पेट्रोल निकालकर उसे चैन से बांध दिया. इसके बाद भी वह स्टार्ट होकर एक्सीडेंट वाली जगह पहुंच गई.
बाइक से जुड़ी यह घटना गांव और आसपास के लोगों तक फैल गई. इस पर गांव वालों ने फैसला लिया कि बाइक को घटना वाली जगह पर ले जाकर रख दिया जाए. उसके बाद से ही इस स्थान पर लोग बाइक की पूजा करने लगे. कहते हैं कि अपने निधन के दो-तीन बाद ही बन्ना ने अपनी मां को सपने में घटना स्थल पर देवल बनाने को कहा था. इसके बाद यहां देवल की स्थापना की गई. तब से लेकर आज तक लोग बन्ना और उनके बाइक की पूजा करते आ रहे हैं.
शीशे के अंदर रखी है बुलेटओम बन्ना मंदिर में फूल माला से सजी काले रंग की रॉयल एनफील्ड बुलेट शीशे से बने एक बॉक्स के अंदर रखी है. बुलट का नंबर RNJ 7773 है. बीते 33 सालों से भी अधिक समय से लोग यहां पूजा-पाठ करते आ रहे हैं. जिन लोगों को भी इस स्थान के बारे में जानकारी है वो सभी वाहन चालक यहां मत्था टेकना नहीं भूलते. अब तो लोग घर के मांगलिक कार्यों में भी यहां धोक लगाने (जात देने) आते हैं.
ओम बन्ना देवल पर सुबह सात बजे और शाम को सात बजे आरती की जाती है. इसमें बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं. वैसे तो आरती ओम बन्ना के परिजन ही करते है लेकिन उनके न होने पर पुजारी और गांव के लोग आरती करते हैं. आरती के समय घंटे-घडि़याल के साथ ही ढोल आदि बजाए जाते हैं. लोग ओम बन्ना के नाम से लोकगीत भी गाते है.
लगता है शराब का भोगओम बन्ना मंदिर में लड्डू या किसी अन्य मिठाई नहीं बल्कि शराब का भोग लगाया जाता है. प्रसाद रूप में भी शराब ही वितरित की जाती है. लोग अपनी सुरक्षित यात्रा की कामना करते हुए मंदिर में शराब की बोतल चढ़ाते हैं. यहां अधिकांश लोग मन्नत मांगने भी आते हैं और मन्नत पूरी होने के बाद आते हैं.
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FIRST PUBLISHED : August 11, 2024, 11:17 IST