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यूट्यूब देखकर लड़की ने बनाया डाइट प्लान, ऐसी हालत में पहुंच गई, डॉक्टर भी कुछ नहीं कर पाए

Last Updated:March 10, 2025, 22:46 IST

केरल के कुन्नूर में एक लड़की ने यूट्यूब देखकर एक ऐसे डाइट प्लान को अपनाया, जिसके कारण उसकी मौत हो गई. इसके कारण लड़की का वजन बहुत घट गया और उसे अस्पताल पहुंचाया गया. मगर उसकी जान नहीं बचाई जा सकी. यूट्यूब देख लड़की ने बनाया डाइट प्लान, ऐसी हालत में पहुंची, डॉक्टर भी कुछ...

केरल की लड़की की यूट्यूब डाइट के कारण मौत. (Image: Social Media)

कन्नूर. केरल के कन्नूर की एक 18 साल की लड़की श्रीनंदा की दुखद मौत हो गई. उसने यूट्यूब पर देखी गई एक अत्यधिक वजन घटाने वाली डाइट का पालन किया, जिसमें लगभग पूरी तरह से केवल पानी पीना ही शामिल था. कोथुपरम्बा की रहने वाली श्रीनंदा कुछ दिनों तक थलास्सेरी को-ऑपरेटिव अस्पताल में वेंटिलेटर पर थीं, जहां उन्होंने अपनी जान गंवा दी. थलास्सेरी को-ऑपरेटिव अस्पताल के डॉक्टर नागेश प्रभु के मुताबिक श्रीनंदा एनोरेक्सिया नर्वोसा से पीड़ित थीं, जो एक खाने का विकार है. जिसमें मरीज को वजन बढ़ने का बहुत डर होता है.

डॉक्टर ने बताया कि “वह लगभग भूखी रहती थीं और केवल पानी की डाइट पर थीं. मुझे लगता है कि यह परेशानी भरी खाने की आदत लगभग छह महीने पहले शुरू हुई थी. मेरे एक सहयोगी ने उनके परिवार को इस समस्या के लिए और मदद लेने की सलाह दी थी. हालांकि, मुझे लगता है कि वे इसकी गंभीरता से परिचित नहीं थे और इसे एक युवा के काफी खाना न खाने की स्थिति के रूप में नजरअंदाज कर दिया.” डॉक्टर ने बताया कि एनोरेक्सिया नर्वोसा पश्चिमी देशों में आम है, जबकि यह केरल में काफी दुर्लभ है.

यह स्थिति भूख को मार देती हैडॉ. नागेश बताते हैं कि एनोरेक्सिया नर्वोसा से पीड़ित लोग समय के साथ अपनी भूख की भावना खो देते हैं. मेयो क्लिनिक के अनुसार, एनोरेक्सिया नर्वोसा के कारण पता नहीं हैं, और मानसिक स्वास्थ्य, आनुवंशिक परिवर्तन और यहां तक कि पर्यावरणीय कारकों सहित कई कारकों का मिश्रण इस स्थिति का कारण बन सकता है. यह सभी लिंग पहचान, नस्ल, उम्र और शरीर के प्रकारों को प्रभावित कर सकता है. डॉक्टर बताते हैं कि श्रीनंदा के मामले में, सोडियम और शुगर के स्तर भी गिर रहे थे और सुधार के बाद भी गिरते रहे.

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मनोवैज्ञानिक पहलूडॉ. नागेश ने कहा कि एनोरेक्सिया नर्वोसा केवल एक खाने का विकार नहीं है. यह एक मनोवैज्ञानिक स्थिति भी है. इसलिए, मरीज को बहुत पहले ही मनोचिकित्सा उपचार लेना चाहिए था. क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, खाने के विकार के प्रकार के आधार पर, इसके उपचार में मनोचिकित्सा, दवाएं, पोषण परामर्श, सप्ताह में एक बार परामर्श और अस्पताल में भर्ती होना शामिल हो सकता है. समय पर इलाज होने पर सुधार संभव है. हालांकि, ऐसे विकार रातोंरात ठीक नहीं होते.


First Published :

March 10, 2025, 22:46 IST

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