Same Song in Two films : 8 साल में रिलीज हुई दो फिल्में, दोनों में सुनाई दिया एक जैसा कालजयी गाना, एक निकली ब्लॉकबस्टर, दूसरी हुई फ्लॉप – jeetendra reena roy aasha movie devotional song tune mujhe bulaya sherawaliye lyrics used in feroz khan waqt ki roti film firt picture turn blockbuster second became superflop

Last Updated:December 15, 2025, 17:17 IST
Same Song in Two Bollywood Movies : बॉलीवुड की हर फिल्म का गीत-संगीत-टाइटल यूनिक होता है. हर डायरेक्टर-प्रोड्यूसर की कोशिश होती है कि वो अपनी फिल्म के लिए अच्छा सा म्यूजिक, स्टोरी, स्क्रीनप्ले तैयार करे. कई बार यह कोशिश बहुत सफल होती है. फिल्म का म्यूजिक मूवी से ज्यादा हिट हो जाता है. वैसे तो दो फिल्मों में एक ही गाना कम ही सुनने को मिलता है लेकिन बॉलीवुड में कई बार यह कारनामा हो चुका है. एक ही गाना दो फिल्मों में सुनाई दिया. दोनों मूवी में गाने का फिल्मांकन अलग ढंग से किया गया. यह भी दिलचस्प है कि एक फिल्म सुपरहिट रही और दूसरी मूवी बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई. यह गाना सबका फेवरेट है और इसे हर कोई साल में दो बार गुनगुनाता है. ये फिल्में कौन सी हैं और यह फेवरेट सॉन्ग कौन सा है, आइये जानते हैं….
बॉलीवुड की दो फिल्मों में एक जैसा सुपरहिट सॉन्ग सुनाई दे तो हैरानी होना स्वभाविक है. 8 साल के अंतराल में बॉक्स ऑफिस पर ऐसी दो फिल्में रिलीज हुई थीं जिनमें एक जैसा सॉन्ग सुनाई दिया. दोनों फिल्में के डायरेक्टर-प्रोड्यूसर अलग थे. संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल थे. ये फिल्में थीं : आशा और दो वक्त की रोटी. आशा फिल्म जहां 1980 में रिलीज हुई थी, वहीं दो वक्त की रोटी 1988 में सिनेमाघरों में आई थी. दोनों ही फिल्मों में एक देवीगीत ‘तुने मुझे बुलाया शेरावालिये’ सुनाई देता है. यह गीत आनंद बख्शी ने लिखा था. दोनों फिल्मों में यह गीता कैसे सुनाई दिया, आइये जानते हैं दिलचस्प किस्सा….

सबसे पहले बात करते हैं 21 मार्च 1980 को रिलीज हुई फिल्म ‘आशा’ की जिसका निर्देशन जे. ओम प्रकाश ने किया था. स्टोरी राम केलकर ने लिखी थी. रमेश पंत ने डायलॉग लिखे थे. फिल्म में जीतेंद्र, रीना रॉय और रामेश्वरी लीड रोल में नजर आई थीं. गीतकार आनंद बख्शी थे. संगीत लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने दिया था. आशा का निर्माण फिल्मयुग प्राइवेट लिमिटे के बैनर तले हुआ था.

आशा फिल्म में ऋतिक रोशन भी नजर आए थे. उस समय वो सिर्फ 6 साल के थे. डायरेक्टर जे. ओम प्रकाश उनके नाना थे. फिल्म के एक गाने ‘जाने हम सड़क के लोगों से’ को जब सेट पर बजाया गया तो ऋतिक नाचने लगे. ऐसे में उन्होंने कैमरामैन से शॉट्स लेने को कहा. आशा फिल्म को 6 कैटेगरी में फिल्म फेयर अवॉर्ड में नॉमिनेशन मिला था. फिल्म का एक और सॉन्ग ‘शीशा हो या दिल हो, आखिर टूट जाता है….’. गाने को लता मंगेशकर ने गाया था. यह गाना फिल्म का आइकोनिक सॉन्ग बन गया. यह गाना दिल की तुलना एक टूटे हुए कांच से करता है.
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फिल्म के सभी गाने ब्लॉकबस्टर साबित हुए थे. इन सुपरहिट गानों में ‘आशाओं के सावन में’, ‘तूने मुझे बुलाया शेरावालिये’ और ‘शीशा हो या दिल हो, आखिर टूट जाता है’ आज भी पॉप्युलर हैं. माता की इस भेंट को मोहम्मद रफी-नरेंद्र चंचल ने गाया था. इस भजन का जादू पिछले कई 45 साल से बरकार है. यह गाना आज भी नवरात्रि में हर पूजा-पंडाल में सुनने को मिलता है. यह गाना राग भैरवी पर आधारित है. जीतेंद्र और रीना रॉय की जोड़ी ने तहलका मचा दिया था. यह फिल्म उस साल की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली मूवी थी.

सबसे दिलचस्प बात यह कि आशा फिल्म का देवी भजन ‘तूने मुझे बुलाया शेरावालिये’ 1988 में आई फिल्म ‘दो वक्त की रोटी’ में यही माता की भेंट सुनाई दी थी. इसके पीछे के कहानी और भी रोचक है. ‘दो वक्त की रोटी’ में फिरोज खान, संजीव कुमार, रीना रॉय, अमजद खान और सुलक्षणा पंडित नजर आए थे. सतपाल ने फिल्म का डायरेक्शन किया था. एमपी अग्रवाल फिल्म के प्रोड्यूसर थे. वैसे इस फिल्म का निर्माण 1978 के आसपास संजीव कुमार के भाई नकुल ने शुरू किया था. फिल्म के निर्माण के दौरान नकुल का असामयिक निधन हो गया. इस वजह से फिल्म बंद हो गई.

फिल्म का गाना ‘तूने मुझे बुलाया शेरावालिये’ पहले ‘दो वक्त की रोटी’ फिल्म के रिकॉर्ड किया गया था. फिल्म अटक गई तो यह गीत जे. ओम प्रकाश को बेच दिया गया. उन्होंने आशा फिल्म में गाने का इस्तेमाल किया. यह गाना फिल्म की पहचान बन गया. बाद में ‘दो वक्त की रोटी’ को प्रोड्यूसर एमपी अग्रवाल ने पूरा किया. 1988 में फिल्म को पूरा करके रिलीज किया गया. हालांकि ‘दो वक्त की रोटी’ फिल्म में भी ‘तूने मुझे बुलाया’ गाने को रख लिया गया. यह बात अलग है कि यह फिल्म फ्लॉप रही. दोनों ही फिल्मों में रीना रॉय नजर आई थीं.

आशा फिल्म के लिए पहले जीतेंद्र नहीं बल्कि धर्मेंद्र उनकी पहली पसंद थे. धर्मेंद्र के साथ प्रोड्यूसर-डायरेक्टर जे. ओम प्रकाश ने ‘आई मिलन की बेला’, ‘आए दिन बहार के’, और ‘आया सावन झूम के’ जैसी फिल्म बना चुके थे. जीतेंद्र के साथ ‘अपनापन’ के बाद उनकी यह दूसरी फिल्म थी. फिल्म में गिरीश कर्नाड ने शानदार अभिनय किया था.

जरीना वहाब और रंजीता कौर के साथ जीतेंद्र ने काम करने से इनकार कर दिया था. ऐसे में जे. ओम प्रकाश ‘दुल्हन वही जो पिया मन भाए’ फेम रामेश्वरी को कास्ट किया. इस फिल्म के बाद रामेश्वरी का एक्सीडेंट हो गया और उनका करियर तबाह हो गया. बाद में उन्होंने पंजाबी प्रोड्यूसर-डायरेक्टर दीपक सेठ से शादी करके अपना घर बसा लिया. 2002 में उन्होंने फिर से बॉलीवुड में कमबैक किया. अआशा फिल्म शुरुआत में नहीं चली थी लेकिन अचानक दर्शकों का झुकाव मूवी के प्रति बढ़ा और इतिहास रच दिया. यह उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर थी. जैसे-जैसे समय गुजरा, मूवी ने कल्ट क्लासिक का स्टेटस पा लिया.
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December 15, 2025, 16:13 IST
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2 फिल्मों में सुनाई दिया एक ही सॉन्ग, एक निकली ब्लॉकबस्टर, दूसरी हुई सुपरफ्लॉप



