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कालाबाजारी का गंभीर आरोप… निजी दुकानदारों ने डीएपी का स्टॉक छिपाकर किसानों की बढ़ाईं मुश्किलें!

Last Updated:October 18, 2025, 19:06 IST

Alwar News: खैरथल-तिजारा में बारिश से खेत तैयार हैं, लेकिन डीएपी खाद की भारी कमी से किसान परेशान हैं. सहकारी समितियों और निजी दुकानों पर स्टॉक नदारद, कालाबाजारी के आरोप लगे हैं.

खैरथल-तिजारा. जिले में हाल ही में हुई बारिश से खेतों में भरपूर नमी बन गई है, जिससे बुवाई के लिए खेत पूरी तरह तैयार हैं. किसान इस अवसर का लाभ उठाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं और फसलों की तैयारी में जुटे हैं. लेकिन इसी बीच डीएपी खाद की भारी कमी ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है. खेत तैयार हैं, मौसम अनुकूल है, मगर खाद के अभाव में किसान चिंतित हैं.

सरसों, गेहूं, चना और जौ जैसी रबी फसलों की बुवाई के लिए डीएपी खाद अत्यंत आवश्यक होती है. कृषि विभाग और सरकार पर्याप्त खाद उपलब्ध होने के दावे कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत अलग है. सहकारी समितियों और निजी दुकानों पर डीएपी का स्टॉक नदारद है. किसानों को खाद के लिए कई-कई जगह भटकना पड़ रहा है और कई बार खाली हाथ लौटना पड़ता है.

समय निकल रहा है, पैदावार पर असर का खतराकृषि विशेषज्ञों का कहना है कि सरसों की बुवाई का उपयुक्त समय तेजी से निकल रहा है. यदि किसानों को जल्द डीएपी उपलब्ध नहीं हुई, तो बुवाई में देरी होगी. इसका सीधा असर फसल की पैदावार पर पड़ेगा. किसान समय पर खेत तैयार कर चुके हैं, लेकिन खाद के बिना बुवाई अधर में लटक गई है.

किसानों में नाराजगी, कालाबाजारी के आरोपकिशनगढ़ बास क्षेत्र के किसान फराज खान, हवा सिंह यादव, नसरू खान सहित अन्य किसानों ने बताया कि जैसे ही सहकारी समिति की दुकान पर डीएपी की खेप पहुंचती है, वहां किसानों की लंबी लाइनें लग जाती हैं. कई बार घंटों इंतजार के बाद भी खाद नहीं मिलती, जिससे किसान निराश होकर लौट जाते हैं. गांव धोयड़ा निवासी किसान नसरू खान ने बताया कि सरसों की अच्छी पैदावार के लिए डीएपी जरूरी है, लेकिन इसकी कमी से वे खेतों में पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं डाल पा रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्याज की बुवाई के समय भी यही समस्या थी और अब सरसों की बुवाई के दौरान फिर वही स्थिति बन गई है.

निजी दुकानदारों पर लगाया आरोपकिसानों ने आरोप लगाया कि निजी दुकानदार डीएपी का स्टॉक छिपाकर कालाबाजारी कर रहे हैं. सहकारी समिति में जहां डीएपी खाद लगभग 350 रुपये प्रति कट्टा में मिलती है, वहीं खुले बाजार में इसकी कीमत 1800 से 2000 रुपये तक पहुंच गई है. किसानों का कहना है कि सरकार को तुरंत हस्तक्षेप कर डीएपी की आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि समय पर बुवाई हो सके और उत्पादन पर असर न पड़े.

Anand Pandey

नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल…और पढ़ें

नाम है आनंद पाण्डेय. सिद्धार्थनगर की मिट्टी में पले-बढ़े. पढ़ाई-लिखाई की नींव जवाहर नवोदय विद्यालय में रखी, फिर लखनऊ में आकर हिंदी और पॉलीटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया. लेकिन ज्ञान की भूख यहीं शांत नहीं हुई. कल… और पढ़ें

Location :

Alwar,Rajasthan

First Published :

October 18, 2025, 19:06 IST

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