Rajasthan

Redefining Traditions Udaipur Sarla Gupta Becomes a Female Priest Performs Last Rites

Last Updated:March 22, 2025, 13:50 IST

उदयपुर की एक ऐसी महिला पुजारी हैं, जिन्होंने अंतिम संस्कार जैसे कार्यों को भी अपनाने का निश्चय किया. वे लोकल 18 को बताती हैं कि महामारी के दौरान श्मशान घाटों पर शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए परिजन तक नहीं म…और पढ़ेंX
महिला
महिला पंडित 

हाइलाइट्स

सरला गुप्ता बनीं महिला पंडित, अंतिम संस्कार भी कराती हैं.विवाह और संस्कारों की दक्षिणा लड़कियों की शिक्षा को दान.कोविड काल में अंतिम संस्कार का निर्णय लिया.

उदयपुर:- धार्मिक अनुष्ठानों में पुरुषों का वर्चस्व थोड़ा ज्यादा है. राजस्थान के उदयपुर की 64 वर्षीय सरला गुप्ता ने ये कारनामा कर दिखाया. वे न केवल विवाह, मुंडन और कर्णछेदन जैसे शुभ संस्कार कराती हैं, बल्कि पिछले पांच सालों में 70 से अधिक अंतिम संस्कार भी संपन्न करवा चुकी हैं. खास बात यह है कि वे विवाह और अन्य संस्कारों से प्राप्त दक्षिणा को लड़कियों की शिक्षा के लिए दान कर देती हैं.

कोरोना काल में किया अंतिम संस्कार का निर्णयसरला गुप्ता ने 2016 में शादी-ब्याह और अन्य धार्मिक कार्य करवाने की शुरुआत की थी, लेकिन 2020 में जब कोविड महामारी का प्रकोप बढ़ा, तो उन्होंने अंतिम संस्कार जैसे कार्यों को भी अपनाने का निश्चय किया. वे लोकल 18 को बताती हैं कि महामारी के दौरान श्मशान घाटों पर शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए परिजन तक नहीं मिल रहे थे. तब मैंने इस कार्य को करने का निर्णय लिया.

तीन महिलाएं कर रही हैं अंतिम संस्कारसरला बताती हैं कि भारत में उनके अलावा केवल दो अन्य महिलाएं अंतिम संस्कार करवाने का कार्य कर रही हैं. वे जिस भी घर में जाती हैं, वहां की महिलाओं को धार्मिक कार्यों में शामिल होने के लिए प्रेरित करती हैं और उन्हें विधि-विधान सिखाने का प्रयास करती हैं.

आर्य समाज से ली विधिवत ट्रेनिंगसरला के परिवार में आर्य समाज की परंपरा रही है. उनके घर में बचपन से ही नियमित हवन होता था. 2016 में जब उनके पति राजकुमार गुप्ता हिंदुस्तान जिंक से सेवानिवृत्त हुए, तब उन्होंने पुरोहिताई करने की इच्छा जताई. इसके बाद उन्होंने अजमेर और गुजरात के रोजड़ स्थित आर्य समाज के शिविरों में प्रशिक्षण लिया और मंत्रोच्चार से लेकर विभिन्न अनुष्ठानों की बारीकियां सीखीं.

समाज की मानसिकता बदली, अब हो रही प्रशंसाशुरुआती दिनों में समाज के कुछ लोगों ने उनके इस कदम का विरोध किया, लेकिन आज उनके कार्यों की सराहना की जा रही है. अब उन्हें जयपुर, प्रयागराज, अजमेर सहित कई अन्य शहरों से भी बुलाया जाता है. वे Local 18 को बताती हैं कि अब लोग महिला पंडित को स्वीकार करने लगे हैं. महिलाओं को धार्मिक कार्यों से जोड़ने की जरूरत है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें. सरला गुप्ता आज महिला सशक्तिकरण की मिसाल बन चुकी हैं और समाज में एक नई सोच को जन्म दे रही हैं.


Location :

Udaipur,Rajasthan

First Published :

March 22, 2025, 13:50 IST

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आस-पड़ोस के तानों से इस महिला पंडित का नहीं गिरा हौंसला, अब करातीं सारे कर्म!

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