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रात में सोए संत बालकदास, सुबह नहीं उठे…आश्रम में पसरा सन्नाटा, अंतिम दर्शन के लिए उमड़ी भीड़

Agency: Rajasthan

Last Updated:February 15, 2025, 16:31 IST

रविवार सुबह संत को आश्रम परिसर में ही समाधि दी जाएगी. संत राजपुरोहित समाज से आते हैं, ऐसे में बड़ी संख्या में राजपुरोहित समाज के लोग भी उनके भक्तों में शामिल है.रात में सोए संत बालकदास, सुबह नहीं उठे…आश्रम में पसरा सन्नाटा, जानें माजरा

संत बालकदास का देवलोक गमन 

हाइलाइट्स

संत बालकदास का देहांत, भक्तों की भीड़ उमड़ी.राजपुरोहित समाज के उत्थान में संत का योगदान.आश्रम में संत बालकदास को समाधि दी जाएगी.

पाली:- सनातम धर्म की सभी जातियों के बीच लोकप्रिय और गौ भक्तों और जरूरतमंदों की मदद करने का संदेश देने वाले संत बालकदास का देवलोक गमन होने के बाद बड़ी संख्या में भक्त उनके अंतिम दर्शन करने के लिए पाली जिले के उंदरा गांव के पास आश्रम में पहुंच रहे हैं. ऐसे में संत की पार्थिक देह अंतिम दर्शन के लिए रखवाई. रविवार सुबह संत को आश्रम परिसर में ही समाधि दी जाएगी. संत राजपुरोहित समाज से आते हैं, ऐसे में बड़ी संख्या में राजपुरोहित समाज के लोग भी उनके भक्तों में शामिल है.

पाली जिल के जोधपुर-जालोर हाइवे पर उंदरा गांव (जेतपुर) के निकट स्थित आश्रम में संत बालकदास पिछले कई सालों से रहकर भक्ति कर रहे थे. वे प्रयागराज गए हुए थे, जो शुक्रवार देर शाम को वापस आश्रम अपने भक्तों के साथ पहुंचे और खाना खाकर सो गए. शनिवार सुबह नहीं उठे, तो आश्रम में रहने वाले भक्त उनके कक्ष में गए, जहां वे मृत मिले.

भक्तों को जब मिली खबर, तो अंतिम दर्शन के लिए लगी भीड़ संत के देवलोक गमन होने की बात कुछ ही मिनटों में भक्तों तक पहुंच गई. भक्तों ने सोशल मीडिया पर संत के देवलोक गमन होने की जानकारी शेयर की. सुबह से ही उनके अंतिम दर्शन के लिए आश्रम भक्त पहुंचने लग गए. ऐसे में अंतिम दर्शन के लिए उनकी पार्थिक देह रखवाई गई है. गौरतलब है कि सहज और सरल स्वागत के संत बालकदास को देवलोक गमन शुक्रवार देर रात को हो गया. शनिवार सुबह इसकी जानकारी मिलने पर बड़ी संख्या में भक्त उनके अंतिम दर्शन के लिए पाली जिले के उंदरा गांव (जेतपुर) के निकट अंतिम पहुंचने लगे.

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राजपुरोहित समाज के उत्थान को लेकर भी किए कई कार्य संत के भक्त मदनसिंह जागरवाल की मानें, तो संत मूल रूप से पाली जिले के सांडेराव क्षेत्र के थे, जिनका मन बचपन से ही भक्ति में रम गया. ऐसे में बाल्यकाल में ही उन्होंने घर त्याग दिया. संत बालकदास राजपुरोहित केदारिया जाति के थे. ऐसे में उन्होंने राजपुरोहित समाज के उत्थान को लेकर भी काफी कुछ कार्य किए. संत बालकदास के भक्तों में हर जाति के लोग शामिल हैं. उन्होंने बताया कि वह पहले नागा साधुओं के साथ रहे. फिर पाली जिले के गिरादड़ा गांव में रहकर भक्ति की.

संत की प्रेरण और सान्निध्य में पूना में खेतेश्वर भवन का निर्माण हुआ. मुम्बई में कासी मीरा भवन निर्माण करवाया. बड़ोदा में खेतेश्वर आश्रम अन्न क्षेत्र का निर्माण करवाया, सिरोही जिले में हरजी गौशाला भी संत के सान्निध्य में शुरू की. उन्होंने हमेशा गौ सेवा और हमेशा जरुरतमंदों की सेवा और मदद करने की शिक्षा दी.


First Published :

February 15, 2025, 16:31 IST

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