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Sarabjit Singh: सरबजीत की रिहाई पर पाकिस्तान ने भारत को दिया था बड़ा धोखा, 22 साल जेल में तड़पने को हुए मजबूर

Sarabjit Singh: पाकिस्तान की जेल में बंद रहे सरबजीत सिंह के हत्यारे अमीर सरफराज तांबा की हत्या के बाद से देश में एक बार फिर सरबजीत सिंह की चर्चा जोर पकड़ गई है। सरबजीत सिंह को पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में जिस कैदी तांबा ने बेरहमी से मारा था उसकी हत्या से सरबजीत के परिवार को तो शांति मिली है साथ ही देश के कई लोग भी इस बात से काफी संतुष्ट हैं। सरबजीत सिंह के मामले में पाकिस्तान ने भारत को बड़ा धोखा दिया था। जिसके चलते सरबजीत को रिहा कराने की भारत की भरकस कोशिश नाकाम हो गई थी। इस बात से भारत का गुस्सा पाकिस्तान के लिए और भी ज्यादा बढ़ गया था लेकिन पाकिस्तान को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा। उसने वही किया जो वो चाहता था।

कभी वापस भारत नहीं आ पाए थे सरबजीत सिंह

सरबजीत सिंह को पाकिस्तान की जेल में 22 साल रहना पड़ा था। पाकिस्तान की जेल सरबजीत सिंह (Sarabjit Singh) के लिए किसी नरक से कम नहीं थीं। उन्हें वहां सालों तक भीषण यातनाएं दी गईं थीं। सरबजीत सिंह की बहन दलबीर कौर ने अपने भाई को आजा़द कराने के लिए 22 सालों तक पैरवी की थी। बावजूद इसके सरबजीत भारत नहीं आ पाए।

क्या था पाकिस्तान का धोखा

दरअसल साल 2012 में सरबजीत सिंह (Sarabjit Singh) ने पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के सामने दोबारा दया याचिका लगाई थी। तब राष्ट्रपति जरदारी (Asif Ali Zardari) ने सरबजीत सिंह की मौत की सज़ा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। इसके बाद भारत की भरकस कोशिश के बाद पाकिस्तानी अधिकारियों ने भारत से सरबजीत को रिहा कराने की बात कही थी। इसमें भारत और पाकिस्तान को एक-दूसरे देशों के कैदियों की अदला-बदली करनी थी। यानी भारत को पाकिस्तान का एक कैदी पाकिस्तान भेजना था और पाकिस्तान को सरबजीत सिंह को भारत भेजना था।

भारत ने पाकिस्तान का ये प्रस्ताव मान लिया। इसके बाद इन कैदियों की अदला-बदली की गई। भारत ने पाकिस्तान के उसी कैदी को अपने मुल्क भेजा जिसके लिए पाकिस्तान ने कहा था लेकिन पाकिस्तान उस कैदी को भारत के पास नहीं भेजा जिसके लिए भारत ने कहा था। यानी पाकिस्तान ने यहां भारत के साथ एक बड़ा धोखा करते हुए सरबजीत की जगह किसी दूसरे भारतीय कैदी को भारत भेज दिया था। जिसके बाद भारत सरकार की नाराज़गी पाकिस्तान से और भी ज्यादा बढ़ गई थी।

कैसे पाकिस्तान के हाथ में आ गए सरबजीत

बता दें कि सरबजीत सिंह (Sarabjit Singh) पंजाब के तरनतारन जिले के रहने वाले थे। वो यहां के भिखीविंड में रहते थे जो भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित है। 1990 में सरबजीत सिंह को भारत-पाकिस्तान सीमा पर से पाकिस्तान के सीमा बलों ने गिरफ्तार कर लिया था। पाकिस्तानी रक्षा बलों ने सरबजीत को जासूस बताया। जबकि असल बात तो ये थी कि सरबजीत सिंह अपने खेतों पर काम करने गए थे जो भारत-पाक सीमा (India-Pakistan Border) के बेहद नजदीक था। उनकी बहन दलबीर का कहना था कि वो काम करते-करते अनजाने में पाक सीमा पर पहुंच गए थे।

सरबजीत पर उतारी पाकिस्तान ने भारत की नाराजगी

गौर करने वाली बात ये है कि पाकिस्तान ने पहले तो सरबजीत सिंह (Sarabjit Singh) को अवैध तरीके से पाकिस्तान आने की बात कही थी लेकिन इसके बाद सरबजीत सिंह को जासूस बता दिया और फिर 1991 में पाकिस्तान की एक अदालत ने उन्हें आतंकवादी तक घोषित कर दिया। सरबजीत को पकिस्तान ने लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का दोषी बता दिया और उन्हें मौत की सज़ा सुना दी। बाद में इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा। यही नहीं सरबजीत की दया याचिका तक पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी। 

22 साल जेल में तड़पे, फिर आखिर में कैदियों ने बेरहमी से मार दिया

पाकिस्तान (Pakistan) की इस कभी ना भूल पाने और माफ कर देने वाली कुकृत्य की वजह से निर्दोष सरबजीत सिंह को पाकिस्तान की जेल में नरक की जिंदगी जीनी पड़ी। 22 साल तक उन्हें भीषण यातनाओं में तड़पना पड़ा और आखिर में जेल के कैदियों ने सरबजीत सिंह की बेरहमी से हत्या कर दी। कैदियों ने सरबजीत सिंह को ईंटों से कुचला लोहे और टीन की रॉड से लगातार वार किए। इन कैदियों में हाफिस सईद का करीबी अमीर सरफराज तांबा भी था जिसने सरबजीत सिंह का पॉलीथीन से गला घोंटा था और बेरहमी से पीटा था। जिससे सरबजीत सिंह का दिमाग तक फट गया था और रीढ़ की हट्टी टूट गई थी। घायल सरबजीत सिंह को जब अस्पताल ले जाय़ा गया तो वहां उन्हें हार्ट अटैक आया और उनकी मौत हो गई।

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