नाथद्वारा के भगवान कृष्ण का क्या है औरंगजेब कनेक्शन, कैसे मथुरा से यहां पहुंच आए? जानें सबकुछ

निशा राठौड़.
राजसमंद. राजस्थान के मेवाड़ इलाके के राजसमंद जिले के नाथद्वारा में स्थित जगप्रसिद्ध श्रीनाथजी देशभर में आराध्या देव के रूप में पूजे जाते हैं. देश के कोने-कोने से यहां श्रद्धालु मत्था टेकने आते हैं. गरीब से गरीब और अमीर से अमीर यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं. श्रीनाथजी सभी की इच्छाएं पूरी करते हैं. श्रीनाथजी नाथद्वारा में हवेली में विराजते हैं. यह हवेली श्रीनाथजी की हवेली के रूप में जानी जाती है. इसे मेवाड़ के तत्कालीन महाराणा राज सिंह द्वारा बनवाया गया था. मेवाड़ में श्रीनाथजी की पूजा बाल स्वरूप के रूप में की जाती है. यहां पर दिनभर में करीब आठ बार भगवान की अलग-अलग रूपों में पूजा अर्चना होती है.
श्रीनाथजी को लेकर कई तरह की कहानियां और किवदंतियां प्रचलन में हैं. श्रीनाथजी की इस हवेली के निर्माण से मुगल शासक औरंगजेब से सीधा संबंध रहा है. इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा ने बताते हैं कि जब औरंगजेब देश के हिंदू मंदिरों को तुड़वा रहा था तब मथुरा में बनाई गई मूर्तियों को देश के विभिन्न हिस्सों में ले जाया गया. उन्हीं में से एक श्रीकृष्ण की बाल स्वरूप की मूर्ति मेवाड़ के श्रीनाथजी मंदिर में स्थित है.
महाराणा ने औरंगजेब से मूर्ति की रक्षा करने का दिया था वचन
बकौल शर्मा इस मूर्ति को वहां के वैष्णव संप्रदाय के लोग मेवाड़ लेकर आए थे. इसके बाद मेवाड़ के महाराणा राज सिंह ने औरंगजेब से मूर्ति की रक्षा का वचन दिया था. इसके बाद इस मूर्ति की पूजा अर्चना मेवाड़ में शुरू हुई. मूर्ति लेकर आ रही बैलगाड़ी जहां रुक गई थी उसी जगह मेवाड़ श्रीनाथजी के लिए यह खास हवेली बनवा गई थी. यह हवेली राजस्थानी वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है.
कृष्ण जन्मोत्सव पर 21 तोपों की सलामी दी जाती है
यहां कृष्ण जन्मोत्सव को बेहद धूमधाम से मनाया जाता है. यहां कृष्ण जन्मोत्सव पर रात ठीक 12 बजे प्रभु श्रीनाथजी को 21 तोपों की सलामी दी जाती है. भगवान के मंदिर मोती महल में बिगुल और बैंड बजाकर उनके जन्म की खुशियां मनाई जाती हैं. यहां प्रभु श्रीनाथजी की विग्रह दुर्लभ काले संगमरमर के पत्थर से बना हुआ है. इसमें विग्रह का बायां हाथ हवा में उठा हुआ है और दाहिने हाथ की मुट्ठी को कमर पर टिकाया हुआ है.
उदयपुर से महज 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है
राजसमंद का नाथद्वारा का आसपास का क्षेत्र प्राकृतिक रूप से बेहद समृद्ध है. नाथद्वारा अरावली पर्वतमाला के पास में स्थित है और यह बनास नदी के किनारे पर बसा हुआ है. इसे श्रीनाथजी नाथद्वारा के नाम से ही जाता जाता है. नाथद्वारा झीलों की नगरी उदयपुर से महज 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. श्रीनाथजी के मंदिर की वजह से आज नाथद्वारा की पहचान केवल देश बल्कि विदेश में भी है.
बीते दिनों पीएम मोदी भी नाथद्वारा आए थे
नाथद्वारा में स्थित श्रीनाथजी के मंदिर के दर्शन के लिए देश के कई बड़े नामी घराने के लोग पहुंचते हैं. बीते दिनों यहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी दर्शन करने आए थे. अक्सर जो लोग मेवाड़ की पावन धरा पर पहुंचते हैं वे श्रीनाथजी के दर्शन किए बगैर यहां से नहीं जाते हैं. प्रभु श्रीनाथजी उनके यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना को पूर्ण करते हैं और सुख समृद्धि के भंडार भरते हैं.
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FIRST PUBLISHED : January 6, 2024, 16:38 IST