कौन थे होयसल, जिनके बनवाए मंदिर अब यूनेस्को को भी भाए

हाइलाइट्स
रविवार का शांति निकेतन को मिला था इस धरोहर सूची में स्थान
कर्नाटक के बेल्लूर,हलेबिड और सोमनाथपुरा में हैं होयसल मंदिर
यहां हिंदू देवी-देवताओं के चित्रों और मूर्तियों को उकेरा गया है
World heritage sites in india : कर्नाटक के मशहूर होयसल मंदिरों (Hoysala Temples) यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में स्थान दिया गया है. सऊदी अरब के रियाद में विश्व धरोहर सूची के 45वें सत्र में यह फैसला किया गया. बता दें, इससे एक दिन पहले रविवार को यूनेस्को ने पश्चिम बंगाल के शांतिनिकेतन (Santiniketan) को वर्ल्ड हैरिटेज साइट घोषित किया था. शांतिनिकेतन और होयसल मंदिरों को इस सूची में स्थान मिलने के साथ ही भारत में यूनेस्को (UNESCO) के विश्व धरोहल स्थलों की संख्या बढ़कर 42 हो गई है.
कर्नाटक में बेल्लूर, हलेबिड और सोमनाथपुरा के होयसल मंदिर समूह को यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में जगह मिली है. पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इसे देश के लिए गौरवपूर्ण क्षण करार दिया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपने संदेश में उन्होंने लिखा, ‘होयसल के भव्य पवित्र मंदिरों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में जगह मिलना भारत के लिए गौरवपूर्ण क्षण है. इन मंदिरों की खूबसूरती देश की सांस्कृतिक विरासत और हमारे पूर्वजों के असाधारण शिल्प कौशल का प्रमाण है.’
12वीं-13वीं शताब्दी में हुआ था निर्माण
होयसल मंदिरों का निर्माण 12वीं- 13वीं शताब्दी के बीच हुआ था. तीनों होयसला मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के तहत संरक्षित स्मारक हैं और यही इसका संरक्षण और रखरखाव करता है. होयसल मंदिर 2014 से यूनेस्को की संभावित सूची में थे, जनवरी 2022 में इस मंदिर समूह को वर्ष 2022-23 के लिए भारत की ओर से विश्व धरोहर स्थल में शामिल करने के वास्ते नामित किया गया था.
होयसल साम्राज्य का कर्नाटक पर रहा था शासन
कर्नाटक स्थित बेल्लूर, हलेबिदु और सोमनाथपुरा के होयसल मंदिर भारत के सांस्कृतिक वैभव के प्रतीक हैं. बेल्लूर के चन्नकेश्वर ,हलेबिदु के केदारेश्वर व होयसलेश्वर मंदिर और सोमनाथपुर का केशव मंदिर उत्कृष्ट स्मारक हैं. इसमें हिंदू धर्म से संबंधित देवी देवताओं के चित्रों और मूर्तियों को उकेरा गया है. बता दें, होयसल साम्राज्य ने 10वीं और 14वीं शताब्दी के बीच कर्नाटक राज्य के एक बड़े हिस्से पर शासन किया था. इस साम्राज्य की राजधानी शुरू में बेल्लूर में थी जिसे बाद में हलेबिदु ले जाया गया था.
भगवान विष्णु और उनके अवतारों को समर्पित
हलेबिदु के होयसलेश्वर मंदिर की बात करें तो इसका निर्माण राजा विष्णुवर्धन के एक अधिकारी केतुमल्ला सेट्टी ने कराया था. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. हलेबिदु के ही केदारेश्वर मंदिर को 1173 से 1228 ईसवी के बीच होयसल काल के राजा वीरा बल्ला द्वितीय ने अपनी रानी केतला देवी के लिए बनवाया था. यह मंदिर Soapstone से बना था तथा भगवान विष्णु और उनके अवतारों को समर्पित है. मंदिर की बाहरी दीवारों पर भगवान शिव व ब्रह्मा के अवतारों और उनके वाहनों को उकेरा गया है. कर्नाटक का काष्ठ शिल्प, हाथी दांत की नक्काशी, बीदरी कला तथा स्वर्ण शिल्प कला इस मंदिर के शिल्प में चार चांद लगाने का काम करती है.
बेल्लूर के चन्नकेश्वर मंदिर का निर्माण होयसल राजवंश के राजा विष्णुवर्धन ने 1104 से 1117 ई. के बीच कराया था. चन्नकेश्वर को भगवान विष्णु के अवतार माना जाता है. यह मंदिर तीन सितारों के आकार के एक मंच पर स्थापित है. इस मंदिर में प्रवेश करने पर भक्तों को स्तंभों का एक सभागृह दिखता है जो उन्हें तीन सितारों के आकार के पवित्र स्थान में ले जाता है. पूरा मंदिर मूर्तियों से अलंकृत है. केशव मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं को उकेरा गया है. 64 कोशिकाओं वाला मंदिर चारों ओर से घिरा हुआ है. इस मंदिर के शुरू में वेनुगोपाल, जनार्दनऔर केशव की नक्काशीदार मूर्तियां रखी गई थीं. मैसूर जिले के सोमनाथपुरा में केशव मंदिर स्थित है, जिसका निर्माण 1268 ई. में होयसल वंश के राजा नरसिम्हा तृतीय के मंत्री सोमदन्नायक ने कराया था. मंदिर को होयसल शैली की स्थापत्य कला में बनाया गया है.
‘गुरुदेव’ के सृजन का केंद्र रहा शांतिनिकेतन
नोबल पुरस्कार विजेता गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के पिता देवेंद्रनाथ टैगोर ने वर्ष 1863 में सात एकड़ जमीन पर एक आश्रम की स्थापना की थी. वही आज विश्वभारती विश्वविद्यालय है. ‘गुरुदेव’ ने 1901 में सिर्फ पांच छात्रों को लेकर यहां एक स्कूल खोला. दुनिया इसे शांतिनिकेतन के नाम से जानती है. यह पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित है. शांतिनिकेतन भारत ही नहीं, दुनियाभर के आकर्षण का केंद्र है क्योंकि टैगोर ने यहां कई कालजयी साहित्यिक कृतियों का सृजन किया था. उनका घर ऐतिहासिक महत्व की इमारत है. शांतिनिकेतन का अर्थ है-शांति से भरा घर. यह सिर्फ पढ़ाई के लिए ही नहीं, बल्कि कला और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का भी केंद्र है.
यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भारत के स्थल
अजंता की गुफाएं औरंगाबाद, आगरा का किला, ताजमहल, एलोरा गुफाएं, कोणार्क का सूर्य मंदिर, महाबलीपुरम के स्मारक समूह, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, मानसराष्ट्रीय उद्यान, गोवा के गिरजाघर और कॉन्वेंट, हम्पी, फतेहपुर सीकरी, खजुराहो के मंदिर,सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान, एलीफेंटा की गुफाएं, पत्तदकल, महान चोल मंदिर, नन्दा देवी राष्ट्रीय उद्यान एवं फूलों की घाटी,सांची के स्तूप,हुमांयू का मकबरा, कुतुब मीनार, भारतीय पर्वतीय रेल दार्जिलिंग,बोधगया का महाबोधि विहार, भीमबेटका, चंपानेर पावागढ़ पुरातत्व उद्यान, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, दिल्ली का लाल किला, जंतर-मंतर जयपुर, पश्चिमी घाट, राजस्थान के पहाडी दुर्ग, ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान, रानी की वाव गुजरात, नालंदा महाविहार, कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान, ली कोर्बुज़िए के वास्तुशिल्प चंडीगढ़, अहमदाबाद का ऐतिहासिक शहर (पुराना अहमदाबाद),मुंबई का विक्टोरियन और आर्ट डेको एनसेंबल, गुलाबी शहर जयपुर, रामप्पा मंदिर तेलंगाना, धोलावीरा गुजरात, शांतिनिकेतन और होयसल मंदिर, कर्नाटक.
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Tags: India news, Pm narendra modi, UNESCO
FIRST PUBLISHED : September 20, 2023, 09:05 IST