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Rang Rajasthan at jkk | Rang Rajasthan- नाटक ‘लूजर्स डोंट टॉक’ में नजर आई पत्रकारिता की वास्तविक स्थिति

locationजयपुरPublished: Mar 01, 2023 12:17:00 am

कला एवं संस्कृति विभाग और जवाहर लाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी के सहयोग से और रंग मस्ताने की ओर से आयोजित किए जा रहे रंग राजस्थान फेस्ट का मंगलवार को समापन हुआ।

Rang Rajasthan- नाटक 'लूजर्स डोंट टॉक' में नजर आई पत्रकारिता की वास्तविक स्थिति

Rang Rajasthan- नाटक ‘लूजर्स डोंट टॉक’ में नजर आई पत्रकारिता की वास्तविक स्थिति

कला एवं संस्कृति विभाग और जवाहर लाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी के सहयोग से और रंग मस्ताने की ओर से आयोजित किए जा रहे रंग राजस्थान फेस्ट का मंगलवार को समापन हुआ। फेस्ट के आखिरी दिन की शुरुआत सुबह 10 बजे नाट्य अभिनेता और टीवी अभिनेता क्राइम सीरीज सीआईडी फेम डॉक्टर सालुके की एक्टिंग की क्लास से हुई। जिसमें सभी ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। इसके बाद 11 बजे से जवाहर लाल नेहरू बाल साहित्य स्कूल आउट रीच प्रोग्राम रंग बचपन के तहत म्यूजिक और सिंगिंग एक्टिविटी की वर्कशॉप का आयोजन हुआ। जिसमें प्रेम मंदिर स्कूल के तकरीबन 30 छात्रों ने हिस्सा लिया। बच्चों ने म्यूजिकल एक्टिविटी का लुफ्त उठाया।
दोपहर दो बजे नरेंद्र अरोड़ा के संचालन में रंग चौपाल का आगाज़ हुआ। राजस्थानी थिएटर फेस्टिवल्स पर हुए इस चौपाल में बतौर मुख्य पैनलिस्ट राघवेंद्र रावत, विनोद जोशी और गोपाल सिंह रहे। रंग चौपाल में राजस्थान के नाट्य उत्सवों की शुरुआती दौर और आज के समय में इनकी बढ़ती लोकप्रियता के बारे में चर्चा हुई। सभी पैनलिस्ट का कहना था कि लोक नाट्य फेस्टिवल लोगों को जोडऩे का काम करता है, इसलिए इन फेस्टिवल के माध्यम से उन उत्सवों और यात्राओं को एक बार फिर से जिंदा कर इसे गांव, शहर के हर कोनों में ले जाया जाना चाहिए।
अपराह्न 4 बजे नाटक लूजर्स डॉन्ट टॉक का मंचन हुआ। व्यंग से भरपूर इस नाटक का लेखन और निर्देशन निरेश कुमार ने किया। नाटक आज की पत्रकारिता की स्थिति पर आधारित होने के साथ ही सच्ची घटनाओं और वास्तविक व्यक्तित्वों पर केंद्रित रहा। नायक में एक प्राइम.टाइम रिपोर्टर राकेश दुबे को दिखाया गया, जो अपनी सनसनीखेज रिपोर्टिंग शैली के लिए जाने जाते हैं । वह रिपोर्टिंग को एक व्यवसाय के रूप में देखता हैं। जैसे-जैसे नाटक आगे बढ़ता है इस किरदार का सामना ऐसी घटना से होता है जो रिपोर्टिंग के उसके पूरे विचार को बदल देता है। इसके बाद शाम 6.30 बजे से जेकेके के मध्यवर्ती में कला महोत्सव के आखिरी दिन आखिरी शो फूलों की होली का हुआ। जिसमें दर्शकों ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।

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