World

S Jaishankar Slams West For Preaching India During East Asia Summit | ‘दुनिया को उपदेश देने वाले खुद नियम तोड़ते’ ईस्ट एशिया समिट में जयशंकर का वार

Last Updated:October 27, 2025, 18:08 IST

S Jaishankar Speech: ईस्ट एशिया समिट में एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों के पाखंड पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कुछ देश उपदेश तो खूब देते हैं मगर खुद उन्हें फॉलो नहीं करते.'दुनिया को उपदेश देने वाले खुद नियम तोड़ते' ईस्ट एशिया समिट में जयशंकर का वारईस्ट एशिया समिट में विदेश मंत्री एस जयशंकर (Photo : MEA)

कुआलालंपुर: ईस्ट एशिया समिट के मंच से भारत ने पश्चिमी देशों को फिर आईना दिखाया. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वैश्विक पाखंड पर सीधा निशाना साधा. उन्होंने कहा कि दुनिया के कुछ ताकतवर मुल्क उपदेश तो बहुत देते हैं. लेकिन खुद उन पर चलते नहीं. ग्लोबल एनर्जी ट्रेड को जान बूझकर सीमित किया जा रहा है. मार्केट में डिस्टॉर्शन पैदा किए जा रहे हैं. सप्लाई चेन पर भरोसा खत्म हो रहा है. जयशंकर ने यह भी कहा कि प्राकृतिक संसाधनों की होड़ बेहद आक्रामक है. और टेक्नोलॉजी की रेस ने दुनिया की असली तस्वीर सामने ला दी है. यानी जो बोलता है, वह करता नहीं. और जो करता है वह बोलता नहीं. भारत ने साफ किया कि दुनिया मल्टीपोलर है और आगे और ज्यादा मल्टीपोलर होगी. ऐसे में नियम एक जैसे होने चाहिए. चुनिंदा देशों के फायदे के हिसाब से नहीं.

जयशंकर बोले, सिद्धांतों को अपनी सुविधा से इस्तेमाल कर रहे हैं पश्चिमी देश

जयशंकर ने कहा कि जाहिर तौर पर बाजार खुला रखने की बात होती है. लेकिन असल में एक्सेस रोकी जाती है. एनर्जी फ्लो पर रोक लगाकर पूरी दुनिया में संकट खड़ा किया जाता है. और फिर वही देश भाषण देते हैं कि ग्लोबल ट्रेड फ्री होना चाहिए. यह विरोधाभास अब सबको दिख रहा है. उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी, टैलेंट और मार्केट का असली खेल किसी से छुपा नहीं. भारत का नजरिया साफ है कि दुनिया को नए हालात के हिसाब से मिलकर बदलना होगा.

चाहे गाजा हो या यूक्रेन, इन संघर्षों ने दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर चोट की है. जयशंकर ने कहा कि भारत शांति की कोशिशों का समर्थन करता है. क्योंकि युद्ध से भूख बढ़ती है. बाजार सिकुड़ते हैं. और आम लोग सबसे ज्यादा कीमत चुकाते हैं.

Delivered ’s National Statement at the 20th East Asia Summit in Kuala Lumpur today.

Highlighted:

The growing concerns of supply chain reliability and market access, and the constriction on energy trade.

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj