Rajasthan

Fixed Charge In Electricity Purchase In Rajasthan – बिजली खरीद में फिक्स चार्ज के नाम पर 11.50 हजार करोड़ में गड़बड़झाला

पंजाब में महंगी बिजली खरीद अनुबंध की आग धधकी हुई है और इसी तरह की तपन से राजस्थान भी झुलस रहा है।

भवनेश गुप्ता/जयपुर। पंजाब में महंगी बिजली खरीद अनुबंध की आग धधकी हुई है और इसी तरह की तपन से राजस्थान भी झुलस रहा है। यहां बिजली खरीद प्रक्रिया में सालाना 40 हजार करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। इसमें से 23 हजार करोड़ रुपए बिजली खरीद भुगतान में दिए और 11.50 हजार करोड़ रुपए केवल फिक्स चार्ज के रूप में बिजली उत्पादन कंपनियों को दे रहे हैं। यानि, बिजली खरीद में जितना पैसा खर्च हुआ, उससे आधी रकम उत्पादन कंपनियों के बिजलीघर को संभालने और संचालन के लिए दे दी गई। बाकी राशि ट्रांसमिशन चार्ज के रूप में खर्च हुई।

गंभीर यह है कि इसके लिए बिजली वितरण कंपनियों ने उत्पादन कंपनियों के साथ जो अनुबंध किए हैं, उनमें से 9 पॉवर प्लांट ऐसे हैं जहां से हमें जरूरत से ज्यादा महंगी बिजली खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है। इनमें से 7 मामलों में अनुबंध को करीब-करीब 25 साल पूरे हो गए लेकिन फिर भी फिक्स चार्ज के रूप में करोड़ों रुपए लुटाने का खेल चलता रहा। इसका सीधा असर उपभोक्ताओं को महंगी बिजली खरीदकर चुकाना पड़ रहा है। हालांकि, उर्जा विभाग ने ऐसे कुछ अनुबंध रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की है। लेकिन जो पॉवर प्लांट बंद करने थे उनमें सियासी दखल के बाद ग्रहण लग गया।

अनुबंध ही ऐसे की बाहर निकल नहीं पाएं
बिजली उत्पादन कंपनियों के साथ इस तरह समझौते किए गए हैं कि डिस्कॉम्स महंगी बिजली खरीदने पर मजबूर होता रहे। पहले तो 20 से 25 वर्ष के लम्बे अनुबंध और फिर उसमें ऐसे प्रावधान की डिस्कॉम्स को फिक्स चार्ज भी लम्बे समय तक देना पड़ रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक 12 से 15 वर्ष तक के अनुबंध होने चाहिए थे, जिसके बाद डिस्कॉम्स के पास मोलभाव कर फिक्स चार्ज में कमी या बंद कराने का विकल्प होता।

बाजार के मुकाबले में चार गुना तक ज्यादा लुटा रहे
– डिस्कॉम्स को कई पॉवर प्लांट से 15 रुपए प्रति यूनिट तक बिजली खरीदनी पड़ रही।
– बाजार (इलेक्ट्रिसिटी एक्सचेंज) में औसतन 3.50 रुपए प्रति यूनिट में बिजली उपलब्ध है।
– राष्ट्रीय औसत दर 3.90 रुपए प्रति यूनिट तक है।
(बाजार से एक लिमिट तक ही बिजली खरीद की अनुमति है)

यहां बिजली खरीद से ज्यादा तो फिक्स चार्ज दे रहे
पॉवर स्टेशन—————कुल दर———फिक्स चार्ज——एनर्जी चार्ज
पीटीसी डीबी पावर —— 4.11 —— 2.28 —— 1.83
रामपुर हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट —— 6.56 —— 4.37 —— 2.19

कोलडेम हाइड्रो पावर स्टेशन —— 5.47 —— 2.96 —— 2.51
अंता जीटीपीएस —— 15.38 —— 12.58 —— 2.80

ओरैया जीटीपीएस —— 9.67 —— 5.59 —— 4.07
दादरी गैस, उत्तरप्रदेश —— 5.41 —— 2.52 —— 2.88

दुलहस्ती पावर प्लांट —— 5.20 —— 2.63 —— 2.57
परबाती एनएचपीसी —— 5.52 —— 3.97 —— 1.54

पीटीसी टेस्ता —— 5.95 —— 3.22 —— 2.72
सिंगरौली एचईपी —— 5.22 —— 2.61 —— 2.61

उरी-द्वितीय हाइड्राइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट —— 5.32 —— 3.12 —— 2.20
(आंकड़े रुपए प्रति यूनिट में)

इस तरफ ध्यान दिया जाए तो बने बात
केन्द्र सरकार ने 25 साल पुराने बिजली खरीद अनुबंध को निरस्त करने की छूट दी है। इसका मतलब बिजली वितरण और विद्युत उत्पादन कंपनी के बीच एग्रीमेंट किए हुए 25 साल ही आधार नहीं है, बल्कि यदि संबंधित प्लांट को संचालित हुए 25 साल हो गए तो भी अनुबंध निरस्त कर सकते हैं। मसलन, प्लांट 1990 में लगा था और हमने उससे बिजली खरीद का अनुबंध 2001 में किया है तो भी हम अनुबंध निरस्त कर सकते हैं। फिर भले ही अनुबंध को अभी बीस साल ही क्यों न हुए हों।

मोलभाव का विकल्प
25 साल पुराने अनुबंध निरस्त करते समय मोलभाव (नेगोसिएशन) भी कर सकते हैं। यदि फिक्स चार्ज खत्म कर दे और बिजली खरीद दर ही ले तो उससे आगे भी बिजली खरीदी जा सकती है। पंजाब इस तरफ बढ़ रहा है।

हाईपावर कमेटी से हो ऑडिट
बिजली खरीद अनुबंध की हाईपॉवर कमेटी के जरिए ऑडिट हो। अभी अनुबंध करने और बिजली खरीदने वाली सरकारी एजेंसियां एक ही विभाग के दायरे में है। इससे जनता के बीच वास्तविक स्थिति आएगी और परदर्शिता बढ़ेगी। अभी ऊर्जा विकास निगम बिजली खरीद कर बिल डिस्कॉम्स को भेजता है।

इसलिए ले रहे फिक्स चार्ज
बिजली उत्पादक प्लांट मशीनरी, उसके रखरखाव, संचालन और उसके लिए गए लोन से जुड़ी ब्याज राशि के लिए फिक्स चार्ज लेता है। इसके लिए उत्पादक और डिस्कॉम के बीच अनुबंध होता है। यदि डिस्कॉम संबंधित उत्पादक से बिजली नहीं खरीदता है तो भी उसे फिक्स चार्ज देने होते हैं।

अनुबंध में यहां पेच, पंजाब में सिद्धू ने दिखाई राह
बिजली उत्पादन कंपनियों से ऐसे समझौता किए कि सरकारी महंगी खरीद को मजबूर रहे। पहले तो 25 वर्ष के लम्बे अनुबंध और फिर ऐसे प्रावधान कि फिक्स चार्ज भी लम्बे समय तक देना पड़े। पंजाब में भी ऐसा ही हुआ। हाल ही में कांग्रेस नेता नवजोत सिद्धु ने लगातार ट्वीट कर यह मुद्दा उठाया। साथ ही इससे निजात की राह दिखाई। उन्होंने विधानसभा में नेशनल पावर एक्सचेंज पर उपलब्ध कीमतों पर बिजली खरीद लागत के लिए नया कानून लाने का विकल्प सुझाया है। नए कानून से महंगे बिजली खरीद अनुबंध बीच में ही रद्द किया जा सकता है।

पावर परचेज एग्रीमेंट की समीक्षा कर रहे हैं। एनटीपीसी के कुछ पावर प्लांट हैं जिनके अनुबंध मामलों में जरुरत हुई तो विद्युत विनियामक आयोग भी जाएंगे। राहत के लिए सभी विकल्प खुले हैं।
बीडी कल्ला, ऊर्जा मंत्री

सरकार एक तरफ बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी ओर निजी बिजली उत्पादन कंपनियों से ऊंचे दामों पर बिजली खरीदकर उन्हें उपकृत करने का काम किया जा रहा है। बिजली एक्सचेंज में 3 से 3.50 रुपए यूनिट में बिजली उपलब्ध है।इसके बावजूद सरकार 12 रुपए तक यूनिट बिजली खरीद रही है। ऐसे पावर परचेज एग्रीमेंट को तत्काल रद्द किया जाना चाहिए। यह सरकार के अधिकार क्षेत्र में है।
राजेन्द्र राठौड़, उपनेता प्रतिपक्ष

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