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Skanda sashti: Negative energy will end with this worship, know Muhurta & method | स्कंद षष्ठी: इस पूजा से नकारात्मक ऊर्जा होगी समाप्त, जानें मुहूर्त और विधि

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है। स्कंद षष्ठी का दिन खास होता है, इस दिन व्रत रखने से संतान के कष्ट कम होने के साथ अपने आस- पास की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। आषाढ़ मास की स्कंद षष्ठी का व्रत आज 15 जुलाई दिन गुरुवार को है। यह दिन भगवान शिव के बड़े पुत्र और देवताओं के सेनापति स्कंद कुमार यानी भगवान कार्तिकेय  को समर्पित है। दक्षिण भारत में लोग इस तिथि को एक उत्सव के रूप में बहुत ही श्रद्धा भाव से मनाते हैं।

पुराणों के अनुसार, इस दिन संसार में हो रहे कुकर्मों को समाप्त करने के लिए कार्तिकेय का जन्म हुआ था। स्कन्द, मुरुगन, सुब्रमण्यम यह सभी नाम भगवान कार्तिकेय के हैं। बताया जाता है कि स्कंद षष्ठी की उपासना से च्यवन ऋषि को आंखों की ज्योति प्राप्त हुई थी। इस दिन यह भी बताया गया है कि स्कंद षष्ठी की कृपा से प्रियव्रत के मृत शिशु के प्राण लौट आए थे। आइए जानते हैं स्कंद षष्ठी पूजा की विधि और मुहूर्त…

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शुभ मुहूर्त
तिथि आरंभ: 15 जुलाई, गुरुवार सुबह 7 बजकर 16 मिनट से 
तिथि समापन: 16 जुलाई, शुक्रवार शाम 6 बजकर 6 मिनट पर  

पूजा विधि
– स्नानादि से निवृत्त होने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें।
– घर के मंदिर को साफ करें और सूर्य को जल चढ़ाएं।
– इसके बाद भगवान कार्तिकेय की पूजा का संकल्प लें।
– भगवान शिव और माता पार्वती के साथ भगवान स्कंद की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। सबसे पहले भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। 
– इसके बाद अक्षत्, धूप, दीप, फूल, गंध, फल आदि से भगवान कार्तिकेय की पूजा करें। भगवान कार्तिकेय के मंत्रों का जाप करें। 
– पूजा के अंत में आरती करें। 
– भगवान स्कंद से प्रार्थना करें और फिर प्रसाद लोगों में वितरित करें।

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इन बातों का रखें ध्यान
इस दिन दान आदि कार्य करने से विशेष लाभ मिलता है। स्कंद देव की स्थापना करके अखंड दीपक जलाए जाते हैं। कार्तिक भगवान को स्नान करवाकर, नए वस्त्र पहनाकर, पूजा की जाती है। इस दिन भगवान को भोग लगाया जाता है। स्कंद षष्ठी पूजन में तामसिक भोजन मांस, शराब, प्याज, लहसुन का त्याग करना चाहिए और ब्रह्मचर्य आवश्यक होता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय पर दही में सिंदूर मिलाकर चढ़ाने से व्यवसाय पर आ रहे व्यावसायिक कष्ट समाप्त हो जाते हैं और आर्थिक स्थिति अच्छी होती है। इस दिन पूरे मन से भगवान कार्तिकेय का पूजन करने से जीवन के अनेक प्रकार के कष्ट दूर होते हैं।

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