नागौर किसानों के लिए जौ की खेती के वैज्ञानिक और लाभदायक तरीके

नागौर. रबी सीजन की प्रमुख फसलों में से एक जौ की बुवाई का समय शुरू हो गया है, नवंबर के पहले पखवाड़े से दिसंबर के मध्य तक जौ की बुवाई का सबसे सही समय रहता है. इस समय की गई बुवाई से उत्पादन बेहतर और दाना मोटा मिलता है, जिससे किसानों को अधिक उत्पादन और मुनाफा होता है. कृषि विशेषज्ञ बजरंग सिंह के अनुसार, यदि किसान वैज्ञानिक तरीके से जौ की खेती करें तो यह फसल गेहूं की तुलना में कम लागत और कम पानी में अधिक लाभ देने वाली साबित होती है.
कृषि विशेषज्ञ के अनुसार, जौ की खेती शुरू करने से पहले खेत की अच्छी जुताई कर भूमि को भुरभुरा बना लेना चाहिए. इसके बाद मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए एक या दो हल चलाने के बाद पाटा अवश्य लगाएं. जौ की बुवाई के लिए आरडी-2715, आरडी-2660, आरडी-2794, आरडी-2624, आरडी-2592, आरडी-2786, आरडी-2849, आरडी-2552 और आरडी-2907 जैसी उन्नत किस्में उपयुक्त रहती हैं. बीज को फफूंद और दीमक से बचाने के लिए फिप्रोनिल 5 एससी 6 मिली प्रति किलो बीज से उपचारित करें. ढीले स्मट रोग से बचाव के लिए बीज को मैनकोजेब 2.5 ग्राम या थीरम 3 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें.
खाद और सिंचाई का ध्यान रखें:
कृषि विशेषज्ञ बजरंग सिंह ने बताया कि, जौ की खेती में प्रति बीघा 20 से 25 किलो नाइट्रोजन और 15 किलो फास्फोरस डालना फायदेमंद रहता है. यदि खेत में नमी पर्याप्त है तो बुवाई के समय ही सारी खाद डाल सकते हैं, नहीं तो नाइट्रोजन का आधा भाग पहली सिंचाई के साथ देना चाहिए. इसके अलावा, जौ एक कम पानी वाली फसल है, इसलिए दो से तीन सिंचाइयां पर्याप्त रहती हैं. पहली सिंचाई बुवाई के 25 दिन बाद और दूसरी बालियां निकलने के समय करनी चाहिए.
मुनाफे की दृष्टि से फायदे का सौदा:
कृषि विशेषज्ञ के अनुसार, जौ की खेती की लागत गेहूं से करीब 30 प्रतिशत कम आती है, जबकि इसकी बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है. इसका उपयोग बीयर उद्योग, पशु आहार और दलिया बनाने में किया जाता है, जिससे किसानों को आसानी से बाजार मिल जाता है. एक बीघा में औसतन 8 से 10 क्विंटल तक उत्पादन होता है. कृषि विभाग का भी कहना है कि किसान बुवाई से पहले अपने क्षेत्र के कृषि अधिकारी से परामर्श लेकर प्रमाणित बीज का चयन करें. समय पर सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण और कीट प्रबंधन से उपज में 15–20 प्रतिशत तक वृद्धि हो सकती है. इसके अलावा, का मासूम जौ की खेती के लिए अनुकूल है, अच्छे मुनाफे के लिए किसान अभी इसकी बुवाई शुरू कर सकते हैं.



