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Registry Process News. जमीन या खेत की रजिस्ट्री एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें जरा सी चूक आपको बड़े नुकसान में डाल सकती है. इसलिए अगर आपने कोई खेत खरीदा है और उसकी रजिस्ट्री करवाने जा रहे हैं तो जरूरी है कि आप कुछ बातों का खास ध्यान रखें. रजिस्ट्री केवल कागजों पर हस्ताक्षर भर नहीं, बल्कि कानूनी रूप से स्वामित्व हस्तांतरण की प्रक्रिया है. इसलिए इसमें हर कदम सोच-समझकर उठाना जरूरी होता है.
सीकर जिले खाटूश्याम जी नगर पालिका पटवारी पटवार रोहिताश सेपट ने बताया कि जो भी व्यक्ति खेत की जमीन खरीद रहा है वह सबसे पहले खरीदी जाने वाली जमीन का खसरा नंबर और जमाबंदी रिकॉर्ड जांचना बेहद जरूरी है. इसके लिए वे पटवारी की मदद ले सकता है. इसके अलावा यह देखना चाहिए कि खेत का मालिक वास्तव में वही व्यक्ति है जो बिक्री कर रहा है. इसके अलावा यह भी पता करें कि जमीन पर किसी प्रकार का विवाद, बंधक या सरकारी रोक (स्टे आदेश) तो नहीं है.उन्होंने बताया कि, आजकल ऑनलाइन रिकॉर्ड्स के माध्यम से जमीन की जानकारी आसानी से राजस्व विभाग की वेबसाइट से प्राप्त की जा सकती है, जिससे धोखाधड़ी की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है.
इन बातों का रहे ध्यान रजिस्ट्री के लिए बिक्री अनुबंध (सेल एग्रीमेंट) तैयार किया जाता है, जिसमें खरीदार और विक्रेता दोनों के नाम, जमीन का पूरा विवरण, तय की गई कीमत और भुगतान की शर्तें साफ-साफ दर्ज होनी चाहिए. रजिस्ट्री के लिए दोनों पक्षों की फोटो पहचान पत्र, पैन कार्ड और पासपोर्ट साइज फोटो भी जरूरी होती है. उन्होंने बताया कि इस पूरी प्रोसेस में दस्तावेजों को नोटरी या वकील के माध्यम से करवाना सुरक्षित रहता है.
जमीनी विवाद से बचने के लिए ये करे पटवारी पटवार रोहिताश सेपट ने बताया कि खेत की रजिस्ट्री से पहले स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान करना आवश्यक होता है. राजस्थान में इसकी दरें सरकार द्वारा तय की जाती हैं, जो जमीन के सर्किल रेट के अनुसार बदलती हैं. खरीदार को इन शुल्कों का भुगतान ऑनलाइन या बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से करना चाहिए ताकि रिकॉर्ड स्पष्ट रहे. रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी होने के बाद खरीदार को रजिस्टर्ड दस्तावेज की नकल (कॉपी) अपने नाम की जमाबंदी में दर्ज करवानी चाहिए. इसके लिए तहसील या ई-मित्र केंद्र पर आवेदन किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि कई बार लोग रजिस्ट्री तो करवा लेते हैं, लेकिन नामांतरण (म्यूटेशन) नहीं करवाते, जिससे भविष्य में विवाद की स्थिति बन सकती है.
ऑनलाइन आवेदन की प्रोसेसपटवारी रोहिताश सेपट के अनुसार, खेत की रजिस्ट्री करवाते समय सावधानी, दस्तावेजों की जांच और सरकारी नियमों का पालन ही सबसे जरूरी है. थोड़ी सतर्कता न केवल आपको कानूनी परेशानियों से बचा सकती है, बल्कि आपके निवेश को भी पूरी तरह सुरक्षित बनाती है. उन्होंने बताया कि रजिस्ट्री की प्रक्रिया ऑनलाइन करने के लिए राज्य सरकार ने ई पंजीयन पोर्टल शुरू किया है. इस पोर्टल के अंदर सिटिजन पोर्टल का ऑप्शन दिया गया है. इसकी पोर्टल पर जमीन संबंधित सारे डाक्यूमेंट्स अपलोड किए जाते हैं. सारे डॉक्यूमेंट सही होने के बाद टोकन नंबर जनरेट होते हैं. स्टॉक का नंबर के साथ जमीन संबंधित जानकारी के साथ क्रेता और विक्रेता की जानकारी भी जानकारी होती है.
इसमें गांव, खसरा नंबर और पटवारी की जानकारी दी जाती है. यानी, पूरी प्रोसेस वैधानिक तौर पर पूरी करने के बाद रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी हो जाती है.



