Ajab Gajab: यहां भीम ने चलाई थी चक्की, आज भी मौजूद है इसका प्रमाण, देखकर लोग हो जाते हैं अचंभित

सिरोही: जिले के माउंट आबू की तलहटी में स्थित उमरणी गांव का प्राचीन ऋषिकेश मंदिर ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का केंद्र है. मंदिर के एक कक्ष में रखी एक विशाल चक्की, जिसे “भीम चक्की” के नाम से जाना जाता है, अपनी अद्भुत संरचना और किंवदंतियों के लिए प्रसिद्ध है. माना जाता है कि इस चक्की को महाभारत काल के गदाधारी भीम ने चलाया था.
विशेष संरचना: बिना हैंडल की चक्कीमंदिर परिसर के एक कक्ष में रखी इस प्राचीन चक्की पर आम चक्कियों की तरह कोई हैंडल नहीं है. चक्की के ऊपरी भाग पर एक उभरी हुई जगह है, जिसे पकड़कर इसे चलाया जाता था. चक्की का आकार और वजन इतना भारी है कि इसे केवल भीम जैसे बलशाली व्यक्ति ही चला सकते थे. चक्की तीन भागों में बनी है, सबसे नीचे पत्थर का गोल हिस्सा, बीच में धातु का भाग और ऊपर का हिस्सा जो उभरी हुई पकड़ से युक्त है.
मंदिर का प्राचीन इतिहासभक्त दलपतसिंह देवड़ा के अनुसार, ऋषिकेश मंदिर लगभग 5000 वर्ष पुराना है और इसे “आदिद्वारिका” माना जाता है. मान्यता है कि राजा अम्बरीश ने यहां तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने ऋषिकेश स्वरूप में उन्हें दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा. राजा ने भगवान से इस स्थान पर ऋषिकेश स्वरूप में ही स्थायी रूप से विराजमान रहने का वरदान मांगा.
पांडवों के अज्ञातवास का साक्षीकिंवदंतियों के अनुसार, इस क्षेत्र में पांडवों ने अपने अज्ञातवास का कुछ समय बिताया था. भीम द्वारा चलाई गई इस चक्की का संबंध भी इसी समय से जोड़ा जाता है. मंदिर में कई प्राचीन मूर्तियां और कलाकृतियां संरक्षित हैं, जो इसकी ऐतिहासिक महत्ता को दर्शाती हैं.
भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्रमंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु इस चक्की को देखकर चकित हो जाते हैं. मंदिर का रखरखाव देवस्थान विभाग और सिरोही के पूर्व राजपरिवार द्वारा किया जाता है, जो इसे निज मंदिर मानते हैं.
पौराणिक धरोहर का संरक्षणयह मंदिर और इसकी प्राचीन चक्की भारतीय संस्कृति और इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. स्थानीय लोग और पर्यटक यहां आकर इस अद्वितीय धरोहर के महत्व को अनुभव करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 9, 2024, 12:10 IST