Ramadan 2024 : रोजेदार मुल्क की तरक्की की मांग रहे दुआएं, अकीदतमंदों की ओर से खुलवाए जा रहे रोजे | devotees offers prayers during ramadan 2024 roza praying for peace in country

इसी कड़ी में संसार चंद्र रोड स्थित दरगाह मीर कुर्बान अली में हर साल की तरह इस बार भी 16वां रोजा इफ़्तार कार्यक्रम आयोजित करवाया गया। इसमें तमाम रोजेदारों को रोजा इफ़्तार कराया गया। रोजेदारों ने नमाज अदा कर मुल्क की तरक्की और कौम की सलामती की दुआ मांगी।
दरगाह सज्जादनशीन डॉ.सैय्यद हबीबुर्रहमान नियाज़ी ने कहा कि माह-ए-रमजान बरकती महीना है। इस महीने में हर नेकी का 70 गुना सवाब मिलता है और नेकी के रास्ते पर चलने वाले लोगों पर अल्लाह की रहमतें बरसती हैं। अल्लाह ने नेकी का बदला दुनिया और आखिरत दोनों जगह रखा है। लिहाजा, ईमान वालों को नेकी करते रहना चाहिए। यह महीना सब्र का और अपनी नफ्ज़ को कंट्रोल करने का है। सिर्फ दिन-भर भूखा प्यासा रहना रोजा नहीं है। रोज़ा पूरे जिस्म का होता है। उन्होंने कहा की जकात का सही मकसद लोग भूल गए है। जकात का मतलब, समाज में जो लोग आर्थिक तौर पर पिछड़े हैं, उनकी मदद करके भविष्य में जकात देने वाला बनाना है। इफ़्तार कार्यक्रम में पूर्व राज्यसभा सांसद अश्क अली टांक और आदर्श नगर विधायक रफीक खान भी पहुंचे।
20वें और 21वें रोजे पर होंगे इफ़्तार कार्यक्रम
माह-ए-रमजान के सभी 30 रोजों की अपनी-अपनी अहमियत है। इनमें कुछ न कुछ तारीखी वाक्यात हुए हैं, जिसमें 21 वां रोजा भी शामिल है, इसे हजरत अली की शहादत के रूप में जाना जाता है। हजरत अली को पूरी दुनिया में मौला अली, मुश्किल कुशा और शेर-ए-खुदा के नाम से भी जाना जाता है। इसीलिए ज़्यादातर 21वें रोजे को बच्चों का पहला रोजा रखवाया जाता है। रामगंज निवासी खलील शेख़ ने बताया कि उन्होंने इस ख़ास दिन की तैयारी शुरू कर दी है और इस दिन वें अपने बेटे मोहम्मद अली और बेटी सिदरा का पहला रोजा रखवाने जा रहे हैं। ऐसे में बच्चों में पहला रोजा रखने की अलग ही खुशी है। इसके अलावा 20वें रोजे पर भी विभिन्न मस्जिदों और दरगाहों में रोजा इफ़्तार कार्यक्रम आयोजित होंगे।
रोजा खोलने की रस्म इफ़्तार
रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं। सुबह सवेरे सेहरी की जाती है, उसके बाद पूरे दिन कुछ नहीं खाया जाता। शाम में सूरज ढलने के बाद रोजा खोला जाता है। शाम को रोजा खोलने की रस्म को ही इफ्तार कहा जाता है। इस दौरान लोग एक-साथ अपना रोजा खोलने के लिए इकट्ठा होते हैं। जब लोग बड़ी संख्या में एक जगह इकट्ठा होते हैं तो इसे रोजा इफ़्तार का नाम दे दिया जाता है। एक बात ध्यान देने की यह है कि रोजा वही खोलता है, जिसने पूरे दिन का रोजा रखा हो। इफ्तार के बाद लोग शाम की नमाज अदा करते हैं।