Rang Panchami Celebration In Obari town of Dungarpur district know what tradition

Last Updated:March 22, 2025, 18:40 IST
इस साल भी रंगपंचमी का रोमांचक मुकाबला पूरे जोश और उल्लास के साथ खेला गया, जिसमें 150 से अधिक युवाओं ने भाग लिया. खेल की शुरुआत में गांव के लोग ढोल-नगाड़ों की गूंज के साथ जुलूस निकालते हुए राजपूत चौक से खजूर के …और पढ़ेंX
साहसी पुरुष
हाइलाइट्स
रंगपंचमी पर ओबरी में साहसिक परंपरा निभाई जाती है.हड़मत सिंह ने फूतरा उतारकर “साहसी पुरुष” का खिताब जीता.खेल में 150 से अधिक युवाओं ने भाग लिया.
उदयपुर:- डूंगरपुर जिले के ओबरी कस्बे में हर साल होली के बाद रंगपंचमी के अवसर पर एक अनोखी और साहसिक परंपरा निभाई जाती है. इस परंपरा के तहत गांव के युवा दो दलों रक्षक और आक्रमण में बंटकर फूतरा उतारने के खेल में हिस्सा लेते हैं. इस साल भी यह रोमांचक मुकाबला पूरे जोश और उल्लास के साथ खेला गया, जिसमें 150 से अधिक युवाओं ने भाग लिया.
रक्षक और आक्रमण दलों के बीच आजमाइशखेल की शुरुआत में गांव के लोग ढोल-नगाड़ों की गूंज के साथ जुलूस निकालते हुए राजपूत चौक से खजूर के पेड़ तक पहुंचे. 25 फीट ऊंचे पेड़ पर सफेद कपड़े (फूतरा) को बांधा गया. इसके बाद युवाओं को दो दलों में बांटा गया रक्षक दल, जिसका काम फूतरे को बचाना था और आक्रमण दल, जिसे किसी भी हालत में इसे उतारना था. खेल के दौरान दोनों दलों के बीच जोरदार संघर्ष हुआ. आक्रमण दल के युवा बार-बार पेड़ पर चढ़ने की कोशिश करते, लेकिन रक्षक दल उन्हें नीचे खींच लेते. खींचतान और धक्का-मुक्की के चलते कई युवाओं को मामूली चोटें भी आईं.
हड़मत सिंह ने जीता “साहसी पुरुष” का खिताबकरीब डेढ़ घंटे तक चले इस संघर्ष में गांव के युवा हड़मत सिंह, पुत्र जसवंत सिंह ने हिम्मत और ताकत दिखाते हुए आखिरकार खजूर के पेड़ पर चढ़कर फूतरा उतार लिया. उनके सफल होते ही जय श्रीराम के जयघोष से पूरा मैदान गूंज उठा. आक्रमण दल के युवाओं ने हड़मत सिंह को कंधों पर उठा लिया और ढोल-धमाकों के साथ राजपूत चौक तक ले गए. वहां गांव के बुजुर्गों और गणमान्य व्यक्तियों ने उन्हें “साहसी पुरुष” की उपाधि से सम्मानित किया और उनके सिर पर विजय का प्रतीक साफा बांधा.
गांव की परंपरा में उमड़ता है उत्साहयह परंपरा ओबरी और आसपास के गांवों में काफी लोकप्रिय है. हर साल रंगपंचमी पर इस खेल को देखने के लिए हजारों लोग जुटते हैं. यह न केवल गांव के युवाओं की शारीरिक क्षमता और धैर्य की परीक्षा लेता है, बल्कि आपसी भाईचारे और एकता को भी मजबूत करता है. ग्रामीणों का मानना है कि यह परंपरा वीरता और पराक्रम का प्रतीक है और इसे आने वाली पीढ़ियों तक बनाए रखना चाहिए.
Location :
Udaipur,Rajasthan
First Published :
March 22, 2025, 18:40 IST
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रंगपंचमी पर पराक्रम की परंपरा; खजूर के पेड़ से फूतरा उतारकर बनते हैं योद्धा