सलाम! तीन बहनों के सिर से उठा पिता का साया, गांव वालों ने रखा हाथ, तीनों की 1 मार्च को बजेगी शहनाई

Last Updated:February 26, 2025, 15:53 IST
झींझन गांव ने तीन अनाथ बहनों पप्पी, सीता और कृष्णा की शादी का जिम्मा उठाकर इंसानियत और एकता की मिसाल पेश की है. गांव वालों ने मिलकर शादी की पूरी तैयारी की और ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का संदेश दिया.X
तीन बेटियों की एक साथ में शादी
हाइलाइट्स
झींझन गांव ने तीन अनाथ बहनों की शादी की जिम्मेदारी उठाई.गांव वालों ने मिलकर शादी की पूरी तैयारी की और खर्च उठाया.’बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का संदेश दे रहा है झींझन गांव.
दौसा. समाज में बेटियों को लेकर अक्सर दकियानूसी सोच देखने को मिलती है, लेकिन झींझन गांव ने इंसानियत और एकता की ऐसी मिसाल पेश की है, जो पूरे देश के लिए प्रेरणा बन सकती है. इस गांव के लोगों ने मिलकर तीन अनाथ बहनों, पप्पी, सीता और कृष्णा की शादी का जिम्मा उठाया है.
इन तीनों बहनों के सिर से बचपन में ही पिता का साया उठ गया था. घर में कोई भाई भी नहीं था जो उनका सहारा बनता. ऐसे में जब शादी का समय आया, तो गांव वालों ने मिलकर उनकी जिम्मेदारी उठाई और ‘मिशन’ चलाकर बेटियों की शादी धूमधाम से करने का निर्णय लिया.
गांव वालों और समाजसेवियों ने उठाया पूरा खर्चगांव के समाजसेवी ओमप्रकाश घूमना और अन्य ग्रामीणों ने बेटियों की शादी के लिए मिशन शुरू किया. इस अभियान के तहत हजारों रुपये की राशि कन्यादान के रूप में जुटाई गई, जिससे शादी की तैयारियां शुरू कर दी गई. घर की रंगाई-पुताई से लेकर शादी के सभी जरूरी सामानों की व्यवस्था भी गांव वालों ने मिलकर की.
अलग-अलग गांवों से आएगी बाराततीनों बहनों की शादी 1 मार्च को पूरे रीति-रिवाज के साथ संपन्न होगी. उनके लिए अलग-अलग गांवों से बारातें आएंगी. पूरे गांव में इस विवाह को लेकर उत्साह का माहौल है. लोग इसे सिर्फ शादी नहीं, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में देख रहे हैं.
‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ का संदेश दे रहा गांवझींझन गांव ने अपनी इस पहल के माध्यम से एक गहरी सामाजिक सीख दी है. गांव वालों का कहना है कि बेटियां किसी पर बोझ नहीं होती है, बल्कि समाज की शान होती हैं. उनकी यह पहल ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान को और मजबूती देती है.
समाज के लिए प्रेरणा बना झींझन गांवआज जब समाज में कई लोग बेटियों को बोझ समझते हैं, झींझन गांव ने अपनी एकता और सहयोग से यह साबित कर दिया कि अगर इंसानियत और सामूहिक प्रयास हों, तो कोई भी मुश्किल बड़ी नहीं होती. यह पहल सिर्फ तीन बहनों की शादी ही नहीं, बल्कि समाज के लिए एक नई दिशा और सोच को जन्म दे रही है.
Location :
Dausa,Dausa,Rajasthan
First Published :
February 26, 2025, 15:53 IST
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सलाम! तीन बहनों के सिर से उठा पिता का साया, गांव वालों ने रखा हाथ