SDM’s Absurd Decree – एसडीएम के बेतुके फरमान

अब कोविड मरीजों की ऑक्सीजन की जिम्मेदारी भी शिक्षक के जिम्मे

जयपुर,8 मई।
कभी गांव के कुछ लोग कोविड पॉजिटिव आ जाए तो जिम्मेदारी शिक्षक की तो कभी शिक्षकों को दी जा रही शवों के दाह संस्कार धार्मिक रीति से करवाने की जिम्मेदारी। प्रदेश के विभिन्न जिलों के उपखंड अधिकारियों के इन मनमाने आदेशों से शिक्षक पहले से ही कम परेशान नहीं थे कि अब उन्हें कोविड मरीजों के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर भरवाने का काम भी सौंप भी दिया गया है।
इस बार मामला है करौली का, जहां उपखंड अधिकारी करौली ने वहां के सामान्य चिकित्सालय में भर्ती कोविड मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध करवाने के लिए 12 शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी है। उपखंड अधिकारी के बेतुके आदेशों ने शिक्षकों को परेशानी में डाल दिया है। उनका कहना है कि जिस ऑक्सीजन की व्यवस्था चिकित्सा विभाग यहां तक कि सरकार भी नहीं कर पा रही है उसकी व्यवस्था की जिम्मेदारी शिक्षक के सिर मढ़ दी गई है। ऑक्सीजन के अभाव में किसी मरीज की मौत हो जाती है तो उसका दोष आसानी से शिक्षक को दिया जाएगा।
चपरासी और व्याख्याताओं की ड्यूटी एक समान
उपखंड अधिकारी सरदारशहर ने चपरासी से लेकर व्याख्याताओं की ड्यूटी एक समान लगाई गई है। शिक्षकों का कहना है कि उनकी ड्यूटी पद अनुरूप नहीं लगाई गई। गौरतलब है कि प्रधानाचार्य का पद (एल 16) एवं उपखंड अधिकारी (एल 14) ग्रेड के होता है। इसके बाद भी उपखंड अधिकारी प्रधानाचार्य के लिए उन्हें अपमानित की जाने वाली भाषा का उपयोग करते हैं। शिक्षकों का यह भी कहना है कि उपखंड अधिकारी कॉलेज शिक्षा के प्रधानाचार्य एवं व्याख्याताओं के लिए इस प्रकार के आदेश क्यों नहीं निकालते, जबकि अब कॉलेज भी बंद है वहां भी शिक्षण कार्य नहीं हो रहा है, ऐसी स्थिति में सिर्फ विद्यालय के प्रधानाचार्य एवं शिक्षकों के साथ इस प्रकार का दोगला व्यवहार क्यों? उन सब को सिर्फ यह स्कूल के शिक्षक और उनके प्रिंसिपल ही दिखाई देते हैं ।
राजस्थान शिक्षक संघ(राष्ट्रीय) के प्रदेश महामंत्री अरविंद व्यास ने कहा कि प्रशासन शिक्षकों को मेडिकल किट वितरण, पेट्रोल पंप, निगरानी समिति, खाद्यान्न वितरण, सर्वे, वैक्सीन सर्वे ,विवाह समारोह की रिपोर्ट व निगरानी इत्यादि अनेक कार्यो में लगा देता है, कई कार्य शिक्षको की मर्यादाओं व गरिमा के विरुद्ध हैं।
संगठन के प्रदेशाध्यक्ष सम्पतसिंह ने बताया कि शिक्षकों से बीएलओ का कार्य लिया जा रहा है। जहां भीड़भाड़ एवं संक्रमण की सम्भावना अत्यधिक है लेकिन जब शिक्षकों को वैक्सीन लगाने की बारी हो , शिक्षकों को कोरोना वारियर्स की उपाधि देनी तो उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है।
संगठन प्रदेश मंत्री रवि आचार्य ने बताया कि संगठन ने मुख्यमंत्री ,शिक्षामंत्री व प्रमुख शासन सचिव स्कूली शिक्षा राजस्थान सरकार एवं निदेशक माध्यमिक शिक्षा बीकानेर को ज्ञापन भेजकर शिक्षकों की मर्यादा के अनुरूप कार्य में ही ड्यूटी लगाने के आदेश पारित करवाकर राहत प्रदान करने की मांग की है। शिक्षकों को मास्क, सेनेटाइजर, पीपीई किट आदि तक उपलब्ध नहीं करवाए गए हैं।