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साइंटिस्ट्स ने पहली बार मरते तारे को चीरती सुपरनोवा शॉकवेव देखी, धमाका इतना परफेक्ट कि मॉडल्स भी फीके पड़ गए!

वैज्ञानिकों ने पहली बार एक ऐसे पल को कैमरे में कैद किया है, जो अब तक सिर्फ कल्पना में ही देखा गया था. यह वो पल था जब एक विशाल तारा फटते हुए अपनी आखिरी सांस ले रहा था, और उसके अंदर से निकल रही जबरदस्त shockwave यानी झटका तारे की सतह को फाड़ती हुई बाहर आई.

हैरानी की बात ये है कि ये विस्फोट उतना बेतरतीब नहीं था जितना वैज्ञानिकों ने सोचा था, बल्कि एकदम संतुलित और गोलाकार तरीके से हुआ. इस खोज ने ब्रह्मांड में होने वाले सुपरनोवा विस्फोटों के बारे में वैज्ञानिकों की समझ को नया मोड़ दे दिया है.

अप्रैल 2024 में हुआ विस्फोटयह धमाका अप्रैल 2024 में हुआ था, जब एक विशाल लाल तारा फट गया. यह तारा NGC 3621 नाम की सर्पिल आकाशगंगा में था, जो धरती से करीब 2.2 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर है.

बीजिंग की Tsinghua यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक यी यांग ने इस घटना को देखकर झट से अपनी टीम के साथ काम शुरू किया. उन्होंने चीन, यूरोप, अमेरिका और मध्य पूर्व के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर यूरोप के चिली स्थित Very Large Telescope पर तुरंत देखने की अनुमति मांगी.

सुपरनोवा के फटने के सिर्फ 26 घंटे बाद ही टीम ने उसकी पहली झलक पकड़ ली. ये अपने आप में बड़ी बात थी क्योंकि इतने कम समय में इस तरह का डेटा पहले कभी नहीं मिला था.

तारे की सतह चीरता हुआ विस्फोटटीम के एक सदस्य, यूरोपियन साउदर्न ऑब्जर्वेटरी (ESO) के डिट्रिक बाडे ने बताया कि पहली तस्वीरों में साफ दिखा कि कैसे विस्फोट के केंद्र से निकला पदार्थ तारे की सतह को चीरते हुए बाहर आया. उन्होंने कहा, “कुछ घंटों तक हम तारे की बनावट और उसके धमाके की दिशा दोनों को एक साथ देख पा रहे थे. ये वाकई एक ऐतिहासिक पल था.”

ये तारा सूरज से 12 से 15 गुना ज्यादा भारी था. जब इसके अंदर ऊर्जा बनाने की प्रक्रिया यानी न्यूक्लियर फ्यूजन रुक गई, तो इसका कोर सिकुड़कर न्यूट्रॉन तारा बन गया. इसके ऊपर की सारी परतें कोर पर गिरीं और फिर वापस उछलकर इतनी ताकत से फटीं कि पूरा तारा बिखर गया.

क्योंकि ये लाल सुपरजायंट तारा था, इसका आकार बहुत बड़ा था, करीब 250 मिलियन किलोमीटर, यानी सूरज से लगभग 500 गुना बड़ा. इस वजह से shockwave को सतह तक पहुंचने में पूरा एक दिन लग गया.

वैज्ञानिकों ने ऐसे समझी धमाके की बनावटवैज्ञानिकों ने VLT टेलिस्कोप के जरिए एक खास तकनीक स्पेक्ट्रोपोलरिमीट्री का इस्तेमाल किया. इससे उन्हें यह समझने में मदद मिली कि विस्फोट किस दिशा और किस आकार में हुआ.

नतीजे चौंकाने वाले थे. तारे के फटने के बाद उसका आकार कुछ दबा हुआ था, जैसे जैतून या अंगूर, लेकिन धमाका फिर भी एकदम संतुलित और सीधा रहा. इसका मतलब ये है कि विस्फोट का तरीका बहुत संगठित था, जैसे किसी “अदृश्य धुरी” के चारों ओर हुआ हो. टीम के सदस्य लिफान वांग (Texas A&M यूनिवर्सिटी) ने बताया, “स्पेक्ट्रोपोलरिमीट्री से हमें तारे की ज्योमेट्री यानी उसकी आकृति की जानकारी मिली, जो किसी और तकनीक से संभव नहीं थी.”

क्या चुंबकीय क्षेत्र हैं असली वजह?पहले वैज्ञानिक मानते थे कि सुपरनोवा विस्फोट में ऊर्जा न्यूट्रिनो पार्टिकल्स से आती है. लेकिन अगर ऐसा होता तो विस्फोट असंतुलित और टेढ़ा-मेढ़ा दिखता. इस बार ऐसा कुछ नहीं दिखा.

यी यांग की टीम का कहना है कि शायद इन धमाकों के पीछे तारे के अंदर के शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र काम करते हैं, जो पूरे विस्फोट को एक दिशा में संतुलित रखते हैं.

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