20 किलो की लाल-सफेद कपड़े की आंगी पहनकर किया यह डांस, 184 सालों से होली के दूसरे दिन होती है यह परंपरा

Last Updated:March 14, 2025, 15:58 IST
बाड़मेर के सनावड़ा गांव में 184 साल पुराना गैर नृत्य होली के दूसरे दिन धुलंडी पर होता है. विशेष वेशभूषा ‘आंगी’ पहनकर सैकड़ों गैरियों ने ढोल-थाली की थाप पर नृत्य किया.X
गैर खेलते हुए
हाइलाइट्स
बाड़मेर के सनावड़ा गांव में 184 साल पुराना गैर नृत्य होता है.गैर नृत्य में 20 किलो की लाल-सफेद आंगी पहनकर नृत्य किया जाता है.होली के दूसरे दिन धुलंडी पर सैकड़ों गैरियों ने ढोल-थाली की थाप पर नृत्य किया.
बाड़मेर. विश्व प्रसिद्ध सनावड़ा गैर नृत्य की पहचान 184 साल पुरानी है. यह नृत्य होली के दूसरे दिन धुलड़ी पर खेला जाता है. इसके लिए विशेष वेशभूषा है, इसे आंगी कहते है. गैर नृत्य हर साल खेला जाता है लेकिन धमक आज भी वैसी की वैसी है. वजनी आंगी पहनकर नृत्य कर हर किसी का ध्यान अपनी और खींच लिया है. ढोल की थाप व थाली की धमक से एक साथ सैकड़ों गैरियों ने नृत्य किया तो हर कोई दांतो तले अंगुली दबाने को मजबूर हो गया.
बाड़मेर जिला मुख्यालय से 33 किलोमीटर दूर गैर का रंग सनावड़ा गांव में हर साल जमता है. एशियाड में धूम मचा चुके बाड़मेर के प्रसिद्ध गैर नृत्य का आयोजन होली के दूसरे दिन धुलंडी के मौके पर सनावड़ा में हुआ. सैकड़ों की संख्या में गैर कलाकारों ने लाल-सफेद आंगी पहने हुए ढोल की थाप व थाली की खनक पर मनमोहक प्रस्तुतियां दी. सदियों से चला आ रहा गैर नृत्य में हजारों लोग शामिल होते है.
पश्चिमी राजस्थान का गैर नृत्य सदियों से चला आ रहा है. 184 साल पुराना गैर नृत्य की धमक व क्रेज आज भी वैसा ही नजर आ रहा है. गैर नृत्य बाड़मेर या राजस्थान तक सीमित नहीं रहा है. इसकी गूंज एशियाड गेम्स तक है. साल 1982 में दिल्ली में आयोजित एशियाड गेम्स में जिले से गैर नृत्य करने वाले सैकड़ों लोग शामिल हुए थे.
गैरिए मगाराम प्रजापत ने लोकल18 से खास बातचीत करते हुए कहा कि बीते 184 सालों से गैर नृत्य होली के दूसरे दिन होता है. पहले आंगी का वजन करीब 40-45 किलो होता था लेकिन अब इस आंगी का वजन 20 किलो रह गया है. इसमें लाल व सफेद खाकी कपड़े का होता है. गैर को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते है. वही मेघराज के मुताबिक कांच के टीकों से जड़ी आंगी का दुपट्टा, कमरबंधा, पेशी कलंगी, साफा, मोड पहन नृत्य करते थे. एक आंगी बनाने में करीब 40 मीटर से ज्यादा खादी के कपड़े का इस्तेमाल होता था.
Location :
Barmer,Rajasthan
First Published :
March 14, 2025, 15:58 IST
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20 किलो की लाल-सफेद कपड़े की आंगी पहनकर किया यह डांस, 184 साल पुरानी परंपरा