OPINION: कांग्रेस में गुटबाजी का वायरस कहीं राजनीतिक कोविड के समान घातक न बन जाए OPINION: May the virus of factionalism in Congress become as deadly as political Covid | – News in Hindi


हरीश मलिक पत्रकार और लेखक
विधायक अपने ही मंत्रियों के खिलाफ खोल रहे मोर्चा
राजस्थान की बात करें तो अब कांग्रेस विधायक भरतसिंह ने वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम विश्नोई को हटवाने की वकालत की है. सिंह गर्जना करते हैं कि विश्नोई को वन और वन्य जीवों के बारे में कुछ ज्ञान नहीं है. वन मंत्रालय से हटाकर उन्हें कोई दूसरा विभाग दिया जाना चाहिए. इधर पायलट समर्थक वेदप्रकाश सोलंकी ने तकनीकी शिक्षा मंत्री सुभाष गर्ग के खिलाफ मोर्चा खोला है. सोलंकी ने आरोप जड़ा है कि गर्ग के कारण ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति विरोधी फैसले हो रहे हैं. वह चाहे अंबेडकर पीठ का मामला हो या फिर एससी-एसटी के बैकलॉग का…सीएमओ से गलत फैसले करवाने में मंत्री सुभाष गर्ग का ही हाथ रहा है. उन्होंने तर्क दिया कि पहली बार विधायक सुभाष गर्ग आठ-नौ कमेटियों में है, जबकि दो-तीन बार जीत चुके विधायक टीकाराम जूली और भजनलाल जाटव जैसे मंत्री बाहर हैं. वरिष्ठ विधायक हेमाराम चौधरी का विरोध भी राजस्व मंत्री हरीश चौधरी को लेकर भी था.
डोटासरा ने घी डाला, मेयर एपिसोड से बचना चाहिए था
प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल का घमासान चल ही रहा था. कथित सुलह के बाद डोटासरा ने अब फिर सुलगती आग में घी डाला है. उन्होंने कहा है कि नगर निगम मेयर सौम्या गुर्जर को निलंबित करने से बचना चाहिए था. काबिलेजिक्र है कि सौम्या गुर्जर समेत चार को निलंबित करने के आदेश शांति धारीवाल की ओर से ही दिए गए थे. दरअसल भितरघात और गुटबाजी कांग्रेस का स्थायी चरित्र बनते जा रहे हैं. वो पार्टी के विपक्ष में रहते हुए भी वायरस की तरह जीवित रहते हैं और सत्ता मिलने पर तो मानो कोविड-19 की तरह घातक मोड में आने की कोशिश में हैं. बात चाहे राजस्थान की हो या फिर पंजाब की!
पंजाब से उठी चिंगारी से भड़का सचिन पायलट खेमा
इन सारे विवादों के बीच पंजाब कांग्रेस में सुगबुगाहट की चिंगारी पायलट खेमे में भड़कने लगी है. तर्क है कि जब पंजाब में सुलह कमेटी 15 दिन में एक्शन ले सकती है तो यहां दस माह में भी क्यों नहीं? सचिन पायलट और उनके खेमे की सक्रियता ने एक बार फिर जून माह में ही सियासी मानसून की दस्तक दे दी है. पिछले साल भी कमोबेश इसी समय सचिन पायलट ने बगावत का बिगुल बजाया था और अपने विधायकों को लेकर दिल्ली में डेरा जमाया था. पायलट खेमे के हेमाराम चौधरी के इस्तीफे के बाद इस गुट की ओर से आ रहे बयानों से लगता है कि आने वाले दिनों में मूसलाधार होने वाली है. भाजपा नेताओं ने भी अपने बयानों से इस भड़की आग को हवा देने की कोशिश की, लेकिन पायलट ने देर रात ट्वीट कर पलटवार कर दिया कि भाजपा में परस्पर फूट इतनी हावी है कि वह राज्य में विपक्ष की भूमिका भी नहीं निभा पा रही.गहलोत का किसी भी तरह की गुटबाजी से फिलहाल किनारा
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच पिछले साल हुए घमासान के बाद तीन सदस्यीय कमेटी बनी थी. इस तीन सदस्यीय सुलह कमेटी में से अहमद पटेल का तो निधन हो चुका है. शेष अजय माकन और केसी वेणुगोपाल को अपनी रिपोर्ट देनी है, लेकिन उन्होंने दस माह लगा दिए. यह देरी ही पायलट खेमे के आक्रोश की वजह बन रही है. सचिन समर्थकों का कहना है कि आधा कार्यकाल गुजर जाने के बावजूद सुलह कमेटी के समक्ष जिन मुद्दों पर आम सहमति बनी थी, उन पर तुरंत प्रभाव से कार्यवाही होनी चाहिए. दूसरी ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत फिलवक्त गुटबाजी की ओर से बिल्कुल किनारा किए हुए हैं. उनकी ओर से किसी भी गुट या नेता के खिलाफ किसी तरह की बयानबाजी नहीं आ रही है.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)

हरीश मलिक पत्रकार और लेखक
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक. कई वर्षों से वरिष्ठ संपादक के तौर पर काम करते आए हैं. टीवी और अखबारी पत्रकारिता से लंबा सरोकार है.
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First published: June 9, 2021, 12:33 PM IST