Rajasthan

Raksha Bandhan 2023: वैदिक राखी बांधने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार, संक्रमण रोगों से लड़ने की मिलेगी शक्ति

मोहित शर्मा/करौली. बहन और भाई के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व आज यानी बुधवार की रात्रि 9 बजे, भद्रा काल के समापन के बाद शुभ घड़ी में रक्षा सूत्र बांध कर मनाया जायेगा. वैसे तो आज के आधुनिक जमाने का रंग राखियों पर भी चढ़ चुका है जिसके चलते बाजारों में बहनों को लुभाने के लिए तरह-तरह की राखियों का बाजारों में बोलबाला हैं. लेकिन क्या आपको पता है बाजारों में मिलने वाली आर्टिफिशियल राखियां दिखने में भले ही आकर्षित मगर इनका महत्व केवल प्रतीकात्मक रहता हैं.

आर्टिफिशियल राखियां अधिक चमकीली होती हैं. मगर इनके कई साइड इफेक्ट होते हैं जो त्वचा पर एक-दो दिन के बाद देखने को मिलते हैं. इसलिए दूसरे स्थान पर बहनें अपने भाई की कलाई पर वैदिक रक्षा सूत्र बांध कर उनकी खुशहाली और कलाई का भी ख्याल रख सकती हैं.

राजस्थान के करौली के राज्याचार्य पंडित प्रकाश चंद जती बताते हैं कि रक्षाबंधन पर बहन यदि भाई की कलाई पर वैदिक राखी बांधती है तो भाई में ना केवल सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा. बल्कि उन्हें संक्रमण व रोगों से लड़ने की भी शक्ति मिलेगी. शास्त्रों के अनुसार भी वैदिक रक्षा सूत्रों को ही असली रक्षा सूत्र माना गया है. प्रकाश चंद जती बताते हैं कि रक्षाबंधन पर हमेशा बहनों को अपने भाई की हाथ की कलाई पर सूत या रेशमी धागा ही बांधना चाहिए.

घर पर भी किया जा सकता है तैयार

रंग बिरंगी आर्टिफिशियल राखियों के बजाय वैदिक राखियों को घर पर ही आसानी से चंद मिनटों में तैयार किया जा सकता है. वैदिक राखी बनाने के लिए दूर्वा, अक्षत, चंदन, सरसों व केसर इन पांच चीजों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर इसे एक पीले रेशम के कपड़े में बांध लेना चाहिए. इसके बाद, कलावा में बांध कर इसे तैयार कर सकते हैं. वैदिक राखियों में कच्चे सूत को भी हल्दी में भिगो कर कच्चे सूत की राखी को तैयार किया जा सकता है.

राज्याचार्य पंडित प्रकाश चंद जती ने बताया कि कच्चे सूत व हल्दी से बना रक्षा सूत्र शुद्ध व शुभ होता है.

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