Rajasthan Roadways: राजस्थान रोडवेज की यह जगह किसी ‘नरक’ से कम नहीं है, करंट, फिसलन और जान का जोखिम सब है यहां
जयपुर. राजस्थान रोडवेज के खस्ता हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. खटारा बसों में सफर करने के लिए मजबूर हो रहे यात्रियों के साथ ही इन बसों का सुधार गृह (गैराज) ही इतना खस्ता हाल है कि उसे खुद मरम्मत की दरकार है. एक तरफ जहां विभाग के ड्राइवर प्रदेशभर में बारिश के कारण टूटी हुई सड़कों पर बसें चला रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के सबसे बड़े डिपो जयपुर डिपो के गैरेज के कर्मचारी बारिश के बीच खराब हालात में ‘करंट’ के साए में काम करने को मजबूर हो रहे हैं.
राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम यानी राजस्थान रोडवेज का सबसे बड़ा बेड़ा जयपुर डिपो के पास है. यहां से प्रदेशभर में बसें संचालित होती हैं. रोडवेज की बसों के संचालन का सबसे ज्यादा खिताब जयपुर डिपो के पास ही है. लेकिन इसके गैरेज के हालात किसी नरक से कम नहीं है. यहां कर्मचारी डर-डरकर काम करते हैं. ये वे ही कर्मचारी हैं जो कबाड़ हो चुकी बसों को बार-बार सड़कों पर धकेलते हैं. लेकिन अब ये भी इतने टूट चुके हैं कि बसों को ठीक करना अब इनके बूते से बाहर होता जा रहा है.
बस डिपो की हालत ‘दीये तले अंधेरे’ जैसी हैमानसून की बारिश के दौरान जयपुर बस डिपो के गैरेज हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि यहां कर्मचारी पानी भरे फर्श, फिसलन, टपकती और कमजोर छतों के नीचे काम करने को मजबूर हो रहे हैं. बिजली के खुले तार और दीवारों की सीलन से तर बिजली के बॉक्स कब बड़ा झटका दे दे कुछ नहीं कहा जा सकता. रोडवेज मुख्यालय के ठीक पीछे बने इस बस डिपो की हालत ‘दीये तले अंधेरा’ जैसी है.
कर्मचारी इन्हीं हालात में काम करने को मजबूर हैंजिम्मेदार अधिकारी डिपो के इन हालात के बारे में रोडवेज मुख्यालय और अपने उच्चाधिकारियों को इस बारे में सूचित करने की बात कहकर इतिश्री कर रहे हैं. उनके मुताबिक डिपो के गैरेज और अन्य एरिया का इन्स्पेक्शन हो चुका है. जल्द ही मेंटेनेंस का काम भी शुरू किया जाएगा. लेकिन असलियत यह है कि कई बरसों से गैरेज के तकनीकी कर्मचारी इन्हीं हालात में काम करने को मजबूर हैं.
हालात में कोई सुधार नहीं आयाCITU प्रदेश अध्यक्ष सतवीर सिंह चौधरी कहते हैं कि सीलन भरी दीवारों, पिलर्स पर लगे ये बिजली के बॉक्स और खुले तार अपनी बदहाली की कहानी खुद बयां कर रहे हैं. रोडवेज के डिपो में ऐसी कोई जगह ही नहीं है जो काम करने की साफ-सुथरी और अच्छी कंडीशन वाली कही जा सके. इसके लिए कई बार उच्चाधिकारियों के सामने मांग रखी जा चुकी हैं लेकिन हालात में कोई सुधार नहीं आया.
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FIRST PUBLISHED : September 14, 2024, 12:40 IST