Rizwana of Jalore is making women self-reliant – News18 हिंदी
रिपोर्ट-सोनाली भाटी
जालौर. राजस्थान के जालौर जिले के एक छोटे से गांव आहोर की रिजवाना अब महिला सशक्तीकरण की मिसाल हैं. ग्रामीण परिवेश की एक साधारण की घरेलू महिला अब न सिर्फ खुद आत्मनिर्भर है बल्कि अपनी जैसी सैकड़ों महिलाओं को आत्मनिर्भर बना चुकी हैं. ऐसा कौन सा काम है जो रिजवाना नहीं कर रहीं. वो सिलाई कढ़ाई से लेकर खेती किसानी तक इन महिलाओं को सिखा रही हैं.
रिजवाना बानो की कहानी एक साधारण महिला की सफलता की कहानी है. ग्रामीण क्षेत्र की इस महिला ने अपने सपने पूरा करने के लिए जिंदगी में कई चुनौतियों का सामना किया. सामान्य तौर पर महिलाओं पर परंपरागत रूप से परिवार की देखभाल, सुरक्षा, सम्मान, संस्कार संस्कृति की जिम्मेदारी होती है. लेकिन उनमें से कुछ ही रिजवाना जैसी महिलाएं होती हैं जो अपने हुनर की पहचान कर मिसाल बन जाती हैं.
सशक्तिकरण और समर्पण की कहानी
रिजवाना को जब एसएचजी में अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया तब उसे नए माहौल के पांच सूत्रों का पालन करना उनके लिए बहुत नया था. इसके बारे में उन्होंने बहुत कम ही सुना था. यह उनके जीवन की नई शुरुआत थी और साथ महिलाओं के लिए अपनी चिंताओं को साझा करने और पारिवारिक बांधाओ को तोड़ने का अवसर था. 2023 में खुशी ग्राम संगठन बनाया और गांव की कई जरूरतमंद महिलाओं को उससे जोड़ा. उसके बाद वो आहोर की 30 ग्राम संगठनों के महासंघ की प्रमुख बनीं. रिजवाना को कई प्रशिक्षकों और महिला सशक्तिकरण कार्यशाला में शामिल होने का अवसर मिला. उनकी सफलता का सफर जारी रहा और वो एक मास्टर डिजिटल सखी बन गयीं. गांव में डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी उन्हें दी गयी.
4000 महिलाओं की लीडर
रिजवाना बानो गर्व से बताती है आज मैं उन 4000 महिलाओं के साथ चलती हूं जिन्हें मेरी जरूरत है. वो आहोर गांव में किचन गार्डन और अन्य घरेलू जरूरत की खेती बाड़ी के बारे में भी महिलाओं को सिखा रही हैं और उन्हें करने का मौका भी दे रही हैं. इस तरह अब वो कृषि सखी भी है. रिजवाना आहोर के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के समूह भी बनाती है. इतना सब करने के बाद अब वो एक बेकरी खोलने की योजना बना रही हैं. ये पूरी तरह से महिलाओं की होगी.
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FIRST PUBLISHED : March 8, 2024, 16:44 IST