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दिल्ली के रवि को कंपाउंडिंग से मिला 130 करोड़ रुपये का फायदा

नई दिल्ली. बचत करना अच्छा है लेकिन सिर्फ बचत ही करना सही नहीं है. बचत से पैसा बच तो जाता है लेकिन आपको भविष्य के लिए आर्थिक रूप से सशक्त नहीं कर पाता है. वहीं, जब पैसे से पैसा बनता है तो उससे आपका इकोनॉमिक फ्यूचर भी सुरक्षित हो जाता है. इसलिए जरूरी है कि पैसे को ऐसी जगह लगाया जाए जहां से आपको एक अच्छा अमाउंट हर साल रिटर्न के तौर पर मिलता रहे. लेकिन पैसा सिर्फ रिटर्न से ही नहीं बनता, इसमें एक और बड़ा फैक्टर काम करता है. वह फैक्टर है कंपाउंडिग.

इसी कंपाउंडिंग की वजह से दिल्ली के शख्स के पास अचानक 130 करोड़ रुपये आ गए. हालांकि, इतने पैसा अचानक उनके पास आ गए, ऐसा बोलना अतिशयोक्ति होगी लेकिन उन्हें इसके बारे में पता अचानक ही चला था. यह कहानी है दिल्ली के रवि की. रवि के दादा 2006 से ही लकवाग्रस्त हो गए थे लेकिन रवि की देखभाल से वो 2016 तक काफी हद तक ठीक हो गए. उन्होंने रवि को एक गिफ्ट दिया. यह गिफ्ट था दादाजी द्वारा दी गई शेयर की कुछ रसीदें. वह जानना चाहता था कि अब उनके साथ क्या किया जाए. इसी सवाल का जवाब पाने के लिए रवि ने जी बिजनेस के एक प्री-मार्केट शो में कॉल किया. उसके बाद जो हुआ वह एक बेहद रोमांचक कहानी बन गई.

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20,000 शेयर

रवि के दादा ने 1990 में एक कंपनी के 20,000 शेयर खरीदे थे. लेकिन ये शेयर कागज पर थे और दुनिया अब डिजिटल हो चुकी है. यानी अब स्टॉक्स डीमैट अकाउंट में आते हैं. रवि ने शो पर कॉल करके पूछा कि वो इन शेयरों को कैसे बेच सकता है. बातचीत आगे बढ़ी तो रवि ने कंपनी का नाम बताया. कंपनी था मद्रास रबर फैक्ट्री या MRF.

130 करोड़ रुपये के शेयर

स्टूडियो में कुछ पल का सन्नाटा छा गया. फिर एक्सपर्ट्स ने रवि को बताया कि अगर वो चाहे, तो इन पुराने पेपर शेयरों को अब भी डीमैट में बदला जा सकता है. लेकिन असली चौंकाने वाली बात तो तब सामने आई जब एंकर ने बताया कि इन 20,000 शेयरों की आज की कीमत कितनी ₹130 करोड़ है! पहले एंकर्स स्तब्ध हुए और रकम जानकर अब रवि चुप हो गया. रवि को भी कंपाउंडिंग ने ही करोड़पति बना दिया था.

इस जादू का नाम है कंपाउंडिंग

कंपाउंडिंग यानी चक्रवृद्धि ब्याज — वो शक्ति जो आपकी पूंजी को धीरे-धीरे लेकिन लगातार बढ़ाती रहती है. सोचिए, अगर आप ₹10,000 बैंक में रखते हैं जिस पर 10% सालाना ब्याज मिलता है, तो पहले साल में आपको ₹1,000 ब्याज मिलेगा — कुल ₹11,000. दूसरे साल आपको इस पूरे ₹11,000 पर 10% मिलेगा यानी ₹1,100. अब कुल ₹12,100. यहीं से असली खेल शुरू होता है. हर साल ब्याज पुराने ब्याज पर भी बनता है और धीरे-धीरे यही राशि एक बड़े पहाड़ की तरह बढ़ने लगती है.

दें समय

असल जादू तब होता है जब कंपाउंडिंग के साथ आप समय को मिला देते हैं. यही वो कॉम्बिनेशन है जो किसी को ₹130 करोड़ दिला सकता है. इसी कंपाउंडिंग की वजह से दुनिया का सबसे बड़ा निवेशक वॉरेन बफे वहां तक पहुंच पाया था जहां आज वो हैं. आपको बता दें कि वॉरेन बफे ने भी इसी तरह अपनी संपत्ति जमा की थी. बफे की 96 फीसदी दौलत 65 साल की उम्र के बाद आई थी. कंपाउंडिंग धीमी होती है, लेकिन इसका असर विस्फोटक होता है — बशर्ते आप धैर्य रखें और समय को साथ चलने दें.

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