Satish Poonia bhishm pratigya after Sachin Pilot amid up election 2022 vasundhara raje ashok gehlot know details cgpg

जयपुर. राजस्थान (Rajasthan) में 5 साल बाद एक बार फिर भीष्म प्रतिज्ञा ली गई है. 2016 में पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने संकल्प लिया था कि कांग्रेस के सत्ता में आने से पहले पगड़ी नहीं पहनूंगा. 2018 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद पायलट ने उप मुख्यमंत्री की शपथ के साथ ही राजस्थानी साफा बांधा था. या अलग बात है कि कांग्रेस को सत्ता में लाने का संकल्प पूरा करने के बावजूद पायलट मुख्यमंत्री नहीं बन पाए थे, लेकिन कांग्रेस मेें एक बड़ा वर्ग आज भी राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनाने का श्रेय पायलट को देता है. पायलट सीएम ना बने हो लेकिन उसके बाद पायलट का तब कद कांग्रेस में बढ़ गया था.
इस बार यह भीष्म प्रतिज्ञा राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष सतीश पूनिया ने की है. 2023 के चुनाव में दो साल का वक्त बाकी है यानी समय भी करीब उतना ही. लेकिन संकल्प पायलट से भी दो कदम आगे का. पूनिया की प्रतिज्ञा से राजस्थान का सियासी तापमान फिर गरमा गया है. पूनिया ने अचानक ये संकल्प क्यों और किस वजह से लिया. इस प्रतिज्ञा से घमासान पार्टी के अदंर है या कांग्रेस में, ऐसे कई सवालों अब उठ रहे हैं.
जानें सतीश पूनिया ने लिया क्या संकल्प
सतीश पूनिया ने ऐलान किया कि वह अब एक समय खाना नहीं खाएंगे. शाम का भोजन नहीं करेंगे. वो भी एक या दो दिन नहीं, तब तक जब राजस्थान में गहलोत सरकार को उखाड़ कर न फेंक दे. राजस्थान में विधानसभा के चुनाव 2023 में है यानी अगले दो साल तक पूनिया एक टाइम खाना खाकर गहलोत सरकार के खिलाफ संघर्ष करेंगे. पूनिया ने संकल्प लिया कि वे 2023 में राजस्थान में बीजेपी के सत्ता में नहाीं आने तक न तो माला पहनेंगे न ही साफा पहनेंगे. राजस्थान में स्वागत की सबसे बड़ी परंपरा है राजस्थानी साफा और फूलों की माला. पूनिया अक्सर स्वागत की पगड़ी पहने नजर आते हैं. अब पूनिया ने पगड़ी का मोह भी फिलहाल छोड़ दिया. पूनिया ने अपनी प्रतिज्ञा का ऐलान भी राजस्थान में नहीं यूपी के चुनावी रण में किया, जहां बीजेपी के बड़े दिग्गज चुनाव प्रचार के मैदान में उतरे हुए है.
पूनिया की प्रतिज्ञा पर राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने तंज कसा कि पूनिया को लंबे समय तक भूखा रहना पड़ेगा. इधर, राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने पूनिया के संकल्प पर निशाना साधा और कहा पूनिया को आजीवन भूखा रहना पड़ेगा. अब सवाल ये कि ऐसे संकल्प की जरूरत क्यों पड़ी.
पूनिया को क्यों लेना पड़ा संकल्प
दरअसल, राजस्थान बीजेपी में सीएम फेस की होड़ लगी है. पूनिया के साथ केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, सासंद दीयाकुमारी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधराराजे समेत करीब आधा दर्जन नेता इस रेस में हैं. पूनिया संकल्प के जरिये पार्टी हाईकमान को यकीन दिलाना चाहते हैं कि वे अपनी कमान में पार्टी को 2023 में जीत दिला सकते हैं. सीएम गहलोत को सत्ता से बाहर कर सकते हैं. दरअसल, वसुंधरा राजे कैंप लंबे समय से पार्टी हाईकमान तक या संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि 2023 में गहलोत को सत्ता से बाहर सिर्फ वसुंधरा राजे ही कर सकती हैं. पूनिया का इस साल प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हो रहा है. लेकिन अगले साल चुनाव है, इसलिए बीजेपी बिना किसी विशेष कारण के चुनाव से पहले नया अध्यक्ष चुनने की रिस्क नहीं लेगा.
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राजे कैंप अध्यक्ष बदलवाना चाहता है, लेकिन पार्टी हाईकमान इशारा कर चुका है कि इसी टीम से अगला चुनाव ल़ड़ा जा सकता है. संकल्प के जरिए पूनिया पार्टी हाईकमान को यकीन दिलाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनकी कप्तानी में 2023 का चुनावी मैच बीजेपी नहीं हारेगी. इस संकल्प से पार्टी कार्यकर्तओं में पूनिया का कद बढ़ेगा, पूनिया समर्थक मान रहे हैं कि ये संकल्प सतीश पूनिया को रेस में समकक्षों से आगे ले जा सकता है. दूसरी ओर गहलोत सरकार और कांग्रेस को संदेश कि 2023 में मुकाबले के लिए वे ही सामने होंगे, किसी और चेहरे की उम्मीद कर रहे हैं तो शायद नहीं.
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