Inspirational story, Success Story, ICSE Result 2025: कैंसर के बाद भी नहीं छोड़ी पढ़ाई, 10वीं में लाया 92%, IPS बनने का है सपना

Last Updated:May 02, 2025, 14:33 IST
Inspirational story, Success Story, ICSE Result 2025: कैंसर से जूझते हुए भी चिरंतन होन्नापुरा ने 10वीं में 92% अंक हासिल किए. बिना ट्यूशन के स्कूल की कक्षाओं और शिक्षकों के गाइडेंस पर भरोसा किया. अब उनका सपना I…और पढ़ें
ICSE Result 2025, Inspirational story, Success Story: चितरंजन ने कैंसर से जूझते हुए 10वीं की परीक्षा पास की.
हाइलाइट्स
कैंसर के बावजूद 10वीं में 92% अंक हासिल किए.बिना ट्यूशन के स्कूल की कक्षाओं पर भरोसा किया.IPS बनना चाहते हैं चिरंतन.
Inspirational story, Success Story, ICSE Result 2025: दुनिया में कुछ लोग ऐसा करते हैं, जो दूसरों के लिए मिसाल बन जाता है.यह कहानी भी एक ऐसे ही युवा की है, जिसने कैंसर जैसी बीमारी से जूझते हुए भी पढ़ाई नहीं छोड़ी, बल्कि 10वीं की परीक्षा में 92 फीसदी अंक हासिल किया. अब यह होनहार आईपीएस बनना चाहता है. आइए आपको बताते हैं आखिर कौन है ये युवा और उसने कैसे यह मुकाम हासिल किया?
Chirantan Honnapura Story: इस होनहार युवा का नाम है चिरंतन होन्नापुरा. चिरंतन बेंगलुरु केआर्यन प्रेसीडेंसी स्कूल,नागरभावी के छात्र हैं.उन्होंने जीवन की सबसे कठिन चुनौतियों का सामना करते हुए एक मिसाल कायम की है. जब वे कक्षा 9 में थे, तब उन्हें हाई-ग्रेड ऑस्टियोसारकोमा बीमारी का पता चला.यह एक प्रकार का हड्डी का कैंसर होता है, जो अक्सर कम उम्र के किशोरों और युवाओं में पाया जाता है. इसके बाद भी चितरंजन ने हिम्मत नहीं हारी और ICSE कक्षा 10वीं की परीक्षा दी.अब जब परीक्षा के नतीजे आए तो चितरंजन ने 92% अंक हासिल किए.
बीमारी के दौरान भी पढ़ाई नहीं छोड़ीजब अक्टूबर महीने में चिरंतन को कैंसर का पता चला तो उन्होंने अपना इलाज कराया.इस दौरान उन्हें कुछ समय के लिए स्कूल भी छोड़ना पडा.डॉक्टरों ने उनके दाहिने हाथ की हड्डी को ऑपरेशन के जरिए निकाल दिया. इसके बावजूद,उन्होंने कक्षा 9 की परीक्षा दी.यह परीक्षा उन्होंने एक सहायक लेखक की मदद ली और 82% अंक हासिल किए.
Preparation Tips: क्लास 10 में कैसे की पढ़ाईचिरंतन बताते हैं कि कक्षा 10 की स्पेशल कक्षाएं तुरंत शुरू हो गई थीं, लेकिन कीमोथेरेपी के कारण वे तीन महीने से अधिक समय तक इन कक्षाओं में शामिल नहीं हो सके.एक मीडिया से बातचीत में चितंरंजन ने बताया कि जब मैं अस्पताल में था,तब मैं अपने दोस्तों और टीचर्स को बहुत मिस करता था. मुझे स्कूल वापस आने की बहुत इच्छा रहती थी. चितरंजन ने कहा कि बिना किसी ट्यूशन के उन्होंने सिर्फ स्कूल की कक्षाओं और शिक्षकों के मार्गदर्शन पर भरोसा किया. उन्होंने सोशल मीडिया चैनलों पर लाइव क्लासेस देखीं और टिप्स अपनाए.वह कहते हैं कि मेरा तरीका था कि मैं क्लासेज में ध्यान से पढ़ता और आंसर्स को अपने शब्दों में लिखता था. मेरे दोस्त मुझे कभी अलग महसूस नहीं होने देते थे. उन्होंने हमेशा मुझे सपोर्ट किया.
IPS बनना चाहते हैं चिरंतन अब चिरंतन प्री-यूनिवर्सिटी में कॉमर्स स्ट्रीम में पढ़ाई करने जा रहे हैं. वे आगे चलकर कानून की पढ़ाई करना चाहते हैं और फिर UPSC की परीक्षा देकर IPS अधिकारी बनना चाहते हैं.चितरंजन का कहना है कि मैं बचपन से IPS बनना चाहता हूं, ताकि मैं समाज में बदलाव ला सकूं.
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कैंसर के बाद भी नहीं छोड़ी पढ़ाई, 10वीं में लाया 92%, IPS बनने का है सपना