Rajasthan

जज थे अब लगा रहे हैं सुप्रीम कोर्ट से गुहार, ‘सैलरी थी ढाई लाख महीने की’ और अब 20 हजार में कैसे होगा गुजारा…

नई दिल्ली. देश की न्‍याय प्रणाली में सबसे मजबूत और निचली कड़ी जिला जज होते हैं. इन जिला जजों के द्वारा ही तकरीबन 70 फीसदी मामले सुलझाए जाते हैं. लेकिन, विडंबना देखिए इन जजों को ही रिटायरमेंट के बाद न्याय के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आना पड़ा है. बीते सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने जिला अदालतों से रिटायर हुए जजों को कम पेंशन मिलने पर गंभीर चिंता व्यक्त किया. सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि मौजूदा पेंशन नीतियों के चलते सालों सेवा करने वाले जिला जजों को महज 19 से 20 हजार रुपये ही पेंशन मिलती है. ऐसे में ये जज अपनी आजीविका कैसे चलाते होंगे. देश के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ सहित तीन जजों की पीठ ने केंद्र सरकार से इस विषय पर समाधान खोजने का आग्रह किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल आर. वेंकटरामनी से ‘न्यायसंगत समाधान’ खोजने का आग्रह किया है. मुख्य न्यायाधीश ने वेंकटरामनी से कहा कि ‘हम सिर्फ समाधान चाहते हैं, आप जानते हैं कि जिला अदालतों से सेवानिवृत्त होने वाले न्यायिक अधिकारी परेशानियों का सामना कर रहे हैं.’ इस पर अटार्नी जनरल ने कहा कि वह निश्चित रूप से इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से बात करेंगे.

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल आर. वेंकटरामनी से ‘न्यायसंगत समाधान’ खोजने का आग्रह किया है.(प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

सुप्रीम कोर्ट में जजों से जुड़ा पहुंचा यह मामला
अगर जिला जज की सैलरी की बात करें तो इनकी सैलरी हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की तुलना में काफी कम हैं. हालांकि, निचली अदालतों के जजों और दूसरे न्‍यायिक अधिकारियों की वेतन वृद्धि को लेकर गठित दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की संस्तुतियां लागू होने जा रही है. इसके बाद इन जजों की भी सैलरी में 3 गुना बढ़ोतरी हो जाएगी.

कितना सैलरी पाते हैं जिला लेवल के जज
अगर इनकी सैलरी की बात करें तो जिलों में जूनियर सिविल जज या प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट को हर महीने तकरीबन 90000- 1,40,000 तक होती है. वरिष्ठ सिविल जज की सैलरी 1,15,000 से 1,70,000 रुपये होती है. वरिष्ठ जजों को पांच साल बाद सैलरी 1, 45, 000 से 2 लाख के बीच हो जाती है. इसी तरह वरिष्ठता आने पर इन जजों की सैलरी 2, 50, 000 लाख तक पहुंच जाती है.

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जजों को रहने के लिए जिलों में 2000 से 2500 वर्ग फुट तक आवास मिलते हैं. (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

क्या-क्या सुविधाएं मिलती हैं
इन जजों को रहने के लिए जिलों में 2000 से 2500 वर्ग फुट तक आवास मिलते हैं. साथ में हर पांच साल के बाद 1.25 लाख रुपये का फर्नीचर का भी पैसा दिया जाता है. निवास स्थान के रखरखाव के लिए उनके रैंक के हिसाब से पैसे दिए जाते हैं. हर साल 10 लाख रुपये आवास के रखरखाव पर खर्च होते हैं. इसके साथ ही जजों को 24×7 बंदूकधारी और होमगार्ड भी मिलता है. साथ ही आराम दायक वाहन और ड्राइवर भी मिलता है. साथ ही पुलिस का एस्कॉर्ट वाहन भी रहता है. इसके साथ ही चपरासी, अखबार, टेलिफोन और मोबाइल के लिए भी पैसे दिए जाते हैं.

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लेकिन, इन्हीं जजों के रिटायमेंट के बाद 19 से 20 हजार रुपये ही पेंशन मिलता है. ऐसे में इन जजों को 30-35 साल तक मिलने वाली हर उस आदतों को त्यागना पड़ता है, जिसे वह सेवाकाल के दौरान लाभ उठाते हैं. इसी वजह से देश के कई राज्यों के रिटायर जिला जज सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. हालांकि, रिटायरमेंट के बाद भी कुछ जज ट्रिब्यूनल, गैर सरकारी संगठन, मानवाधिकार आयोग, उपभोक्ता फोरम, ट्रस्ट या फिर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करना शुरू कर देते हैं, जिससे लाखों की कमाई भी होती है.

Tags: Judges, Justice DY Chandrachud, Salary hike, Supreme court of india

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