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S Jaishankar On Europe I India-Pakistan Tension I Pahalgam Terrorist Attack Update : एस जयशंकर ने यूरोपीय देशों पर साधा निशाना, भारत को चाहिए साझेदार, उपदेशक नहीं.

Last Updated:May 05, 2025, 18:35 IST

India – Pakistan Tension : एस जयशंकर ने आर्कटिक सर्कल इंडिया फोरम में कहा कि भारत को साझेदार चाहिए, उपदेशक नहीं. उन्होंने जर्मनी और फ्रांस की आलोचना की जो खुद रूस से गैस लेते हैं लेकिन भारत को रूस से तेल न लेने…और पढ़ेंAnalysis : संयम का उपदेश देने वाले क्या लश्कर के समर्थक हैं?

जिन देशों ने पहलगाम के बाद भी भारत को संयम का उपदेश दिया उन पर जयशंकर जम कर बरसे

हाइलाइट्स

एस जयशंकर ने यूरोप की आलोचना कीपहलगाम के बाद संयम का उपदेश पसंद नहींजर्मनी और फ्रांस पर दोहरे रवैये का आरोप

हमारे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 4 मई 2025 को आर्कटिक सर्कल इंडिया फोरम में कहा कि भारत को साझेदार चाहिए, उपदेशक नहीं जो घर में कुछ और करते हैं और बाहर कुछ और उपदेश देते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ यूरोपीय देश इस समस्या से जूझ रहे हैं. आखिर किन यूरोपीय देशों को जयशंकर निशाने पर ले रहे थे.

जर्मनी और फ्रांसजर्मनी और फ्रांस यूरोपीय संघ के बड़े देश हैं. ये जयशंकर के निशाने पर हैं. दोनों देश भारत से रूस के खिलाफ सख्त रुख की मांग करते रहे हैं . रूस-यूक्रेन युद्ध में उन्होंने भारत से रूस पर प्रतिबंध लगाने को कहा जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भारत पर दबाव बनाया. लेकिन भारत ने रूस के साथ यथार्थवादी रवैया रखा.  ये दोनों देश ऐसे हैं जो खुद रूस से गैस लेते रहे. 2023 तक उन्होंने बेल्जियम और नीदरलैंड्स के रास्ते रूसी गैस खरीदी. फिर भी भारत को रूस से तेल न लेने को कहा. यह दोहरा रवैया है. पहलगाम हमले पर उनकी चुप्पी ने भी भारत को नाराज किया. 22 अप्रैल को आतंकवादियों के कायराना हमले में 26 लोग मारे गए थे.

यूरोपीय संघ का रिएक्शनयूरोपीय संघ की विदेश मामलों की नेता काजा कैलास ने 2 मई 2025 को बयान दिया. उन्होंने भारत और पाकिस्तान से संयम बरतने को कहा. पहलगाम हमले के बाद ये बयान पाकिस्तान की ओर ज्यादा झुका हुआ है. यूरोप की ये पुरानी समस्या रही है. उन्हें हमलावर और पीड़ित में फर्क करना आना चाहिए. अगर आप हमारी सुरक्षा चिंताओं की परवाह नहीं करेंगे तो बार-बार सुनने को मिलेगा.

स्टार्मर का उपदेश ब्रिटेन अब यूरोपीय संघ का हिस्सा नहीं है लेकिन वह यूरोप की तरह सोचता है. ब्रिटेन ने भी रूस के साथ जाने पर हमारी आलोचना की थी. यूक्रेन पर हमले के बाद बोरिस जॉनसन ने भारत से कहा था कि वो रूस से रिश्ते तोड़ ले. उसे ये समझ नहीं आ रहा कि 21 वीं सदी का भारत औपनिवेशिक काल से काफी आगे निकल चुका है.  हमारी स्वतंत्र नीति राष्ट्र प्रथम के सिद्धांत पर चलती है. डोनाल्ड ट्रंप के आने के बाद यूरोप तो खुद ही यूक्रेन पर एक्सपोज हो चुका है.

ये जगजाहिर है कि पहलगाम में हिंदुओं का नरसंहार पाकिस्तान परस्त लश्कर-ए-तैयबा ने किया. पाकिस्तान की आर्मी और आईएसआई इसे ट्रेनिंग देती है. अगर 27 निर्दोष लोगों की हत्या से भारत के 140 करोड़ लोगों का खून खौल रहा है तो यूरोप को भी ये बात समझ में आनी चाहिए. संयम का उपदेश नहीं देना चाहिए.

homenation

Analysis : संयम का उपदेश देने वाले क्या लश्कर के समर्थक हैं?

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