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Rajasthan Politics : राजस्थान की BJP प्रत्याशी ज्योति मिर्धा के एक बयान पर मचा ‘बवाल’, दिल्ली तक गर्माया सियासी पारा | Rajasthan BJP Jyoti Mirdha reacts on Congress Shashi Tharoor over Constitutional amendment statement

हनुमान बेनीवाल ने भी साधा निशाना
नागौर लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी डॉ ज्योति मिर्धा के विवादित बयान को लेकर प्रतिद्वंदी आरएलपी-इंडिया गठबंधन प्रत्याशी हनुमान बेनीवाल की प्रतिक्रिया आना भी लाज़मी था। बेनीवाल ने ज्योति मिर्धा के बयान का वीडियो शेयर करते हुए अपनी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया के ज़रिए जारी की।

बेनीवाल ने अपनी प्रतिक्रिया में लिखा, ‘लोकतंत्र में अब हम सब के लिए यह विचारणीय है कि किसी भी प्रत्याशी के विचार हमें किस दिशा की और ले जाने वाले है? यह संबोधन मेरे सामने नागौर लोक सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रही भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार का है, जिनके द्वारा फिर से सत्ता में आने के बाद संविधान बदलने की बात की जा रही है।’

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बेनीवाल ने आगे कहा, ‘इनके बयानों से यह स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी बाबा साहब के संविधान को खत्म करने को आतुर है। नागौर लोकसभा से भाजपा उम्मीदवार अपने बयानों के माध्यम से स्वयं उनके और उनकी भाजपा पार्टी के विचारों से जनता को अवगत करवा रही है कि इस बार सत्ता में आने के बाद दलितों और पिछड़ों से संविधान प्रदत्त आरक्षण रूपी हक छीनकर उन्हें सामाजिक न्याय से वंचित करने का प्रयास किया जाएगा।

ज्योति मिर्धा ने जारी की ‘सफाई’
बयान पर मच रहे बवाल के बीच ज्योति मिर्धा ने सोशल मीडिया के माध्यम से ही अपना पक्ष रखा। अपनी ‘सफाई’ में उन्होंने कहा, ’31 मार्च 2024 को, एक आम सभा में संविधान संशोधन की प्रक्रिया को समझाने के उद्देश्य से की गई मेरी एक सामान्य टिप्पणी को विपक्ष के कुछ माननीय नेताओं द्वारा तूल देकर तिल का ताड़ बनाने का प्रयास किया हैं, जो मेरी समझ में ना केवल अनावश्यक है अपितु पूरी तरह अवांछित है।’

मिर्धा ने आगे कहा, ‘निंदा करने वाले सभी सम्मानित महानुभाव विधि एवं संविधान के ज्ञाता हैं और वे सभी जानते हैं कि 1950 से पिछले वर्ष तक संविधान में 106 संशोधन हुए हैं। पिछले वर्ष जो सबसे अंतिम और अत्यंत ऐतिहासिक संशोधन हुआ, उसी के फलस्वरूप हमारा दशकों से लंबित महिलाओं के संसद में 33% आरक्षण का सपना साकार हो पाया है, जिसका इन्हीं महानुभावों (शशि थरूर) ने भी संसद मे पुरजोर समर्थन किया था।’

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डॉ मिर्धा ने आगे कहा, ‘पूर्व में भी अनेक संशोधन देश हित एवं जनहित के उद्देश्य से ही संविधान में किए गए हैं। यहां यह कहना अत्यंत आवश्यक है कि हमारा पवित्र संविधान एक जीवंत दस्तावेज है, जिसमें समय-समय पर संशोधन जनता और देश का कल्याण सोचकर ही किए गए हैं। जिन बाबा साहेब आंबेडकर का संदर्भ देकर मेरी निंदा की जा रही है, उन्होंने भी इस आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए ही संविधान मे अनुच्छेद 368 का प्रावधान किया था।अतः मेरे उस वक्तव्य पर किसी भी प्रकार की राजनीति एक स्वस्थ सोच को परिलक्षित नहीं करती है।’

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