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running Gangaur in country celebrate here know unique faith

Last Updated:April 02, 2025, 13:03 IST

बीकानेर राज परिवार की गणगौर शाही लवाजमें के साथ चौतीना कुआं के पास जैसे ही पहुंचती है, भादाणी समाज की गणगौर को युवक अपने सिर पर रखकर दौड़ लगाते हैं.  कोटगेट की ओर दौड़ने के दौरान युवक गणगौर एक-दूसरे का देते रहत…और पढ़ेंX
रियासत
रियासत काल से बीकानेर में इस गणगौर दौड़ यहां चौतीना कुआ से हो रही है.

हाइलाइट्स

बीकानेर में गणगौर को लेकर दौड़ने की अनोखी परंपरा है.भादाणी समाज के युवक गणगौर को सिर पर रखकर दौड़ते हैं.शाही गणगौर और भादाणी गणगौर का मिलन आज तक नहीं हुआ है.

बीकानेर:- राजस्थान में गणगौर का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. बीकानेर में गणगौर को लेकर कई अनोखी परम्परा है. इनमें से एक अनोखी परम्परा है कि यहां एक समाज की गणगौर को समाज के लोग लेकर दौड़ते हैं. यह देश की पहली गणगौर होगी, जिसे समाज के लोग लेकर दौड़ते हैं. रियासत काल से बीकानेर में इस गणगौर दौड़ यहां चौतीना कुआं से हो रही है. इसमें पुरुष गणगौर प्रतिमा को अपने सिर पर विराजित कर दौड़ लगाते हैं. दौड़ते हुए भुजिया बाजार पहुंचने पर यह संपन्न होती है.

आपस में बदलते हैं गणगौर बीकानेर राज परिवार की गणगौर शाही लवाजमें के साथ चौतीना कुआं के पास जैसे ही पहुंचती है, भादाणी समाज की गणगौर को युवक अपने सिर पर रखकर दौड़ लगाते हैं.  कोटगेट की ओर दौड़ने के दौरान युवक गणगौर एक-दूसरे का देते रहते हैं. एक बार दौड़ शुरू होने के बाद किसी भी हालत में यह रूकती नहीं है. इस दौरान सड़कों के दोनों तरफ बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने के लिए खड़े रहते हैं.

इन दोनों गणगौर का मिलन आज तक कभी नहीं हुआ है. शताब्दियों से चली आ रही इस परंपरा का निर्वहन बकायदगी से हो रहा है. अब भी जब शाही गणगौर जूनागढ़ के किले से बाहर निकलती है, उस वक्त भादाणी समाज के लोग दौड़कर गणगौर को ले जाते हैं. लेकिन उसका मुंह जूनागढ़ की तरफ ही रखते हैं. ऐसे में भादाणी समाज की जो गणगौर है, वह राजपरिवार की गणगौर को देख पाती है, लेकिन इनका मिलना नहीं हो पाता.

इस घटना के बाद चली आ रही परंपराजानकारों के अनुसार, बीकानेर के महाराजा रायसिंह के शासनकाल के दौरान यह गणगौर प्रतिमा जोधपुर से बीकानेर आई. बीकानेर राज्य के दीवान कर्मचंद बच्छावत ने उस दौर में हुए आक्रमण के दौरान यह गणगौर भादो जी को दी थी. भादो इस गणगौर को लेकर दौड़ते हुए निकल गए थे. उसी घटना के बाद यह परम्परा चली आ रही है.

चैत्र शुक्ल चतुर्थी तक उत्सवभादाणी समाज के महेश ने लोकल 18 को बताया कि गणगौर प्रतिमा पूजन के लिए शीतला अष्टमी बाहर निकाली जाती है. इस दौरान रंगाई व श्रृंगार के बाद चैत्र शुक्ल चतुर्थी तक उत्सव चलता है. इस शहरवासी इस गणगौर प्रतिमा के दर्शन-पूजन कर पानी पिलाने, भोग अर्पित करने, धोती ओढ़ाने व खोव्य भराई की रस्म करते हैं. गणगौर प्रतिमा बीकानेर में भादाणी जाति के प्रत्येक मकान पर खोला भरवाने के लिए पहुंचती है. इस प्रतिमा के प्रति लोगों की विशेष आस्था और श्रद्धा है. इस गणगौर के पूजन उत्सव में बारीदार भादाणी समाज के सदस्यों के साथ-साथ सम्पूर्ण समाज के लोग पूजन-उत्सव मनाते हैं.

Location :

Bikaner,Rajasthan

First Published :

April 02, 2025, 13:03 IST

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बीकानेर में गणगौर दौड़; शाही परंपरा और भादाणी समाज की अनूठी श्रद्धा

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