बीकानेर का शाही श्मशान, यहां बनी सैंकड़ो छतरिया हैं पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र

बीकानेर : बीकानेर हवेलियों और जूनागढ़ किले की वजह से काफी प्रसिद्ध है. यहां राजा महाराजा से जुड़े कई महल, हवेलियां है जो पर्यटकों के लिए काफी आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं. आपने कई बार श्मशान गृह देखें होंगे, लेकिन कभी आपने शाही श्मशान देखा है, अगर नहीं देखा तो आज हम आपको शाही श्मशान के बारे में बताते है. बीकानेर से 15 से 20 किलोमीटर देवीकुंड सागर गांव में बीकानेर राजघराने का शाही श्मशान है. इस श्मशान को देखने के लिए हर साल लाखों की संख्या में देशी और विदेशी पर्यटक आते हैं.
मोक्षधाम से जुड़े रवि शंकर पुरोहित ने बताया कि यह बीकानेर के राजा महाराजाओ का श्मशान है. यह श्मशान करीब 500 साल पुराना है. राजपरिवार की ओर से संचालित ट्रस्ट की ओर से ही इन छतरियों की देखभाल की जाती है.
बीकानेर रियासत के राजपरिवार के सदस्यों का अंतिम विश्राम स्थल के रूप में देवीकुंड सागर की पहचान है. इस मोक्ष धाम में राज परिवार के किसी भी सदस्य के निधन के बाद उनकी अंत्येष्टि यहीं की जाती रही है. अंत्येष्टि के बाद उसी स्थान पर एक छतरी का निर्माण करवाया जाता है. इस मोक्ष धाम में बीकानेर रियासत के शुरुआती दो या तीन महाराजाओं को छोड़कर सभी राजाओं और राज परिवार के किसी भी सदस्य के निधन के बाद उनकी अंत्येष्टि यहीं की जाती रही है और आज भी यह परंपरा कायम है. यहां करीब 300 से 400 छतरिया बनी हुई है.
वे बताते है कि हमारे पूर्वजों ने बताया था कि पहले तो यहां हाथों से छतरी बनाई जाती थी. इसके लिए विदेशों से पत्थर मंगवाते थे और फिर यहां के कारीगर यह छतरी बनाते थे.बीकानेर रियासत के पांचवें राजा की छतरी यहां सबसे पहले बनी और उसके बाद राज परिवार के किसी भी सदस्य और राजा के निधन के बाद छतरी बनवाई जाती है. संगमरमर के साथ ही लाल पत्थरों की मुगलकालीन शैली में छतरियों का निर्माण हुआ. यहां छतरी के निर्माण के लिए विदेशों से पत्थर मंगवाते थे.
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FIRST PUBLISHED : April 24, 2024, 14:15 IST