Rajasthan

खत्म होगी ‘राजस्थान की रार’ या जारी रहेगी तकरार? ‘पायलट बनाम गहलोत’ जंग में क्या होगा? ये हैं 6 संभावनाएं

नई दिल्ली: सचिन पायलट के अगले फैसले से राजस्थान में कांग्रेस की किस्मत का फैसला होगा और चुनावी बिसात के समीकरण बनेंगे. पायलट ने महात्मा गांधी की तस्वीर के साथ एक दिन का अनशन करके नया सस्पेंस खड़ा कर दिया है. अब 6 नई संभावनाएं बन रही हैं. 1. क्या सचिन पायलट कांग्रेस छोड़ेंगे? 2. क्या कांग्रेस पायलट के खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्रवाई करेगी? 3. क्या सचिन पायलट नई पार्टी बनाएंगे या कांग्रेस में रहकर अशोक गहलोत को घेरेंगे? 4. पायलट ने कांग्रेस छोड़ी तो क्या हो सकते हैं विकल्प? 5. क्या सचिन पायलट या हनुमान बेनीवाल का गठबंधन राजस्थान का सियासी समीकरण बदल सकता है? 6. क्या कांग्रेस पार्टी सचिन पायलट को मनाएगी और फिर गहलोत-पायलट जोड़ी को चुनाव में उतारने की कोशिश करेगी?

क्या पायलट पार्टी छोड़ेंगे?
सचिन पायलट कांग्रेस छोड़ने के मूड में फिलहाल नहीं दिखते. इसकी दो वजहे हैं. पायलट जानते हैं कि राजस्थान में इस विधानसभा चुनाव के बाद गहलोत का दौर लगभग खत्म है और राजस्थान कांग्रेस में अशोक गहलोत के बाद उनके कद का कोई नेता नहीं है. यानी सचिन पायलट के लिए कांग्रेस में रहकर राजस्थान में अशोक गहलोत का उत्तराधिकारी बनने की संभावना है. ऐसे में वह 2028 की तैयारी कर सकते हैं. अब सवाल यह कि फिर पार्टी का निशान छोड़ अपने दम पर अनशन क्यों? पार्टी को यह ताकत दिखाना कि राजस्थान में पायलट अकेले दमखम रखते हैं और अलग चलने का फैसला करेंगे तो कांग्रेस को भारी नुकसान होगा.

क्या सचिन पायलट पर कांग्रेस अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी?
ऐसी संभावना कम है. हालांकि, अशोक गहलोत चाहते हैं कार्रवाई हो. लेकिन प्रियंका गांधी, पायलट की ढाल बनकर खड़ी हैं. प्रियंका ने पायलट को फोन भी किया, इसी वजह से अनशन खत्म करने के बाद वह रात को ही दिल्ली चले गए, जबकि उन्हें जाना सुबह था. दूसरी वजह यह कि कांग्रेस को डर है कि सचिन पायलट के खिलाफ कार्रवाई की तो पार्टी को नुकसान हो सकता है. सचिन पायलट सहानुभूति कार्ड खेलकर हीरो बन सकते हैं.

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तीसरी वजह यह कि जब 25 सिंतबर, 2022 को अशोक गहलोत गुट के नेताओं ने बगावत की थी, तो उनके खिलाफ अभी तक कांग्रेस ने कार्रवाई नहीं की, तो फिर पायलट पर कार्रवाई का कोई आधार नहीं. पायलट ने पार्टी या गहलोत के खिलाफ भी कोई बात नहीं की. वसुंधरा राजे के शासन में भ्रष्टाचार की जांच की मांग पर अनशन को लेकर पायलट के खिलाफ कार्रवाई से कांग्रेस को राजनीतिक नुकसान अधिक है, इसलिए अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी के बावजूद ऐसी संभावना कम है.

क्या सचिन पायलट नई पार्टी बनाएंगे?
इसकी दो संभवनाएं हैं. अगर कांग्रेस पायलट के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं करेगी, तब वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे, लेकिन शक्ति प्रदर्शन जारी रहेगा. वह कांग्रेस पर कार्रवाई या समझौते का दबाव बनाकर रखेंगे. लेकिन कांग्रेस ने अगर पायलट के खिलाफ कार्रवाई की, तो वह एक बड़ी रैली कर सहानूभूति कार्ड का इस्तेमाल कर नई पार्टी बनाएंगे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को विलेन बनाने की कोशिश करेंगे. सचिन पायलट ने नई पार्टी बनाने के लिए जरूरी तैयारी और संसाधन का खाका तैयार कर रखा है. पूर्वी राजस्थान में सचिन पायलट चुनाव से पहले ताकत बनकर खड़ा होने की कोशिश करेंगे. उनके पास पूरे राजस्थान में अपनी टीम है. प्रभावशाली जाट, गुर्जर, मीणा और एससी समुदाय से आने वाले कई नेता सचिन पायलट के साथ खड़े हो सकते हैं.

क्या पायलट कांग्रेस में रहकर अशोक गहलोत को घेरेंगे?
सचिन पायलट की लड़ाई कांग्रेस में किसी और से नहीं सिर्फ अशोक गहलोत से है. वह मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं और अगले चुनाव में कांग्रेस का सीएम फेस. अशोक गहलोत ने सचिन पायलट की यह उम्मीद लगभग खत्म कर दी है. अब छह महीने बाद चुनाव में जाना है और गहलोत की विधायकों पर पकड़ और पार्टी की गहलोत पर निर्भरता की मजबूरी के चलते कांग्रेस उनके साथ खड़ी हो गई. ऐसे में सचिन पायलट कांग्रेस छोड़कर अशोक गहलोत को वॉक ओवर देने की बजाय, कांग्रेस में रहकर अशोक गहलोत की ताकत खत्म करना चाहते हैं. सचिन पायलट प्रदेश में दौरों और रैलियों के जरिए गहलोत पर दबाब बनाकर रखना चाहते हैं. वह पार्टी पर सीएम नहीं तो प्रदेश अध्यक्ष बदलने का दबाव बनाना चाहते हैं. अशोक गहलोत अकेले विधानसभा चुनाव में टिकट न बांट सकें, यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं. यानी पायलट अपने समर्थकों को अधिक से अधिक टिकट दिलाना चाहते हैं, जिससे पार्टी में उनका असर कम हो. अशोक गहलोत, सचिन पायलट की भूमिका टिकट बांटने में कम करना चाहते हैं, इसलिए सीएम तो दूर पायलट या उनके नजदीकी को प्रदेश अध्यक्ष भी नहीं बनना देना चाहते हैं.

अगर सचिन पायलट ने कांग्रेस छोड़ी तो क्या विकल्प?
राजस्थान में गुर्जर समुदाय की आबादी करीब 7 फीसदी है. राजस्थान में 55 सीटों पर गुर्जर समुदाय का प्रभाव है. पूर्वी-दक्षिणी राजस्थान की 30 सीटों पर गुर्जर वोट बैंक निर्णायक स्थिति में है. इसके अलावा सचिन पायलट का जाटों में खासा प्रभाव है. पूर्वी राजस्थान में गुर्जर-मीणा गठजोड़ भी पायलट ने बना रखा है. पूर्वी राजस्थान गुर्जर-मीणा और पश्चिमी राजस्थान में जाट-गुर्जर गठबंधन से सचिन पायलट राजस्थान में तीसरी ताकत बन सकते हैं. नुकसान सीधा कांग्रेस को होगा.

क्या सचिन पायलट-हनुमान बेनिवाल का गठबंधन होगा?
अगर सचिन पायलट नई पार्टी बनाकर हनुमान बेनिवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी से गठबंधन करते हैं, तो कांग्रेस ही नहीं बीजेपी के सामने भी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं. बेनिवाल की पार्टी आरएलपी ने 2018 के विधानसभा चुनाव में 3 सीटें जीतीं और 35 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही. जाट​ बहुल पश्चिमी राजस्थान में हनुमान बेनिवाल तीसरी ताकत हैं. पूर्वी राजस्थान में सचिन पायलट ताकतवर हैं. दोनों राजस्थान में लोकप्रिय नेता हैं. युवाओं में दोनों का क्रेज है. दोनों का मिलना कांग्रेस के लिए संकट ​खड़ी कर सकती है. पार्टी से बाहर जाने पर राजस्थान में सचिन पायलट कांग्रेस के लिए जगन मोहन रेड्डी बन सकते हैं. यानी कांग्रेस के ​अस्तित्व पर खतरा.

Tags: Ashok gehlot, Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot, Sachin pilot

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