Rajasthan

Rajasthan work on road safety on Tamilnadu model

देश में जब भी सबसे ज्यादा मौत की जिक्र आता है तो सडक दुर्घटना का नाम सबसे पहले ही पायदान पर होता है। राजस्थान इस दुर्घटनाक्रम में आगे है। ऐसे में राजस्थान के परिवहन विभाग ने अब इस दुर्घटना को रोकने लिए तमिलनांडू माडल अपनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसमें तमिलनाडू की तरह ही इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस (आईआरएडी) के जरिए सड़क दुर्घटना की समीक्षा होगी

By: Anand

Published: 26 Aug 2021, 04:44 PM IST

—देश में 78 फीसदी सडक दुर्घटना चालक की लापरवाही से
जयपुर
देश में जब भी सबसे ज्यादा मौत की जिक्र आता है तो सडक दुर्घटना का नाम सबसे पहले ही पायदान पर होता है। राजस्थान इस दुर्घटनाक्रम में आगे है। ऐसे में राजस्थान के परिवहन विभाग ने अब इस दुर्घटना को रोकने लिए तमिलनांडू माडल अपनाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसमें तमिलनाडू की तरह ही इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस (आईआरएडी) के जरिए सड़क दुर्घटना की समीक्षा होगी।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इसके लिए देश के छह राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। राजस्थान में इसके लिए जयपुर, जोधपुर, अलवर और अजमेर को चुना गया है। अब किसी भी सड़क हादसों की समीक्षा होगी। इसमें वास्तविक कारण का पता लगा निस्तारण का उपाय किया गया जाएगा। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय 2019 में जारी आंकडों के मुताबिक 78 प्रतिशत सड़क दुर्घटना चालक की लापरवाही से होती है।

अब तक 15 हजार 178 सड़क हादसों का बना डेटा बेस
इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस (आईआरएडी) को वाहन और सारथी के डेटाबेस से जोड़ दिया गया है। अब किसी भी हादसे के वक्त वाहन का नंबर डालते ही उसकी पूरी जानकारी सामने आ जाएगी। इसमें चालक के लाइसेंस की स्थिति से लेकर वाहन के फिटनेस तक की जानकारी होगी। एक जनवरी से अब तक करीब 15 हजार 178 सड़क हादसों की एंट्री हो चुकी है। इसमें करीब 5 हजार 500 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

आरटीओ से लेकर मेडिकल तक सब एक एप पर
यह एक इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस एप होगा। इस एप का पासवर्ड चारों जिलों के पुलिस और आरटीओ को दिया गया है। अब किसी भी दुर्घटना में यह दोनों ही मौके पर जाएंगे और सड़क हादसे का कारण पता लगाकर हर बात का विवरण सहित उल्लेख करेंगे। निर्माण विभाग के अधिकारी रोड की तकनीकी खामियों और ब्लैक स्पाट का विवरण देंगे। चिकित्सा विभाग के अधिकारी कितने समय में इलाज उपलब्ध करा पाए और दुर्घटना उनके अस्पताल से कितनी दूर पर हुई जानकार देंगे। इसके बाद सभी की रिपोर्ट की समीक्षा करके सडक सुरक्षा को लेकर सुधार किया जाएगा।







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