Ramadan and Umrah : हज से पहले ही रमज़ान में लाखों मुस्लिम क्यों पहुंचे सऊदी अरब ?,जानिए | Ramadan: Why millions of Muslims reached Saudi Arabia in Ramadan

अरब में एक सुनहरा मौका
Arab News in Hindi : इन जायरीन रोजेदार नमाजियों की धारणा है कि रमजान के महीने में मक्का और मदीना में रह कर रोजे रखना एक सुनहरा और यादगार मौका है जो इबादत के नजरिये से बहुत अहम माना जाता है। वे रमजान के महीने में मक्का और मदीना में इबादत करने का खूबसूरत मौका मानते हैं। पांचों वक्त फज्र , जुहर, अस्र, मगरिब व इशा के साथ तरावीह की नमाज अदा करना, कुरान शरीफ की तिलावत, सेहरी और इफ्तारी करने वाले इबादतगुजार खुद को खुशकिस्मत समझते हैं।
ज्यादा समय इबादत
उलेमा के अनुसार हज के अलावा मक्का मदीना की तीर्थ यात्रा करना उमराह कहलाती है। वे इस खास मौके पर ज्यादा से ज्यादा समय इबादत करने में लगाने को महत्व देते हैं। इन दिनों रमजान के आखिरी दिनों के कारण आगंतुकों की संख्या बढ़ने की संभावना है, जिसे देखते हुए मानवीय और तकनीकी सुविधाएं बढ़ाई गई हैं।
पचास हजार से अधिक मुसलमान दस दिन कैम्प करेंगे
जानकारी के अनुसार, इस मौके 50 हजार से अधिक तीर्थयात्री ऐतिकाफ ( Aitikaf ) में बैठेंगे (कैम्प करेंगे)। वहीं क्षेत्रीय मस्जिदों ( Mosques) में बड़ी संख्या में तीर्थयात्री एतिकाफ में बैठेंगे। तीर्थयात्री रमज़ान में केवल एक बार उमराह कर सकेंगे। हरमैन शरीफ ( मक्का मदीना तीर्थ) प्रशासन के प्रमुख का कहना है कि जायरीन की संख्या बढ़ने की संभावना है। जिनमें मानवीय और तकनीकी सुविधाएं बढ़ाई गई हैं। आगंतुकों की सुविधा और सहजता के लिए सभी संसाधनों का उपयोग किया जाएगा।
यह है ऐतिकाफ
उल्लेखनीय है कि रमज़ान के आखिरी दस दिनों में इबादतगुजार रोजेदार नमाजी दस दिन तक मस्जिद के किसी कोने में कैम्प करते हैं,जिसे ऐतिकाफ करना कहते हैं। इस दौरान मस्जिद के एक हिस्से को चादर या पर्दे से ढक दिया जाता है और उसमें वे ऐतिकाफ करते हैं। ऐतिकाफ करने वाले मुसलमान मस्जिद में अदा की जाने वाली पांचों नमाजें पढ़ते हैं और कुरान शरीफ की तिलावत करते हैं। ऐतिकाफ करने वाले लोग केवल इबादत में लगे रहते हैं और दुनियादारी से दूर रहते हैं।
बरसती हैं अल्लाह की रहमतें
आलिमों के अनुसार इस्लाम के पांच बुनियादी सिद्धांतों में तौहीद, नमाज, हज और जकात के साथ रोजा भी शुमार है। इन दिनों रमज़ान का महीना चल रहा है जो बड़ी फजीलतों और बरकतों वाला है। ऐसी मान्यता है कि इस महीने में अल्लाह की तरफ से बंदों पर अल्लाह की रहमतें बरसती हैं। हदीसों में रमज़ान के तीन अशरों का जिक्र मिलता है और तीनों की बहुत अहमियत है।
जहन्नम की आग से पनाह
उलेमा के मुताबिक रमज़ान का तीसरा अशरा 21 से 30 वें रोजे तक चलेगा। हजरत सलमान फारसी रजि. से रिवायत है कि पैगबर हजरत मोहम्मद सअव के मुताबिक रमज़ान का पहला अशरा रहमत, दूसरा अशरा मगफिरत और तीसरा अशरा जहन्नुम ( नरक ) की आग से आजादी है। इस अशरे में अल्लाह के बंदे अल्लाह से जहन्नम की आग से पनाह मांगते हैं।
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