Rajasthan Power Crisis Update – बिजली संकटः एक्सचेंज में 20 रुपए प्रति यूनिट में बिजली, छत्तीसगढ़ जाएंगे राजस्थान के अधिकारी

-एक्सचेंज में बिजली की खरीद 20 रुपए यूनिट तक पहुंची
-कोयले की कमी से बिजली संकट
-कोयला के लिए क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप बनाया
-अब रेल के साथ सड़क मार्ग से भी कोयला मंगाना शुरू किया
-गांव-कस्बों में 5 घंटे तक कटौती
-शहरों में किसी भी समय शुरू होगी कटौती
-ज्यादातर बिजलीघरों में बचा एक से दो दिन का कोयला
-आमजन को बिजली बचत के लिए जागरूक किया जाएगा

जयपुर। Rajasthan Power Crisis: मानसून के दौरान कोयला खदानों में पानी भर जाने के कारण पूरे उत्तर भारत में पिछले कुछ दिनों से कोयला उपलब्धता का संकट खड़ा हो गया है। इसका असर राजस्थान पर दिखाई दे रहा है। पिछले पांच दिन से बिजली संकट चल रहा था, लेकिन खुलासा पांच दिन बाद किया गया। अब संकट गहराता सरकार ने भागादौड़ी शुरू कर दी है। ऊर्जा विभाग के अधिकारी छत्तीसगढ़ जाकर वहां स्थित कोल ब्लॉक्स में कोयले की वर्तमान उपलब्धता एवं यहां जरूरत के मुताबिक पर्याप्त कोयला उपलब्ध हो, इसकी मॉनिटरिंग करेंगे। साथ ही केन्द्रीय अधिकारियों से समन्वय स्थापित कर पर्याप्त मात्रा में कोयला रैक की आपूर्ति सुनिश्चित करेंगे।
उधर, मुख्यमंत्री ने गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास पर वीसी के माध्यम से आयोजित बैठक में बिजली की पर्याप्त उपलब्धता की तैयारियों की समीक्षा की। गहलोत ने कहा है कि कोयले की कम आपूर्ति के कारण थर्मल पॉवर प्लांट्स की कुछ इकाइयां अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रही हैं। ऐसे में आमजन को बिजली बचत के लिए जागरूक किया जाए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को बिजली की मांग एवं उपलब्धता के आधार पर आपूर्ति संबंधी कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए। विद्युत संकट को देखते हुए उन्होंने उपभोक्ताओं से बिजली बचत के तरीके अपनाने की अपील की।
गहलोत ने कहा कि बिजली संकट के कारण ग्रिड में बिजली की कमी है। पवन ऊर्जा प्लांट्स से भी स्थापित क्षमता से कम बिजली मिल रही है। ऊर्जा मंत्री बी.डी. कल्ला ने कहा कि केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री से बातचीत के दौरान उनसे प्रदेश को आवंटित कोटे के अनुरूप कोयला प्रतिदिन उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।
चेयरमैन डिस्कॉम्स भास्कर ए सावंत ने बताया कि वापस गर्मी के चलते दोपहर के बाद बिजली की मांग काफी बढ़ गई है। आज की स्थिति में प्रतिदिन औसत मांग 12500 मेगावाट की है, जबकि औसत उपलब्धता 8500 मेगावाट ही है। प्रदेश में 4 अक्टूबर के बाद से बिजली का उपभोग बढ़ा है, लेकिन थर्मल पॉवर प्लांट्स के पूरी क्षमता से काम नहीं करने के कारण उपलब्धता घट रही है।