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Rajasthan Politics : जश्न में डूबी बीजेपी की भजनलाल सरकार, कांग्रेस करती रही मुद्दों पर घेरने का इंतजार

जयपुर. राजस्थान में सत्ता परिवर्तन को एक साल पूरा होने जा रहा है. सूबे की भजनलाल सरकार एक साल का कार्यकाल पूरा होने पर जश्न में डूबी है. तीन दिन बाद सरकार की पहली वर्षगांठ मनाई जाएगी. इसको लेकर बड़ा आयोजन किया जाएगा. उससे पहले महिलाओं और युवाओं को सौगात देने की शुरुआत हो चुकी है. वह जनता के सामने अपना रिपोर्ट कार्ड रख रही है. लेकिन दूसरी तरफ विपक्ष इस एक साल में किसी भी बड़े मुद्दे को लेकर सरकार को घेर नहीं पाया. वह सूबे के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के बयानों पर उसे घेरने का प्रयास करती रही. लेकिन किसी बड़े मुद्दे को वह जनता के बीच नहीं ले पाई.

यह दीगर बात है कि इस बीच हुए लोकसभा चुनावों में उसकी परफोर्मेंस में कुछ सुधार आया और उसका दस साल का वनवास समाप्त हो गया. कांग्रेस ने सहयोगी भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) प्रदेश के सहयोग से 25 में से 11 सीटों पर कब्जा कर लिया. इनमें नौ सीटें उसने खुद के दम पर बीजेपी से छीन ली. लेकिन ये चुनाव राज्य के मुद्दों की बजाय बीजेपी (एनडीए) को सत्ता में आने से रोकने के मुद्दे पर लड़ा गया था.

कांग्रेस ने उपचुनाव में तीन सीटें और खो दीइससे कांग्रेस खासा उत्साहित हुई लेकिन उसके बाद हाल ही में प्रदेश में सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में उसने अपनी तीन सीटें खो दी. इससे उसका उत्साह फिर से ठंडा हो गया. इस बीच राजस्थान कांग्रेस ने भजनलाल सरकार पर बयानों के तीर चलाने में तो कोई कोर कसर नहीं छोड़ी लेकिन वह जनता के बीच सरकार के खिलाफ किसी चीज को बड़ा मुद्दा नहीं बना पाई. कांग्रेस ने बार-बार शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के विवादित बयानों को लेकर सरकार को घेरने का प्रयास तो जरुर किया लेकिन उसे आशातीत सफलता नहीं मिल पाई.

कांग्रेस के खेमे अपनी-अपनी जगह मजबूती से डटे हैंविधानसभा में कांग्रेस के विधायकों ने कई मुद्दे उठाए लेकिन सरकार पर किसी तरह का शिकंजा नहीं कस पाई. विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस को मिली करारी शिकस्त के बाद अब पार्टी को प्रदेश संगठन को धार देने की जरुरत महसूस होने लग गई है. इसकी शुरुआत भी कर दी गई है. आने वाले दो महीनों में कांग्रेस अपने संगठन को सक्रिय करने और उसे धारदार बनाने के लिए अब बदलाव की ओर अग्रसर हो रही है. इन तमाम हालात के बाद कांग्रेस के खेमे अपनी-अपनी जगह मजबूती से डटे हैं.

FIRST PUBLISHED : December 12, 2024, 15:17 IST

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