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Russia News | Putin India Visit | Rasputin News | Russian queen and Rasputin Story | रासपुतिन की रहस्यमयी कहानी रशियन रानी से अफेयर से लेकर रोमानोव राजवंश के पतन तक

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज दो दिनों के दौरे पर दिल्ली आ रहे हैं. उनकी इस यात्रा को लेकर पूरी दिल्ली हाई अलर्ट पर है. आज भारत में सभी की जुबान पर पुतिन का नाम है. पुतिन को दुनिया के चंद सबसे ताकतवर लोगों में गिना जाता है. वैसे रूस के इतिहास में एक और पुतिन हुआ है, जिसे उस वक्त रूस का ताकतवर शख्स कहा जाता है. ऐसा शख्स जिस पर कई फिल्में और गाने लिखे गए. आज भी रूस में उसका नाम आते ही लोग सिहर जाते हैं.

हम यहां बात कर रहे हैं रासपुतिन की, जिसका पूरा नाम था- ग्रिगोरी येफिमोविच रासपुतिन… एक गंदे, बदबूदार, भिखारी जैसे दिखने वाले साइबेरियाई किसान ने रूस के सबसे शक्तिशाली शाही परिवार को इस कदर अपने वश में कर लिया था कि ज़ार निकोलस द्वितीय का पूरा रोमानोव साम्राज्य उसके इशारे पर चलता था. रानी एलेक्जेंड्रा उसकी भक्त बन गई थीं. और एक छोटी-सी भविष्यवाणी ने 300 साल पुराना रोमानोव राजवंश हमेशा के लिए खत्म कर दिया.

आज भी रूस में रासपुतिन का नाम लेते ही लोग सिहर उठते हैं. कोई उसे शैतान कहता है, कोई चमत्कारी संत… लेकिन सच ये है कि उसने रूस को बोल्शेविक क्रांति की आग में झोंक दिया.

साइबेरिया का वो भिखारी, जिसकी आंखों में था जादू

1869 में साइबेरिया के पोक्रोवस्कोए गांव में एक गरीब किसान परिवार में जन्मा ग्रिगोरी रासपुतिन बचपन से ही अलग था. चोरी, शराब, औरतें… वह सबमें लिप्त रहता था. गांव वाले उसे ‘पागल भिक्षु’ कहते थे. लेकिन उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी. लोग कहते थे कि वो बीमारों को छूकर ठीक कर देता है. 1903 में वो तीर्थयात्री बनकर सेंट पीटर्सबर्ग पहुंचा. गंदे बाल, बदबूदार कपड़े, लेकिन बोलने की ऐसी शक्ति कि बड़े-बड़े पादरी भी उसकी बातों में खो जाते. धीरे-धीरे उसने शाही दरबार में जगह बना ली.

जब रासपुतिन ने ज़ार के बेटे की जान बचाई

1905 में ज़ार निकोलस द्वितीय और रानी एलेक्जेंड्रा का इकलौता बेटा एलेक्सी पैदा हुआ. लेकिन उस बच्चे को हेमोफीलिया था, यानी उसका खून नहीं जमता था. छोटी सी चोट भी उसकी जान ले सकती थी. डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए थे. एक रात 1907 में एलेक्सी को खून बहने लगा. रानी रो-रोकर बेहाल. तभी किसी ने रासपुतिन का नाम सुझाया. वो आया, बच्चे के पास बैठा, हाथ फेरा, कुछ मंत्र पढ़े और… खून रुक गया.

रानी की आंखों में आंसू थे. उसने रासपुतिन के पैर छुए और कहा, ‘तुम भगवान के दूत हो.’ बस यहीं से शुरू हुआ रासपुतिन का जादू. वो शाही महल में आता-जाता. रानी उसे ‘हमारा दोस्त’ कहने लगी. ज़ार निकोलस उसे ‘पवित्र भिक्षु’ मानने लगे.

रासपुतिन अपने परिवार के साथ (फोटो- विकिपीडिया)

रासपुतिन ने क्या की थी भविष्यवाणी?

फिर रासपुतिन ने एक दिन कहा… ‘जब तक मैं जिंदा हूं, रोमानोव राजवंश सुरक्षित रहेगा. मेरी मौत के साथ तुम्हारा साम्राज्य भी खत्म हो जाएगा.’ ये भविष्यवाणी बाद में सच साबित हुई.

रासपुतिन की जिंदगी रहस्यों से भरी थी. वो दिन में पवित्र भिक्षु बनता, रात में शराब और औरतों में डूब जाता. सेंट पीटर्सबर्ग की नामी गिरामी औरतें उसके पास आती थीं. वो कहता था… ‘पाप करके ही पवित्रता मिलती है.’ उसकी महफिलों में राजकुमारियां, डचेस और मंत्रियों की पत्नियां भी शामिल होती थीं. कहा जाता है कि उसने कई रूसी कुलीन परिवारों की औरतों को अपने वश में कर लिया. ज़ार को भी उसने कहा… ‘तुम्हारे दरबार में जितने मंत्री हैं, सब मेरे कहने पर चलते हैं.’

रासपुतिन की महफिलों में रूस की कुलीन औरतों का जमावड़ा रहा करता था.

और यह सच था. वो मंत्रियों की नियुक्ति-बर्खास्तगी करवाता. रूस प्रथम विश्व युद्ध में बुरी तरह फंस रहा था, लेकिन रासपुतिन के कहने पर ज़ार ने खुद सेना की कमान संभाल ली और मोर्चे पर चले गए. रानी अकेली रह गईं और रासपुतिन ने पूरा शाही प्रशासन अपने हाथ में ले लिया.

न जहर से मरा, न गोली से हुई मौत

रासपुतिन की ताकत से कुलीन वर्ग त्रस्त था. आखिरकार प्रिंस फेलिक्स युसुपोव ने उसे मारने का प्लान बनाया. 30 दिसंबर 1916 की रात… युसुपोव ने रासपुतिन को अपने महल में बुलाया. केक और वाइन में सायनाइड मिलाया. कहा जाता है कि रासपुतिन ने खूब खाया-पिया, लेकिन कुछ नहीं हुआ. फिर युसुपोव ने उसके सीने में गोली मार दी. रासपुतिन गिरा, लेकिन फिर उठ खड़ा हुआ. भागने लगा. बाहर बर्फ में दूसरी गोली मारी. फिर भी नहीं मरा. आखिरकार उसे रस्सी से बांधकर नेवा नदी की बर्फ में फेंक दिया गया.

और सच हुई भविष्यवाणी

रासपुतिन की मौत के महज 14 महीने बाद फरवरी 1917 में रूस में क्रांति हुई. ज़ार निकोलस को गद्दी छोड़नी पड़ी. जुलाई 1918 में बोल्शेविकों ने ज़ार, रानी और उनके पांच बच्चों को एक तहखाने में गोली मार दी. 300 साल पुराना रोमानोव राजवंश खत्म हो गया और रासपुतिन की भविष्यवाणी सच साबित हुई

आज 109 साल बाद भी रूस में रासपुतिन का नाम लेते ही लोग सहम जाते हैं. कुछ उसे संत मानते हैं, कुछ शैतान. रूस में उसकी कोई कब्र नहीं है. उसकी लाश भी गायब कर दी गई थी. लेकिन उसकी तस्वीरें, उसकी आंखें आज भी लोगों को डराती हैं. रूस के कई घरों में उसकी तस्वीर लटकी है – लोग मानते हैं कि वो बुरी नजर से बचाता है.

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